1
मेरे इर्द गिर्द टहलता है
कोई नगमे सा
मैं गुनगुनाऊं तो कहता है
रुक जरा
इस कमसिनी पर कुर्बान हो तो जाऊँ
जो वो एक बार मिले तो सही
खुदा की नेमत सा
मेरे इर्द गिर्द टहलता है
कोई नगमे सा
मैं गुनगुनाऊं तो कहता है
रुक जरा
इस कमसिनी पर कुर्बान हो तो जाऊँ
जो वो एक बार मिले तो सही
खुदा की नेमत सा
2
दिल अब न दरिया है न समंदर ...
तुम चीरो तो सही
शोख नज़रों के खंजर से
रक्स करती मिलेगी रूह की रक्कासा
उदासियों के उपवन में
दिल अब न दरिया है न समंदर ...
तुम चीरो तो सही
शोख नज़रों के खंजर से
रक्स करती मिलेगी रूह की रक्कासा
उदासियों के उपवन में
3
आओ आमीन कहें
और मोहब्बत के ख्वाबों को एक बोसा दे दें
कि
रुख हवाओं का बदलना लाज़िमी है
आओ आमीन कहें
और मोहब्बत के ख्वाबों को एक बोसा दे दें
कि
रुख हवाओं का बदलना लाज़िमी है
4
न रास्ते हैं न ख्वाब न मंजिलें
कहो, कहाँ चलें
कि उम्र फ़ना हो जाए और मोहब्बत सुर्खरू
न रास्ते हैं न ख्वाब न मंजिलें
कहो, कहाँ चलें
कि उम्र फ़ना हो जाए और मोहब्बत सुर्खरू
5
बिना किसी तालीम के हमने तो जी ली
कि
जो कायदों में बंधे
वो भला कैसी मोहब्बत
बिना किसी तालीम के हमने तो जी ली
कि
जो कायदों में बंधे
वो भला कैसी मोहब्बत