पृष्ठ

अनुमति जरूरी है

मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लोग से कोई भी पोस्ट कहीं ना लगाई जाये और ना ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये

my free copyright

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

सोमवार, 5 अक्टूबर 2020

जाने कब गूंगे हुए

जाने कब गूंगे हुए 
एक अरसा हुआ 
अब चाहकर भी जुबाँ साथ नहीं देती 
अपनी आवाज़ सुने भी गुजर चुकी हैं 
जैसे सदियाँ 

ये बात 
न मुल्क की है 
न उसके बाशिंदों की 

लोकतंत्र लगा रहा है उठक बैठक 
उनके पायतानों पर 
और उनके अट्टहास से गुंजायमान हैं 
दसों दिशाएँ 

उधर 
निश्चिन्त हो 
आज भी 
राघव पकड़ रहा है 
बंसी डाले पोखर में मछलियाँ ........