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शनिवार, 30 जून 2007

कैसे कहूं

दिल की बात कैसे कहूं ,किससे कहूं ,यहाँ कौन है सुनने वाला,
इक छोटी सी आरजू है ,इक छोटी सी तमन्ना है ,
बरसों से दबी ख्वाहिश है , कोई हो इक ऐसा जो समझे इस दिल को,
जाने इस के दर्द को , और कोशिश करे समझने की
यह दिल क्या चाहता है , गर कोई जान ले तो
जीने की आरजू पूरी हो जाये , मरने का कोई मलाल ना रहे
लेकिन किससे कहूं और कैसे कहूं ?

2 टिप्‍पणियां:

उन्मुक्त ने कहा…

दिल की बात कहिये, हैं न हम सब आपकी बात सुनने के लिये। रुकिये नहीं। हिन्दी के कदम आगे बढ़ने हैं।
हिन्दी चिट्टा जगत में आपका स्वागत है।

Anupriya ने कहा…

दिल की बात कैसे कहूं ,किससे कहूं ,यहाँ कौन है सुनने वाला,
इक छोटी सी आरजू है ,इक छोटी सी तमन्ना है ,
बरसों से दबी ख्वाहिश है , कोई हो इक ऐसा जो समझे ईस दिल को,
जाने ईस के दर्द को , और कोशिश करे समझने की
यह दिल क्या चाहता है , गर कोई जान ले तो
जीने की आरजू पूरी हो जाये , मरने का कोई मलाल ना रहे
लेकिन किससे कहूं और कैसे कहूं ?
so beautyful...
yahi to chahat hai choti si, koi mujhe bhi samjh paye...itni complicated insaan nahi hun par pata nahin kyo hamesha tanha hi rah jaati hun...