मरखनी गाय और कटखने कुत्तों से हम
भूल चुके हैं अपनी सभ्यताएं भी
अब
आने वाली
पीढियां मशगूल हैं
अंतर्विरोधों को ताबीज बना
पहनने में
समय सिर धुन रहा है ...
भूल चुके हैं अपनी सभ्यताएं भी
अब
आने वाली
पीढियां मशगूल हैं
अंतर्विरोधों को ताबीज बना
पहनने में
समय सिर धुन रहा है ...
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सटीक रचना
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