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रविवार, 28 अप्रैल 2013

अपेक्षाओं के सिन्धु

सुनो 
अपनी अपेक्षाओं के सिन्धुओ पर 
एक बाँध बना लो 
क्योंकि जानते हो ना 
सीमाएं सबकी निश्चित होती हैं 
और सीमाओं को तोडना 
या लांघना सबके वशीभूत नहीं होता 
और तुम जो अपेक्षा के तट पर खड़े 
मुझे निहार रहे हो 
मुझमे उड़ान भरता आसमान देख रहे हो 
शायद उतनी काबिलियत नहीं मुझमें 
कहीं स्वप्न धराशायी न हो जाए 
नींद के टूटने से पहले जान लो 
इस हकीकत को 
हर पंछी के उड़ान भरने की 
दिशा , गति और दशा पहले से ही तय हुआ करती है 
और मैं वो पंछी हूँ 
जो घायल है 
जिसमे संवेदनाएं मृतप्राय हो गयी हैं 
शून्यता का समावेश हो गया है 
कोई नवांकुर के फूटने की क्षीण सम्भावना भी नहीं दिखती 
कोई उमंग ,कोई उल्लास ,कोई लालसा जन्म ही नहीं लेती 
घायल अवस्था , बंजर जमीन और स्रोत का सूख जाना 
बताओ तो ज़रा कोई भी आस का बीज तुम्हें दिख रहा है प्रस्फुटित होने को 
ऐसे में कैसे तुम्हारी अपेक्षा की दुल्हन की माँग सिन्दूर से लाल हो सकती है .......ज़रा सोचना !!!

21 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...

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  2. निराशा की पराकाष्ठा है परन्तु आशा कभी मरती नहीं , ,सुसुप्त रहती समय के इन्तेजार में,फिर हरी हो जाती है -आपकी रचना में गहराई है .
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest postजीवन संध्या
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  3. अपेक्षाओं का सिन्धु प्रवाहम़ान रहे, रुकेगा तो बाँध के दरकने का भय रहेगा।

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  4. सीमाओं में रहना ही सब सीख ले तो कोई समस्या ही न हो. सुंदर मनमोहक प्रस्तुति.

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  5. अपेक्षा तो वैसे भी नहीं होतनी चाहिए ... यही मर्ज को बढ़ाती है ... बंधन में रखती है ... इससे मुक्ति जरूरी है ...

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  6. सोचने की ही आवश्यकता है अब..

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  7. वंदना जी
    जीवन के कई अर्थो को समेटा है आपने अपनी रचना में
    बधाई

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  8. बहुत खूब लिखा आपने | बहुत ही सुन्दर शब्दावली द्वारा विचारों को अभिव्यक्त किया | पढ़कर अच्छा लगा | सादर

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  9. सागर पर बांध बनाना भी कठिन है ..... अप्रक्षाएं ही तो ज़िंदगी को कठिन बना देती हैं .... सुंदर प्रस्तुति

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  10. सागर पर बांध बनाना ही तो मुश्किल है .... अपेक्षाएँ ही तो ज़िंदगी को कठिन बना देती हैं .... सुंदर अभिव्यक्ति

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  11. sabse mushkil kaam to apne seema me band ke rahna hi hota hai, agr wo kar le tb to koi problem hi na rahe.

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  12. मैं अपेक्षाओं की संभावनाओं से ऊपर हूँ
    या बहुत दूर चली आई हूँ .... मैं नहीं जानती
    पर इतना जानती हूँ कि हर क्षण जो हादसे होते हैं
    उन्होंने एक मृत रेखा खींच डाली है
    और मैं शून्य में हूँ

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