मुझे कुछ बात कहनी थी लेकिन मन कहीं ठहरे तो कहूँ
मुझे कुछ काम करने थे
लेकिन मन कहीं रुके तो करूँ
मुझे कुछ पहाड़ चढ़ने थे
लेकिन मन कहीं चले तो चलूँ
ये प्रान्त प्रान्त से निकलतीं नदियाँ
गंतव्य तक पहुँचने को आतुर
नहीं जानतीं
हर राह अंततः स्वयं तक पहुंचकर ही मुकम्मल होती है