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बुधवार, 17 अक्टूबर 2012

यूँ ही तो नहीं स्त्री को खुदा ने जननी का अधिकार दिया होगा

मिथक है 
स्त्री पुरुष होना
या एक सरंचना का उद्भव 
किसी कारण से होना
युगों से बांचते रहे हम
स्त्री पुरुष में अधिकार और कर्त्तव्य
मगर ना जान पाए उनके
समूचे अस्तित्व के आंकड़े
यूँ ही स्त्री नही हुआ जाता
उसके लिए सिर्फ 
समर्पण ही काफी नहीं था
किया था उसने उस वक्त 
कितना बड़ा त्याग
जब इन्द्र को हुआ था 
ब्रह्म हत्या का श्राप
कौन सा पुरुष आगे आया
उसकी ब्रह्म हत्या को 
चार भागों में था बांटा गया
उसमे से एक भाग
स्त्री को दिया गया
और उसने स्वीकार भी किया
क्यूँकि जानती थी वो
जनने की शक्ति से हो जाएगी आप्लावित
मस्तक उसका हो जायेगा गौरान्वित 
जो कार्य पुरुष नहीं कर पायेगा
स्त्री का मुख तेज की लालिमा से
उदीप्त हो जायेगा 
फिर कैसे पुरुष कर सकता है समानता 
किसी भी युग में ?
किसी भी काल में 
वरना तो स्त्री भी थी उतनी ही सशक्त
उतनी ही लोह हृदय 
जितना आज का पुरुष दिखता है
फिर चाहे वो होता नहीं लोह्पुरुष
सिर्फ अपने दंभ में चूर 
अपने मान के लिए
श्रेष्ठ साबित करने पर आमादा हो जाता है
नहीं जानता स्त्री का सच
यूँ ही स्त्री नहीं करती
त्याग और समर्पण
आज भी स्त्री है हर हाल में श्रेष्ठ
मगर उसने ना कभी जताया
जानती है .........जताने वाले कमजोर होते हैं 
हो हिम्मत तो एक बार
उसके आकार तक आकर देखो
उसकी ऊँचाइयों को छूकर देखो
गर कर पाओ ऐसा तब कहना
पुरुष है श्रेष्ठ ..............
शक्ति यूँ ही हर किसी में आप्लावित नहीं होती
सामर्थ्यवान  को ही ज्योतिपुंज सौंपा जाता है 
शक्तिमान भी शक्ति के बिना अधूरा माना जाता है 
फिर कहो पुरुष ! तुम हो कैसे स्त्री से श्रेष्ठ ?
कोई तो कारण रहा होगा ना 
यूँ ही तो नहीं स्त्री को खुदा ने जननी का अधिकार दिया होगा 

27 टिप्‍पणियां:

सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…

bahut hi saargarbhi rachanaa....antahhkaran se nikli hui..
is shrishtijagat ke do dhruv...gadi ke do pahiye...ek bhi kharab ho jaaye to jindgi ban jati hai narak...prem pyar dhairya ki prateek.."janani" hone ke naate poojya...bharya swaroop me keval bhogya samajh apni uttamta sabit karna!!!!! kya kahiyega...NAVRATRI PARV KI HARDIK BADHAAI...SUNDAR RACHNA...

इमरान अंसारी ने कहा…

वाह बहुत खुबसूरत।

rajendra singh dogra ने कहा…

aapko kisane kahaa ki purush shreshth hai sttri se...

vandana gupta ने कहा…

@rajendra singh dogra जी पुरुष यही सिद्ध करने मे लगा रहता है कहेगा कौन ? क्या हमे नही दिखता ? आपको भी पता है और हमे भी बस वो ही सच कहा है

सदा ने कहा…

बेहद सशक्‍त लेखन ...

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर बात कही वंदना जी....

मगर पुरुष कहें और समझे तो बात बने...
बहुत अच्छी रचना...
आभार
अनु

Unknown ने कहा…

स्त्री शक्ति का अतिसुन्दर विश्लेसन.....
अच्छी रचना के लिए बधाई।।।।।

Unknown ने कहा…

स्त्री शक्ति का अतिसुन्दर विश्लेसन.....
अच्छी रचना के लिए बधाई।।।।।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

प्रतिस्पर्धा का प्रश्न ही नहीं .... सम्मान की बात है
दोनों अपनी अपनी परिधि में श्रेष्ठ हैं

Unknown ने कहा…

भावपूर्ण और सोचने को विवश करती सार्थक और सशक्त रचना |

नई पोस्ट:- हे माँ दुर्गा

रश्मि प्रभा... ने कहा…

http://vyakhyaa.blogspot.in/2012/10/blog-post_17.html

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

शत प्रतिशत सहमत!!

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

jise kami ka aabhaas hota hai vahi to shor jyada machata hai...kabhi saksham insan ko apne geet gate nahi suna hoga.....to jag jahir hai ki purush isiliye dhol jyada peetTa hai sarv-shaktimaan hone ka taki vo apni kamiyon ko chhupa sake.

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

achchhe ahsaas... par sahmat nahi hoon..

girish pankaj ने कहा…

स्त्री के अवदान पर सार्थक विमर्श है यह...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति!

विभूति" ने कहा…

सशक्त और प्रभावशाली प्रस्तुती....

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

रश्मि जी की बात से सहमत .... सशक्त लेखन

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच है, यूँ ही अधिकार नहीं दिये जाते।

Ramakant Singh ने कहा…

कहीं भी कुछ कहने की ज़रूरत नहीं . स्त्री माँ, बहन, बेटी, पत्नी, और मित्र की भूमिका और जीवन के साथ सदा श्रेष्ठ है . फिर दंभ कोई क्यों करे .

pran sharma ने कहा…

vichaar pradhaan kavita ke liye
aapko badhaaee .

kshama ने कहा…

Likhtee raho....ham padhte rahenge!

मनोज कुमार ने कहा…

विचारोत्तेजक कविता।

Onkar ने कहा…

खूबसूरत रचना.

Asha Joglekar ने कहा…

यूं ही नही मिला स्त्री को जननी होने का अधिकार । सार्थक रचना, अलग सी भी ।

रचना दीक्षित ने कहा…

वाह वाह वाह ...

कहो पुरुष ! तुम हो कैसे स्त्री से श्रेष्ठ ?
कोई तो कारण रहा होगा ना
यूँ ही तो नहीं स्त्री को खुदा ने
जननी का अधिकार दिया होगा.

बहुत सुंदर प्रस्तुति.