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बुधवार, 19 फ़रवरी 2014

इंतज़ार की घड़ियाँ ख़त्म हुयीं

दोस्तों



इंतज़ार की घड़ियाँ ख़त्म हुयीं और हाजिर है " हिन्दी अकादमी दिल्ली " से स्वीकृत मेरी पुस्तक मेरी पुस्तक " बदलती सोच के नए अर्थ " आपके अपने जाने माने प्रकाशन हिन्द युग्म पर

हाल नंबर 18
स्टाल नंबर 14 

मूल्य मात्र ------ १२० रूपये

और मैं तो सभी दोस्तों से मिलने को आपकी सेवा में हाजिर रहूँगी ही 
 — 

6 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बधायी हो वन्दना जी!
--
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (20-02-2014) को जन्म जन्म की जेल { चर्चा - 1529 } में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत सुंदर,बधाई वंदना जी,,,

RECENT POST - आँसुओं की कीमत.

Onkar ने कहा…

बहुत बहुत बधाई

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत बधाई और शुभकामनाएं ...

pran sharma ने कहा…

HARDIK BADHAEE AUR SHUBH KAMNA
VANDANA JI .SAB KO AAPKEE LEKHNI
PAR GARV HAI .

pran sharma ने कहा…

HARDIK BADHAEE AUR SHUBH KAMNA
VANDANA JI .SAB KO AAPKEE LEKHNI
PAR GARV HAI .