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शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2013

ज़िन्दगी जीने के सबके अंदाज़ जुदा हुआ करते हैं

मेरे फ़लक से तुम्हारे फ़लक तक 
विचरती आकाश गंगायें 
जरूरी तो नहीं 
माध्यम बने ही 
सम्प्रेक्षणता का 
जबकि जानते हो 
ध्वनियों में भी गतिरोध हुआ करते हैं 
उमस के दरवाज़ों पर भी ताले हुआ करते हैं 
खपरैलों के भी उडने के मौसम हुआ करते हैं 
यूँ भी बेवजह ढोलक पर थाप नही दी जाती 
तो फिर क्यों बेज़ार हो खटखटाऊँ मौन की कुण्डियाँ 
जब नक्काशी के लिए मौजूद ही नहीं सुलगती लकड़ियाँ 

अब कौन  दीवान-ए -आम और दीवान-ए -ख़ास की जद्दोजहद में उलझे 
जब नागवारियों की नागफनियों से गुलज़ार हो मोहब्बत का अंगना 

ज़िन्दगी जीने के सबके अंदाज़ जुदा हुआ करते हैं जानम !!!

12 टिप्‍पणियां:

Safarchand ने कहा…

अपना अपना अंदाज़ जिंदगी का -- ज़ीने का मूलमंत्र है ज़रूर,मगर पाश्चात्य जिवाब शैली ! अपनी पंक्तियों में आपने इसे अति सशक्त भाव से व्यक्त किया है.बहुत बहुत बधाई ! तनिक इसे भी देखें:-
"आंसू और हंसी के सन्दर्भ में पारदर्शी होता है हर शक्श,जब हम मिलते है तो हम पर पड़ता है एक दूसरे का अक्स. तब हम जुदा नही होते,ख्यालो में रहते औ सोच के व्योम में विचरते है...."
पुनः बधाई - सार गर्भित, सादी और सुन्दर पंक्तियों के लिए ! शाबाश !!

Safarchand ने कहा…

अपना अपना अंदाज़ जिंदगी का -- ज़ीने का मूलमंत्र है ज़रूर,मगर पाश्चात्य जिवाब शैली ! अपनी पंक्तियों में आपने इसे अति सशक्त भाव से व्यक्त किया है.बहुत बहुत बधाई ! तनिक इसे भी देखें:-
"आंसू और हंसी के सन्दर्भ में पारदर्शी होता है हर शक्श,जब हम मिलते है तो हम पर पड़ता है एक दूसरे का अक्स. तब हम जुदा नही होते,ख्यालो में रहते औ सोच के व्योम में विचरते है...."
पुनः बधाई - सार गर्भित, सादी और सुन्दर पंक्तियों के लिए ! शाबाश !!

Unknown ने कहा…

प्रभावशाली रचना |

"झारखण्ड की सैर"

kuldeep thakur ने कहा…

सुंदर रचना के लिये ब्लौग प्रसारण की ओर से शुभकामनाएं...
आप की ये खूबसूरत रचना आने वाले शनीवार यानी 19/10/2013 को ब्लौग प्रसारण पर भी लिंक की गयी है...

सूचनार्थ।

Dr. Shorya ने कहा…

बहुत सुंदर

Er. AMOD KUMAR ने कहा…

आपने इतनी सरलता से आपने ये कविता लिखी हैं कि पढ़ते के साथ नया जोश आ गया , आपकी ये पंक्ति तो मेरे दिल को छू गयी। "ज़िन्दगी जीने के सबके अंदाज़ जुदा हुआ करते हैं जानम !!!:

बहुत बहुत धन्यवाद वंदना जी

Er. AMOD KUMAR ने कहा…

आपने इतनी सरलता से आपने ये कविता लिखी हैं कि पढ़ते के साथ नया जोश आ गया , आपकी ये पंक्ति तो मेरे दिल को छूगयी। "ज़िन्दगी जीने के सबके अंदाज़ जुदा हुआ करते हैं जानम !!!:

बहुत बहुत धन्यवाद वंदना जी

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सशक्त भाव लिए सुंदर रचना !

RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत बढिया प्रस्तुति..

annapurna ने कहा…

बहुत बढ़िया भाव , बधाई आपको ।

विभूति" ने कहा…

बेहतरीन अभिवयक्ति.....

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर और प्रभावी रचना...