अपनी अपेक्षाओं के सिन्धुओ पर
एक बाँध बना लो
क्योंकि जानते हो ना
सीमाएं सबकी निश्चित होती हैं
और सीमाओं को तोडना
या लांघना सबके वशीभूत नहीं होता
और तुम जो अपेक्षा के तट पर खड़े
मुझे निहार रहे हो
मुझमे उड़ान भरता आसमान देख रहे हो
शायद उतनी काबिलियत नहीं मुझमें
कहीं स्वप्न धराशायी न हो जाए
नींद के टूटने से पहले जान लो
इस हकीकत को
हर पंछी के उड़ान भरने की
दिशा , गति और दशा पहले से ही तय हुआ करती है
और मैं वो पंछी हूँ
जो घायल है
जिसमे संवेदनाएं मृतप्राय हो गयी हैं
शून्यता का समावेश हो गया है
कोई नवांकुर के फूटने की क्षीण सम्भावना भी नहीं दिखती
कोई उमंग ,कोई उल्लास ,कोई लालसा जन्म ही नहीं लेती
घायल अवस्था , बंजर जमीन और स्रोत का सूख जाना
बताओ तो ज़रा कोई भी आस का बीज तुम्हें दिख रहा है प्रस्फुटित होने को
ऐसे में कैसे तुम्हारी अपेक्षा की दुल्हन की माँग सिन्दूर से लाल हो सकती है .......ज़रा सोचना !!!
21 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया,उम्दा अभिव्यक्ति!!!
Recent post: तुम्हारा चेहरा ,
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...
waaaaaaaaaaah
निराशा की पराकाष्ठा है परन्तु आशा कभी मरती नहीं , ,सुसुप्त रहती समय के इन्तेजार में,फिर हरी हो जाती है -आपकी रचना में गहराई है .
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
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अपेक्षाओं का सिन्धु प्रवाहम़ान रहे, रुकेगा तो बाँध के दरकने का भय रहेगा।
सीमाओं में रहना ही सब सीख ले तो कोई समस्या ही न हो. सुंदर मनमोहक प्रस्तुति.
very expressive ........
अपेक्षा तो वैसे भी नहीं होतनी चाहिए ... यही मर्ज को बढ़ाती है ... बंधन में रखती है ... इससे मुक्ति जरूरी है ...
आस का बीज और बंजर जमीन ... क्या बात है !!!
वाह :)
साधू साधू
सोचने की ही आवश्यकता है अब..
सटीक अभिव्यक्ति
वंदना जी
जीवन के कई अर्थो को समेटा है आपने अपनी रचना में
बधाई
बहुत सुंदर प्रस्तुति .....
बहुत सुंदर प्रस्तुति .....
बहुत खूब लिखा आपने | बहुत ही सुन्दर शब्दावली द्वारा विचारों को अभिव्यक्त किया | पढ़कर अच्छा लगा | सादर
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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सागर पर बांध बनाना भी कठिन है ..... अप्रक्षाएं ही तो ज़िंदगी को कठिन बना देती हैं .... सुंदर प्रस्तुति
सागर पर बांध बनाना ही तो मुश्किल है .... अपेक्षाएँ ही तो ज़िंदगी को कठिन बना देती हैं .... सुंदर अभिव्यक्ति
sabse mushkil kaam to apne seema me band ke rahna hi hota hai, agr wo kar le tb to koi problem hi na rahe.
मैं अपेक्षाओं की संभावनाओं से ऊपर हूँ
या बहुत दूर चली आई हूँ .... मैं नहीं जानती
पर इतना जानती हूँ कि हर क्षण जो हादसे होते हैं
उन्होंने एक मृत रेखा खींच डाली है
और मैं शून्य में हूँ
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