एक शाम ब्लॉगिंग के नाम ......जी हाँ, हम सबके प्रिय मित्र Mahfooz Ali
द्वारा आयोजित ब्लॉगर मीट (ये वो वाला मीट नहीं है जनाब जो गौरक्षकों के
हथियार निकल आयें और पेल दें सब पर दे दनादन, लेकिन अगर ऐसा हो भी जाता तो
कोई डर नहीं था क्योंकि आयोजन करने वाला भी तो हमारा मोहम्मद अली था :) )
हाँ तो जब महफूज़ बुलाये और कोई न आये ऐसा तो हो ही नहीं सकता. जितने प्यार
और सम्मान से महफूज़ बुलाता है उसके बाद अपनी तबियत को भी कहना पड़ता है ठीक
हो जा वर्ना महफूज़ आ जायेगा :)
दोस्तों,
एक अरसे बाद घर से अकेली निकली और जब अपने ब्लॉगिंग की दुनिया के दोस्तों
से मिली तो एक अलग सी ख़ुशी मिली. कुछ नए लोगों से भी मिलना हुआ जो फेसबुक
पर तो दोस्त हैं लेकिन अभी तक मिले नहीं थे. ब्लॉगिंग का दौर वो दौर था
जिसमे जब बात होती थी तो पोस्ट पर होती थी लेकिन सम्बन्ध ज्यों के त्यों
कायम रहते थे और ऐसी ही आत्मीयता आज तक बनी हुई है तभी तो एक बुलावे पर सब
दौड़े चले गए. अंजू चौधरी, डॉ दराल, मुकेश कुमार सिन्हा, शाहनवाज़, डॉ दराल, तारकेश्वर गिरी, सुनीता शानू, वंदना गुप्ता, हितेश शर्मा, आलोक खरे, ब्रजभूषण खरे जिनका कल जन्मदिन भी था , संंजय जी जो एनएसडी से जुड़े अभिनेता मॉम, तलवार जैसी कई फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं, उनका पिछली बार जब मिले थे जब जन्मदिन था, रमेश सिंह बिष्ट, शाहनवाज़, खुशदीप सहगल आदि बच्चों सी चपलता के साथ वहाँ मौजूद थे तो फोटो सेशन का भी खूब लाभ उठाया गया.
१
जुलाई से जब से एक बार फिर ब्लॉगिंग की तरफ सबने कदम बढाया तो लगा जैसे वो
ही दौर लौट आएगा. कल की मीट में इन्ही बातों पर फोकस किया गया कि कैसे एक
बार फिर लेखक को उसके ब्लॉग की तरफ मोड़ा जाए. कैसे अपने कंटेंट को आकर्षक
बनाया जाए जो पाठक खुद ढूंढता हुआ आ जाये. कैसे
आज ब्लॉगिंग से कमाई की जा सकती है उस के बारे में भी चर्चा की गयी. और सही
बात है लेखक लिख रहा है तो चाहता है उसका लेखन सारे संसार तक पहुँचे मगर
वो रास्ते नहीं जानता . इस मीटिंग में यही समझाने और बताने की कोशिश की गयी
शाहनवाज़ और खुशदीप जी द्वारा. वहीँ एग्रेगेटर की कमी को भी दूर करने की कोशिश पर ध्यान दिलाया गया.
यूँ
तो हम सभी एक दूसरे को जानते थे लेकिन जो नए आये थे वो थोड़े संकोच में थे
इसलिए कम बोले. हाँ, हितेश एक युवा, जो यात्राओं पर रहता है अक्सर उसका
यात्रा पर घुमक्कड़ी डॉट कॉम वेबसाइट है उस पर लिखता है , उसने जरूर थोड़ी
बहुत इस बारे में बातचीत की. मगर अभी अभी मेरी बात हुई रमेश सिंह बिष्ट जी
से जो कल पहली बार मिले थे तो बोले मैंने आपको पहचाना ही नहीं वर्ना आपके
साथ एक अलग से फोटो तो जरूर ही खिंचवाता और आपसे कुछ देर बात भी होती,
जिसका उन्हे बहुत अफ़सोस हुआ. कभी कभी संकोच के कारण काफी कुछ छूट जाता है
तो आगे से ये ध्यान रखा जाएगा जब सब आ जाएँ तो सबका इंट्रोडक्शन दिया जाए
ताकि कोई भी एक दूसरे से अनभिज्ञ न रहे और उसे बाद में कोई अफ़सोस भी न रहे.
गज़ाला
जी का घर हो और उनकी मेहमान नवाजी हो तो कौन होगा जो उससे वंचित रहना
चाहेगा. सबसे पहले ड्राइंग रूम में बैठे तो वहाँ कोल्ड ड्रिंक और स्नैक्स
चलते रहे फिर बाहर लॉन में बैठे तो वहाँ इडली सांभर, समोसे चटनी के साथ,
खांडवी, दो तरह की बर्फी और साथ में कोल्ड ड्रिंक और चाय भी .......एक
शानदार शाम के लिए महफूज़ और गज़ाला जी का जितना शुक्रिया अदा किया जाए कम ही
है . ऐसे आयोजन न केवल संबंधों को प्रगाढ़ करते हैं बल्कि एक नयी दिशा भी
देते हैं .
हिंदी
ब्लॉगिंग का नया दौर एक बार फिर ब्लॉगर्स की सक्रियता की ओर देख रहा है तो
आइये ब्लॉगिंग को उसका नया स्वरुप देकर अपना योगदान दें ताकि जिंदा रहे
हिंदी और आपका लेखन ...
8 टिप्पणियां:
आनन्द दायक।
बहुत अच्छा लगा आप सबको एक साथ देखकर, नया दौर शुरू तो हुआ, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
वाह।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (17-07-2017) को "खुली किताब" (चर्चा अंक-2669) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १७५० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "१७५० वीं बुलेटिन - मेरी बकबक बेतरतीब: ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बढ़िया पोस्ट
बढ़िया तस्वीरें ... सुखद आयोजन
सबको एक साथ देखकर बहुत बढ़िया
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