तोड़ दी हैं आज मैंने
तेरी यादों की चूड़ियाँ
जिसमे तुमने अपने
प्रेम की लाख भरी थी
सुनहरे वादों के रंगों से
जिनमे रंग भरा था
ये कहकर
देखो इनमे मेरा
दिल धडकता है
सहेज कर रखना
ये सुनहरी रंग
तुम्हारे हाथों पर
खूब फबता है
देखो कभी
फीका ना पड़े
और मैंने वो
सुनहरी रंग आज तक
सहेजा हुआ है
अपनी याद का बिछावन बनाकर
और याद है
तुमने कहा था
ये लाल रंग
तुम्हारी धडकनों का है
जिसमे मेरा वजूद सांस लेता है
देखो उससे मैंने आज तक
अपनी यादों की माँग सजा रखी है
ताकि तुम्हारी चाहत दीर्घायु रहे
और वो हरा रंग
तुम्हारी हरी भरी मोहब्बत का प्रतीक
कहा था ना तुमने
मोहब्बत हरी भरी ही अच्छी लगती है
देखो तो
आज तक मैंने
मोहब्बत की जमीन पर
यादों की मखमली घास उगा रखी है
ताकि जब भी तुम आओ
तो नर्म नाजुक रेशमी अहसास
ही तुम्हारा स्वागत करें
मगर तुमने तो जैसे
यादों से भी किनारा कर लिया है
तभी तो तुम ना खुद आये
ना यादों को आने दिया
और मैं यादों की संदूकची में
तुम्हारे प्रेम की चूड़ियाँ सजाये
इंतज़ार का घूंघट ओढ़े
चौखट पर खडी मूरत बन गयी
मैंने तो सिर्फ कांच की चूड़ियाँ
ही संजोयी थीं
खनक के लिए
क्या पता था
तुमने कभी कोई दस्तक सुनी ही नहीं
या सुननी ही नहीं चाही
आखिर कब तक सहेजती
रंग फीके पड़ जाते
उससे पहले
तोड़ दीं मैंने खुद ही आज
तुम्हारी यादों की चूड़ियाँ
और हो गयी आज़ाद
कब सबका सौभाग्य अखंड रहता है
आखिर टूटना तो चूड़ियों की नियति होती है ना .............
very touching post. kabhi na kabhi to swayam ko har bandhan se mukt karna hi hota hai.
जवाब देंहटाएंआखिर टूटना तो चूडि़यों की नियित होती है न ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव संयोजन ...।
आखिर एक दिन तो टूटना ही था ..बहुत सुन्दर ,मन के मर्म का खूब समावेश किया है शब्दों में
जवाब देंहटाएंयक़ीनन काबिल-ए-दाद
क़ुबूल करें
आखिर टूटना तो चूड़ियों की नियति होती है ना ....बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति....आभार
जवाब देंहटाएंवाकई बहुत गहरे और खूबसूरत भाव zeal जी की बात से पूरी तरह सहमत हूँ
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....चूड़ियों की तरह नाजुक यादों के टूटने की अनूठी कल्पना का समावेश किया आपने अपनी अति भावपूर्ण रचना में ..हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबढ़िया कविता... बहुत सुन्दर... चूड़ियों के विम्ब को नए तरह से उपयोग किया गया है...
जवाब देंहटाएंभावनाओं का बेहतरीन संयोजन ,बहुत ही उम्दा रचना लिखी है आपने वंदना जी,बधाई!
जवाब देंहटाएंmarmik......
जवाब देंहटाएंबन्धन से मुक्त होने की आकांक्षा को लक्षित यह रचना अपने भाव सशक्त स्वर में व्यक्त करती है।
जवाब देंहटाएंऐसा किसी के साथ ना हो. सारगर्भित सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबधाई.
वंदना जी , एक बेहतरीन काव्य रचना की है आपने. पंक्तियों में जहाँ भर का दर्द है कमल मन का दर्द अंतर अहसासों का खूबसूरत चित्रण बधाई
जवाब देंहटाएंयादों की चूड़ियाँ ...लाल -हरी ...टूटना जैसे रंग बिरंगी यादों का बिखरना ...
जवाब देंहटाएंनवीन बिम्ब !
बहुत ही दर्द भरी अभिव्यक्ति।पर कया?
जवाब देंहटाएंआसान है ?यादों से मुक्त होना ?
पूरी की पूरी रचना ही जैसे आग है...
जवाब देंहटाएंकिसी का इंतज़ार किसी को कैसे तोड़ देता है....
न जाने कितने विचार ज्वार-भाटों से जेहन में दौड़ जाते हैं...!
सहज अनुमान लगाया जा सकता है आपकी रचना के द्वारा...!!
और फिर समापन भी खुद के हाथों या समझिये
पूर्ण आहुति अपने भावों की,अपने इंतज़ार की
और एक तरह से अपने समर्पण की भी...!!
शायद ही कोई इसे गहराई तक समझ सके...!!
hats of to you .....!!!
bhavpurna abhivyakti...bahut bahut badhai ...Vandana ji..
जवाब देंहटाएंSUch a mindblowing poetry this is. I have no words to say but SALUTE.
जवाब देंहटाएं- Lokendra, Nepal
:)...har baar ek naya dikhta pyar!
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावों को दर्शाती एक सुन्दर पोस्ट|
जवाब देंहटाएंbehad maarmik rachna, yaadon ke bandhan se aazaadi man ki tutan hai par niyati bhi. shubhkaamnaayen Vandana ji.
जवाब देंहटाएंबेहद ख़ूबसूरत और भावपूर्ण अभिव्यक्ति! लाजवाब रचना!
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंbahut hi marmik abhivyakti.jo yaad jaan ki dushman ban jaaye use bhula hi dena chahiye.
जवाब देंहटाएंdil ka derd bahut khoobsurati se bayan huaa hai...aabhar
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