आज तेरे
अह्सास का
छूकर निकल जाना
अन्दर तक
तडपा गया
मुझसे मुझे
चुरा ले गया
तेरी चाहत की बदली
दिल पर छा गयी
हर धडकन की
गूँज भिगो गयी
अहसास से
तपते दिल
के काँच पर
पडती एक
बूँद तेरे प्यार की
कहीं कुछ
तडका गयी
जैसे आईना कोई
चटका गया
हर अंग शिथिल
कर गया मगर
आंखियो मे ठांठें
मारता सागर
ना रोक पाया
उसे ना शिथिल
कर पाया
शायद तेरा ना होना
ही तेरे होने का
अहसास कराता है
और तेरे अह्सास
की डोर मे
मेरे जज़्बातों को
बाँध ले जाता है
ओ अनदेखे अहसास!
तू दूर होकर भी
पास होता है
मेरी रूह
मेरे ख्यालो मे
बहते तेरे
अन्छुये स्पर्श
मुझे सिहरा
जाते हैं
और तेरे होने
का अह्सास
करा जाते हैं
ये कैसे
अहसास हैं
जो हर
स्पन्दन को
स्पन्दित कर जाते हैं
कहाँ हो
कौन हो
नही जानती
मगर फिर भी
जैसे भीड मे भी
तुम्हे पहचानती हूँ
कैसे अहसास हो
जो मुझे मुझसे
छीने जाते हो
और तडप को
मेरी और
तडपा जाते हो
यादों को
दिल के कोने मे
छुपा लेती हूँ
अहसासों को भी
अहसास नही होने देती
क्योंकि कुछ अहसास
सिर्फ़ रूह की थाती होते हैं
33 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर आभासी दुनिया का चित्रण!
--
आपके गद्यगीत बहुत बढ़िया होते हैं!
bilkul sahi kaha hai aapne kuchh ahsas keval hrdy me sanjoi rakhne ke liye hi hote hain .sundar abhivyakti hetu badhai .
BAHUT KHOOB ! ANTIM PANKTIYAA BAHUT SUNDAR HAIN .
आदरणीय वन्दना जी
नमस्कार !
बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...
वंदना जी,
सुन्दर भावों से सजी पोस्ट.....
एक एक लफ्ज़ पहली बारिश की बूंद जैसे
सुन्दर प्रवाहमयी गद्यगीत।
sundar ahasaas...dil ko chhu lenevali rachna...bahut khoob.
बहुत खूब कहा है ...।
एहसासों के नाम ये खत बहुत कुछ कह गया ..सुन्दर अभिव्यक्ति
"यादों को दिल के कोने मे छुपा लेती हूँ अहसासों को भी अहसास नही होने देती क्योंकि कुछ अहसास सिर्फ़ रूह की थाती होते हैं"
आपके सुन्दर अहसास रूह का अहसास कराते है.
क्या बात है वंदना जी.शानदार,अनुपम.
आदरणीया वंदना जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
बहुत भीतर तक छू लेने वाली रचना है-
आज तेरे अह्सास का छूकर निकल जाना
अन्दर तक तडपा गया
मुझसे मुझे चुरा ले गया…
संवेदना से भर पूर …
तू दूर हो'कर भी पास होता है
मेरी रूह मेरे ख्यालो में बहते
तेरे अनछुए स्पर्श
मुझे सिहरा जाते हैं
और तेरे होने का अह्सास करा जाते हैं
…सुंदर रचना के लिए आभार !
* श्रीरामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं ! *
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सुंदर रचना..
एक खूबसूरत कविता... हवा के झोंके सा एहसास देती कविता !
अनदेखे अहसासों को शब्द देना तो कोई आपसे सिखे....रोम रोम में बस गयी ये रचना...लाजवाब।
क्योंकि कुछ अहसास सिर्फ़ रूह की थाती होते हैं...
Behtreen....
Tadap andartak mehsoos huee! Kamaal ka likhtee ho...baar,baar padhee ye rachana!
वदना जी,
अहसास का बहुत खूबसूरत चित्रण किया है आप ने..बहुत सुंदर रचना!!
बेहद खूबसूरत भावाभिव्यक्ति ! रचना का हर अहसास मन को भिगो गया ! बहुत बहुत बधाई !
कुछ अहसास सिर्फ़ रूह की थाती होते हैं... sach me
"क्योंकि कुछ एहसास
सिर्फ रूह की थाती होते हैं"
एहसास का सुन्दर चित्रण....
फिर भी कुछ बाकी रह जाता है
एहसास कब पूरी तरह बयां हो पाते हैं..
बहुत ही भावुक और मन को छू लेने वाली रचना..!!
मेरे मन के बहुत करीब...
शुक्रिया!!
हवा के झोंके सा एहसास देती सुन्दर कविता| धन्यवाद|
अहसासों को भी
अहसास नही होने देती
अनुभूत सत्य को अभिव्यक्त करती रचना ..अंतिम पंक्तियाँ बहुत सुंदर अहसासों से परिपूर्ण ...आपका शुक्रिया
बहुत ही खूबसूरत रचना....सुंदर भावों के साथ सुंदर शब्द
kamaal ka likhi hain......
la---javaab..
भावमई कविता सुन्दर भावों को संजोये हुवे....
मेरे जज़्बातों को बाँध ले जाता है
ओ अनदेखे अहसास!
तू दूर होकर भी पास होता है.....
शब्द-शब्द संवेदना भरा है...
क्यों कुछ अहसास सिर्फ रूह की थाती होती है
क्यांेकि यही तो प्रेम की बाती होती है।
आभार
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
aapki rachnayen hamesha ahsas se paripooran hoti hain...
मेरे जज़्बातों को बाँध ले जाता है
ओ अनदेखे अहसास!
तू दूर होकर भी पास होता है.....
संवेदनाओं से ओत प्रोत.
"सुगना फाऊंडेशन जोधपुर" "हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम" "ब्लॉग की ख़बरें" और"आज का आगरा" ब्लॉग की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को " "भगवान महावीर जयन्ति"" की बहुत बहुत शुभकामनाये !
सवाई सिंह राजपुरोहित
sabhi rachnaoo per alag alag comment nahi kar rahi per sabhi bahutsunder hai
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