ए ………सुनो
बहुत कहना चाह
रहा है आज ये दिल
मगर शब्द साथ
नही दे रहे
ना जाने कौन सी
खोह मे छुप गये
ज़रा देखना
तुम्हारे दिल के
पास तो नही
टहलने आ गये
ज़रा देखना
तुमसे तो
नही गुफ़्तगू
कर रहे
मेरे दिल की तो
कहीं नही कह रहे
ज़रा देखना
कोई नया
फ़साना तो नही
गढ रहे
ये शब्द बहुत
बेईमान हो गये है
आजकल
जब भी देखते हैं तुम्हे
मेरा दामन छोड
तुम्हारे पहलू मे
सिमट आते हैं
बताओ ना
कौन सी
रिश्वत देते हो
40 टिप्पणियां:
"ये शब्द बहुत
बेईमान हो गये है
आजकल
जब भी देखते हैं तुम्हे
मेरा दामन छोड
तुम्हारे पहलू मे
सिमट आते हैं"
-- सुन्दर कल्पना .... बधाई वंदना जी !!!
"ये शब्द बहुत
बेईमान हो गये है
आजकल
जब भी देखते हैं तुम्हे
मेरा दामन छोड
तुम्हारे पहलू मे
सिमट आते हैं"
-- सुन्दर कल्पना .... बधाई वंदना जी !!!
"ये शब्द बहुत
बेईमान हो गये है
आजकल
जब भी देखते हैं तुम्हे
मेरा दामन छोड
तुम्हारे पहलू मे
सिमट आते हैं"
-- सुन्दर कल्पना .... बधाई वंदना जी !!!
ये शब्द बहुत
बेईमान हो गये है
आजकल
जब भी देखते हैं तुम्हे
मेरा दामन छोड
तुम्हारे पहलू मे
सिमट आते हैं"
सही कहा है आपने ..भाव कुछ और होता है लेकिन शब्द कुछ और ....सुंदर भाव का सम्प्रेषण ....आपका आभार
वन्दना जी,
बहुत अच्छी रचना है...एक संदेश दे रही है. बधाई स्वीकार करें।
कितनी अच्छी और सच्ची बातें कितनी सहजता से कह जाती हैं आप !
बहुत सुन्दर रचना
आद.वंदना जी,
कविता में ढल कर शब्द जैसे प्राणवान हो गए हैं !
सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार !
रिश्वत प्यार की।
ज़रा देखना
तुमसे तो
नही गुफ़्तगू
कर रहे
मेरे दिल की तो
कहीं नही कह रहे
बहुत ही बढ़िया .
सादर
:):)...kahan se late ho aise shabd!
pyari si rachna...!
"ये शब्द बहुत
बेईमान हो गये है
आजकल
जब भी देखते हैं तुम्हे
मेरा दामन छोड
तुम्हारे पहलू मे
सिमट आते हैं"
वाह! वाह! क्या भाव हैं. सुंदर, अति सुंदर.
बहुत ही सुंदरता से संजोयी गयी रचना...
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना। बधाई।
shabdon par yah upalambh...bahut meetha hai.
यह रिश्वत मिलती तो आपको है पर असर शब्दों पर हो जाता है >>>:):)
बहुत कोमल सी अभिव्यक्ति
hmm सब रिश्वत खोर हो गए हैं आजकल :)
बहुत प्यारी सी रचना.
शब्द भी अपने न रहे...
वंदना जी,नमस्कार.
शब्द भी सामाजिक परिवेश से प्रभावित हुए लगते है."बेईमान " और "रिश्वत" शब्द के प्रयोग ने अर्थ को अत्यंत प्रभावशाली बना दिया है.वैसे भी आपकी रचनाएँ मन को छू जाती है.सुंदर.
Bahut pyaree,bholee-si rachana!
वाह......शब्दों की जादूगरी है......मोहने की कला.....बहुत खूब |
ये शब्द बहुत
बेईमान हो गये है
आजकल
जब भी देखते हैं तुम्हे
मेरा दामन छोड
तुम्हारे पहलू मे
सिमट आते हैं"
वाह ... नि:शब्द करती यह पंक्तियां ..।
बहुत शानदार और जानदार रचना लिखी है आपने!
सुंदर भाव लिए हुए सशक्त प्रस्तुति
बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद
kaun hai vo??????
जाट देवता की राम-राम,
लोग भी बेइमान हो गये है अब तो।
bhavnaon ka pravah gatishilata ko nirantar gati pradan karta hua. bahut sundar rachana ji. badhayi.
मेरा दामन छोड़ कर तुम्हारे पहलू में आ गए ...
ये बेईमान शब्द कौन सा नया फ़साना गढ़ने वाले हैं ...
कितनी प्यारी शिकायत है और संदेसा किसी नयी रचना का ..
रोचक ...!
यही तो राज है...आभार..
शब्दों में जान फूंक दी आपने , वाह.
shabdon ke sarokar prabhawi hain , aur rishwat to aapko mil hi gayee !
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
'बताओ न
कौन सी
रिश्वत देते हो '
************
भाव और शब्द शिल्प अद्भुत....विह्वल प्रस्तुति
बहुत अच्छा अंदाज़ । बहुत सुंदर रचना ।
सदियों पुराना प्रश्न।
सारी जादूगरी शब्दों की है...
कोई उन्हीं को अपनी पतवार बनाता है तो कोई ढाल
कोई उन्हीं से तीर चलाता है तो कोई तलवार ...
निर्भर करता है शब्दों का इस्तेमाल करने वाले पर कि उन्हें कब कहाँ और कैसे उपयोग में लाये ....
खूबसूरत..!!
one word......excellent.
vandana ji ,
ye ek naya pryaas hai aapka , jo ki ek dialogue format me hote hue bhi nahi hai .. aur kavita me chupi hui hai man ki baat ko ujagar karte hai . aapke is naye prayaas ke liye aapko bahut bahdyi ..
badhayi
मेरी नयी कविता " परायो के घर " पर आप का स्वागत है .
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/04/blog-post_24.html
बढ़िया कविता
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