पृष्ठ

अनुमति जरूरी है

मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लोग से कोई भी पोस्ट कहीं ना लगाई जाये और ना ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये

my free copyright

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

सोमवार, 18 फ़रवरी 2019

सफ़ेद नकाबपोश चेहरे...

दहशत का लिफाफा
हर दहलीज को चूमता रहा
और सुर्ख रंग से सराबोर होता रहा हर चेहरा

फिर किसके निशाँ ढूँढते हो अब ?

तुमने दहशतें बोयी हैं
फसल लहलहा कर आयी है
सदियों से अब कैसी अदावत

तुम्हारे चेहरे की लुनाई है अब क्यों गायब?

प्रायोजित कार्यक्रम बना डाला
सबने अपना गुबार निकाल मारा
मगर हल का कागज़ कोरा ही रहा

कहो कैसे ढकोगे अब रुसवाई को ?

आँधियों ने चीन्हे हैं सफ़ेद नकाबपोश चेहरे...

4 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (20-02-2019) को "पाकिस्तान की ठुकाई करो" (चर्चा अंक-3253) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Onkar ने कहा…

बहुत बढ़िया

Book River Press ने कहा…

Convert your writing in book form publish your book with Best Book Publisher in India get 100% royalty , Publish in 30 days


kya hai kaise ने कहा…

खूबसूरत रचना। आनंद आ गया।