तुम और तुम्हारी खोज
तुम और तुम्हारी प्यास
तुम और तुम्हारी आस
जानती हूँ वो भी
जो न कहा कभी
वो जो जिंदा है आज भी
वो जो सुलग रही है आज भी
वो जिसने मढ़ी हैं
नज्मों में दर्द की सलवटें
गुनगुनाना चाहती है प्रेम गीत
जो एक अल्हड लड़की को कर दे बेनकाब
हाँ ....... उमगती है एक अल्हड नदी आज भी तुममे
बस प्रवाह मोड़ दिया है अब
श्वेत से श्याम की ओर ...............
2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर रचना
कल 11/फरवरी /2015 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
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