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सोमवार, 10 अक्टूबर 2011

तोड़ दी हैं आज मैंने तेरी यादों की चूड़ियाँ

तोड़ दी हैं आज मैंने
तेरी यादों की चूड़ियाँ
जिसमे तुमने अपने 
प्रेम की लाख भरी थी 
सुनहरे वादों के रंगों से
जिनमे रंग भरा था 
ये कहकर 
देखो इनमे मेरा 
दिल धडकता है
सहेज कर रखना
ये सुनहरी रंग 
तुम्हारे हाथों  पर
खूब फबता है
देखो कभी 
फीका ना पड़े
और मैंने वो 
सुनहरी रंग आज तक
सहेजा हुआ है
अपनी याद का बिछावन बनाकर
और याद है
तुमने कहा था
ये लाल रंग 
तुम्हारी धडकनों  का है
जिसमे मेरा वजूद सांस लेता है
देखो उससे  मैंने आज तक
अपनी यादों की माँग सजा रखी है
ताकि तुम्हारी चाहत दीर्घायु रहे
और वो हरा रंग
तुम्हारी हरी भरी मोहब्बत का प्रतीक
कहा था ना तुमने
मोहब्बत हरी भरी ही अच्छी लगती है
देखो तो 
आज तक मैंने
मोहब्बत की जमीन पर 
यादों की मखमली  घास उगा रखी है 
ताकि जब भी तुम आओ 
तो नर्म नाजुक रेशमी अहसास
ही तुम्हारा स्वागत करें
मगर तुमने तो जैसे
यादों से भी किनारा कर लिया है
तभी तो तुम ना खुद आये 
ना यादों को आने दिया
और मैं यादों की संदूकची में 
तुम्हारे प्रेम की चूड़ियाँ सजाये
इंतज़ार का घूंघट ओढ़े 
चौखट पर खडी मूरत बन गयी
मैंने तो सिर्फ कांच की चूड़ियाँ 
ही संजोयी थीं
खनक के लिए
क्या पता था 
तुमने कभी कोई दस्तक सुनी ही नहीं
या सुननी ही नहीं चाही
आखिर कब तक सहेजती
रंग फीके पड़ जाते 
उससे पहले 
तोड़ दीं मैंने खुद ही आज
तुम्हारी यादों की चूड़ियाँ
और हो गयी आज़ाद
कब सबका सौभाग्य अखंड रहता है 
आखिर टूटना तो चूड़ियों की नियति होती है ना .............



24 टिप्‍पणियां:

ZEAL ने कहा…

very touching post. kabhi na kabhi to swayam ko har bandhan se mukt karna hi hota hai.

सदा ने कहा…

आखिर टूटना तो चूडि़यों की नियित होती है न ...
बेहतरीन भाव संयोजन ...।

निर्झर'नीर ने कहा…

आखिर एक दिन तो टूटना ही था ..बहुत सुन्दर ,मन के मर्म का खूब समावेश किया है शब्दों में
यक़ीनन काबिल-ए-दाद
क़ुबूल करें

Maheshwari kaneri ने कहा…

आखिर टूटना तो चूड़ियों की नियति होती है ना ....बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति....आभार

Pallavi saxena ने कहा…

वाकई बहुत गहरे और खूबसूरत भाव zeal जी की बात से पूरी तरह सहमत हूँ

Unknown ने कहा…

बहुत बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....चूड़ियों की तरह नाजुक यादों के टूटने की अनूठी कल्पना का समावेश किया आपने अपनी अति भावपूर्ण रचना में ..हार्दिक शुभकामनायें

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

बढ़िया कविता... बहुत सुन्दर... चूड़ियों के विम्ब को नए तरह से उपयोग किया गया है...

Human ने कहा…

भावनाओं का बेहतरीन संयोजन ,बहुत ही उम्दा रचना लिखी है आपने वंदना जी,बधाई!

mridula pradhan ने कहा…

marmik......

मनोज कुमार ने कहा…

बन्धन से मुक्त होने की आकांक्षा को लक्षित यह रचना अपने भाव सशक्त स्वर में व्यक्त करती है।

रचना दीक्षित ने कहा…

ऐसा किसी के साथ ना हो. सारगर्भित सुंदर प्रस्तुति.

बधाई.

Unknown ने कहा…

वंदना जी , एक बेहतरीन काव्य रचना की है आपने. पंक्तियों में जहाँ भर का दर्द है कमल मन का दर्द अंतर अहसासों का खूबसूरत चित्रण बधाई

वाणी गीत ने कहा…

यादों की चूड़ियाँ ...लाल -हरी ...टूटना जैसे रंग बिरंगी यादों का बिखरना ...
नवीन बिम्ब !

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

बहुत ही दर्द भरी अभिव्यक्ति।पर कया?
आसान है ?यादों से मुक्त होना ?

***Punam*** ने कहा…

पूरी की पूरी रचना ही जैसे आग है...

किसी का इंतज़ार किसी को कैसे तोड़ देता है....

न जाने कितने विचार ज्वार-भाटों से जेहन में दौड़ जाते हैं...!

सहज अनुमान लगाया जा सकता है आपकी रचना के द्वारा...!!

और फिर समापन भी खुद के हाथों या समझिये

पूर्ण आहुति अपने भावों की,अपने इंतज़ार की

और एक तरह से अपने समर्पण की भी...!!

शायद ही कोई इसे गहराई तक समझ सके...!!

hats of to you .....!!!

वीरेन्द्र जैन ने कहा…

bhavpurna abhivyakti...bahut bahut badhai ...Vandana ji..

LOKEN ने कहा…

SUch a mindblowing poetry this is. I have no words to say but SALUTE.
- Lokendra, Nepal

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

:)...har baar ek naya dikhta pyar!

बेनामी ने कहा…

सुन्दर भावों को दर्शाती एक सुन्दर पोस्ट|

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

behad maarmik rachna, yaadon ke bandhan se aazaadi man ki tutan hai par niyati bhi. shubhkaamnaayen Vandana ji.

Urmi ने कहा…

बेहद ख़ूबसूरत और भावपूर्ण अभिव्यक्ति! लाजवाब रचना!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति

Rajesh Kumari ने कहा…

bahut hi marmik abhivyakti.jo yaad jaan ki dushman ban jaaye use bhula hi dena chahiye.

PRIYANKA RATHORE ने कहा…

dil ka derd bahut khoobsurati se bayan huaa hai...aabhar