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सोमवार, 29 अक्तूबर 2018

बुरा वक्त कहता है

बुरा वक्त कहता है
चुप रहो
सहो
कि
अच्छे दिन जरूर आयेंगे

सब मिटा दूँ, हटा दूँ
कि
आस की नाव पर नहीं गुजरती ज़िन्दगी

छोड़ दूँ सब कुछ
हो जाऊँ गायब
समय के परिदृश्य से
अपने दर्द की लाठी पकड़

फिर
वक्त खोजे मुझे और कहे
आओ न
मैंने संजोये हैं तुम्हारे लिए अच्छे दिन
तुम्हारे मनचाहे दिन
करो जो तुम करना चाहती हो
जियो जैसे जीना चाहती हो
हँसो जैसे हँसना चाहती हो
उडो जैसे उड़ना चाहती हो
और एक पूरी ज़िन्दगी जी जाऊँ मैं जीभर के
अपनी तमन्नाओं हसरतों और चाहतों का कोलाज बनाकर
सपना अच्छा है न ...
लड़की जो सिर्फ स्वप्न देखना ही जानती है बस

1 टिप्पणी:

Dr Varsha Singh ने कहा…

बहुत सुंदर रचना