न, न अकेलापन या एकांत नहीं है ये
और न ही है ये ख़ामोशी
तेरे शहर के सन्नाटे का एक फंद
मेरी रूह के सन्नाटे से जुड़ कर
बना रहा है तस्वीर-ए-यार
सुनो
तुम ओढ़ लेना
मैं पढ़ लूँगी जुबाँ
हो जायेगी बस गुफ्तगू
काफी है जीने के लिए
इश्क की प्यालियों का नमक है ये
जिसका क़र्ज़ कायनात के अंतिम छोर तक भी चुकता नहीं होता ...
2 टिप्पणियां:
इश्क की प्यालियों का नमक है ये, बेहतरीन लिखा आपने.
रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
बहुत खूब .
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