जो कभी हुआ ही नहीं
जो कभी मिला ही नहीं
जिसका कोई वजूद रहा ही नहीं
मैने उस इश्क को पीया है
और जीया है साहिबा
यूँ अपने ही नाखूनों से अपनी ही खरोंचों को खरोंचना आसान नहीं होता
दिल धडकता भी हो
साँस आती भी हो
रूह पैबस्त भी हो
मैने हर उस लम्हे में
खुद को मरते देखा है साहिबा
यूँ अपने ही नाखूनों से अपनी ही खरोंचों को खरोंचना आसान नहीं होता
आँच जलती भी रही
रोटी पकती भी रही
भूख मिटती भी रही
मैने उस चूल्हे की तपन में
खुद को सेंका है साहिबा
यूँ अपने ही नाखूनों से अपनी ही खरोंचों को खरोंचना आसान नहीं होता
18 टिप्पणियां:
अच्छी रचना
बहुत मार्मिक रचना!
जिन्दगी का पूरा फलसफा है इस रचना में!
गीत और लय के साथ शद्बों को सजाया है। नाखून भी अपने होते है और खरौंचें भी अपनी। उन्हें दुबारा कुरेद कर ताजा करना सच में आसान नहीं होता। drvtshinde.blogspot.com
गीत और लय के साथ शद्बों को सजाया है। नाखून भी अपने होते है और खरौंचें भी अपनी। उन्हें दुबारा कुरेद कर ताजा करना सच में आसान नहीं होता। drvtshinde.blogspot.com
bahut badiya..
-बहुत बढिया
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (08 -04-2013) के चर्चा मंच 1208 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है | सूचनार्थ
आज की ब्लॉग बुलेटिन समाजवाद और कांग्रेस के बीच झूलता हमारा जनतंत्र... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
उत्कृष्ट रचना गहन अनुभूति
sundar rachana ....
बहुत गहरी संवेदनायें ...... मार्मिक
खुद को सेक के ही दूसरों के उदार की पूर्ती होती है ..
खुद को तिल तिल जलाना होता है कभी कभी ..
अर्थपूर्ण रचना ..
अपने ही दर्द को कुरेदना आसान नहीं ... पर प्यार वह भी कर लेता है साहिबा
जीवन की अनुभूतियों को व्यक्त करती सुन्दर रचना
LATEST POSTसपना और तुम
आसान नहीं यह दर्द ....
तप कर सोना निखरता है।
नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!
बहतरीन अभिव्यक्ति ...
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