एक मुद्दत हुई
न अपना कोई धर्म बना पायी
न ही अपनी कोई जाति
जबकि पायी जाती है ये
हर धर्म और जाति में
क्योंकि संभव नहीं इसके बिना
सृष्टि की संरचना
जिसने जो धर्म बताया अपना लिया
जिसने जो जाति बताई अपना ली
जिसने जो घर बताया उम्र बिता दी
उसका धर्म क्या है
उसकी जाति क्या है
ओ समाज के ठेकेदारों
आओ उगलो उगलदानों में
पीक अपने तालिबानी फतवों की
क्योंकि एक मुद्दत से
निष्कासित है वो
घर , धर्म और जाति से
एक स्त्री का प्रश्न है ये ...........
न अपना कोई धर्म बना पायी
न ही अपनी कोई जाति
जबकि पायी जाती है ये
हर धर्म और जाति में
क्योंकि संभव नहीं इसके बिना
सृष्टि की संरचना
जिसने जो धर्म बताया अपना लिया
जिसने जो जाति बताई अपना ली
जिसने जो घर बताया उम्र बिता दी
उसका धर्म क्या है
उसकी जाति क्या है
ओ समाज के ठेकेदारों
आओ उगलो उगलदानों में
पीक अपने तालिबानी फतवों की
क्योंकि एक मुद्दत से
निष्कासित है वो
घर , धर्म और जाति से
एक स्त्री का प्रश्न है ये ...........