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बुधवार, 17 मार्च 2010

तेरे पास

सुन 
तेरे चेहरे पर 
गुलाब सी खिली 
मधुर स्मित 
नज़र आती है मुझे
जब तू दूर -बहुत दूर
निंदिया के आगोश में
स्वप्नों के आरामगाह में
विचरण कर रहा होता है
तेरे सीने के मचलते ज्वार 
यहीं भिगो जाते हैं मुझे 
मेरे तड़पते जज्बातों को 
तेरी बेखुदी में
महकते ख्याल 
तेरे अहसासों की
 लोरियां सुना 
जाते हैं मुझे
तेरी धड़कन की 
हर आवाज़ सुना 
करती हूँ
तेरे हर पैगाम को
पढ़ा करती हूँ
और मैं यहीं 
तुझसे दूर होकर भी
तेरे पास होती हूँ

36 टिप्‍पणियां:

LIMTY KAHRE ने कहा…

kya bat hai vandna jee tussi cha gaye jee bahut he badiya wah wah . . .

LIMTY KAHRE ने कहा…

kya bat hai vandna jee tussi cha gaye jee bahut he badiya wah wah . . .

Neeraj Kumar ने कहा…

भावपूर्ण रचना और अत्यधिक सुन्दर और स्वच्छ शब्दों का प्रयोग... और क्या कहूँ... बढ़िया कविता के लिए धन्यवाद...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

तेरे हर पैगाम को
पढ़ा करती हूँ
और मैं यहीं
तुझसे दूर होकर भी
तेरे पास होती हूँ


बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
समर्पण की भावना जगाती पोस्ट!

kshama ने कहा…

Mere paas to shabdhee nahee...kya kahun?

रंजू भाटिया ने कहा…

वाह बहुत सुन्दर एहसास है इस में बढ़िया लिखा है आपने शुक्रिया

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

ऐसी कविता लिखने के बाद शीर्षक में ही लिख दिया करो कि बुढ़ापे की और बढ़ रहे लोग इसे ना पढे। केवल व्‍यस्‍कों के लिए। मजाक कर रही हूँ क्‍योंकि ऐसी बाते जरा पल्‍ले नहीं पड़ती है। लेकिन अभिव्‍यक्ति अच्‍छी है।

पी के शर्मा ने कहा…

वाह
क्‍या बात है
बहुत सुंदर
इसी लिए तो नारी को महान कहा गया है
ऐसे भावपूर्ण विचारों की अभिव्‍यक्ति ....
वाह वाह वाह

rashmi ravija ने कहा…

तुझसे दूर होकर भी
तेरे पास होती हूँ
बहुत ही सुन्दर भाव लिए....ख़ूबसूरत रचना

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) ने कहा…

सच में वंदना जी ये भाव तभी आते है जब प्रिय और प्रेमिका में द्वैत का भाव शून्य हो जाता है अर्थात एकीकार हो जाते है,, तब दो चेतनाए समन्वय प्राप्त कर लेती है बहुत बेहतरीन कविता
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत ही सुंदर रचना.

रामराम.

बेनामी ने कहा…

तेरे सीने के मचलते ज्वार
यहीं भिगो जाते हैं मुझे
मेरे तड़पते जज्बातों को
...
और मैं यहीं
तुझसे दूर होकर भी
तेरे पास होती हूँ
प्रवीण शुक्ल जी ने कह ही दिया है

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत भावपूर्ण रचना....सुन्दर अभिव्यक्ति

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

tujhase door hoote huye bhi terepass hone ka ahasas kar leti hun main.wah,wah vandana ji aapaneto apani is kavita me maano apane saare jajbaato ko nichod kat rakh diya hai.bahut hi umdaa.
poonam

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

बेहतरीन कविता,वंदना जी

रश्मि प्रभा... ने कहा…

kareebi ehsaason ki kareebi gungunahat

shikha varshney ने कहा…

bahvpurn sundar abhivyakti

M VERMA ने कहा…

तुझसे दूर होकर भी
तेरे पास होती हूँ

भौतिक दूरी मायने नहीं अगर आत्मिक नजदीकी हो तो.
बहुत सुन्दर

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

dil ki gahraiyon se nikli behad khoobsurat abhivyakti.

Dev ने कहा…

लाजवाब प्रस्तुति .........बहुत खूब

अनिल कान्त ने कहा…

khoobsurat ehsaason se saji rachna

ललितमोहन त्रिवेदी ने कहा…

एकाकार होने की भावपूर्ण अभिव्यक्ति ! रचना सुन्दर है वंदना जी !

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन रचना!

कडुवासच ने कहा…

...बेहतरीन अभिव्यक्ति!!

Kusum Thakur ने कहा…

"तुझसे दूर होकर भी
तेरे पास होती हूँ"

वाह, बहुत सुन्दर भाव लिए हुए .......!

समय चक्र ने कहा…

बहुत भावपूर्ण रचना...

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

वन्दना जी
अंत बहुत अच्छा लगा 1कहां से लाती हैं आप अह्सास का दरिया जो हमारा सब को बहा कर ले जाता है
सुमन ‘मीत’

दीपक 'मशाल' ने कहा…

ye kavita to ek maa ke apne bete ke bare me khyaal si bhi lagti hai..
:) sundar rahi ye bhi

Pardeep Rana ने कहा…

wah kya likhti hain vandna ji. Mujhe to ye bahut acha laga

pardeep rana ने कहा…

wah kya likhti hain vandna ji aap. hume to ye bahut acha laga.

Akhilesh pal blog ने कहा…

bhavana se paripurn aap kee kavitaa hai atee sundar

सुशीला पुरी ने कहा…

अत्यंत भावुक रचना ........

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मैं यहीं
तुझसे दूर होकर भी
तेरे पास होती हूँ

अक्सर प्यार में ऐसा होता है ... खूबसूरत एहसास हैं ,....

Kulwant Happy ने कहा…

अद्भुत। मन को छूती रचना।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (30-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ...!

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव
मन को छू लेनेवाली रचना...
बहुत ही सुन्दर....
:-)