प्यार , प्यार होता है
शरीरी नही होता
क्यूँ प्यार का
एक ही अर्थ
लगाती है दुनिया
प्यार बहन से, माँ से,
पत्नी से , प्रेमिका से ,
बेटे से , बेटी से
भी होता है
मगर प्यार, प्यार होता है
शरीरी नही होता
प्यार में
रिश्ते के नाम की
पट्टी हो
ये जरूरी तो नही
उसका अर्थ तो
एक ही होता है
भावनाओं की दिशा
तो वो ही है
फिर प्यार शब्द से
क्यूँ डरती है दुनिया
क्यूँ तोहमतों के बाज़ार
लगा देती है दुनिया
प्यार तो प्यार होता है
शरीरी नही होता
क्यूँ वासना के तराजू में
तोलती है दुनिया
क्यूँ अश्लीलता के पैबंद
लगाती है दुनिया
प्यार तो प्यार होता है
शरीरी नही होता
प्यार तो इबादत होता है
क्यूँ व्यापार बना देती है दुनिया
क्यूँ प्यार शब्द के
उच्चारण से ही
बबाल मचा देती है दुनिया
प्यार तो प्यार होता है
शरीरी नही होता
प्यार मीरा सा भी होता है
प्यार राधा सा भी होता है
प्यार सुदामा सा भी होता है
प्यार उद्धव सा भी होता है
प्यार यशोदा सा भी होता है
प्यार शबरी सा भी होता है
फिर क्यूँ प्यार को
हवस की वेदी पर
चढ़ा देती है दुनिया
प्यार तो प्यार होता है
शरीरी नही होता
क्यूँ इतनी सी बात
ना समझ पाती है दुनिया
34 टिप्पणियां:
प्यार तो इबादत होता है
क्यूँ व्यापार बना देती है दुनिया
क्यूँ प्यार शब्द के
उच्चारण से ही
बबाल मचा देती है दुनिया
प्यार तो प्यार होता है
शरीरी नही होता
प्यार की आपने बहुत सुन्दर विवेचना की है!
आपकी सोच बहुत मर्मस्पर्शी है!
बहुत खूब कहा आपने, दिल को छु गयी आपकी ये रचना ।
सच में... प्यार इबादत है....
बहुत सुंदर कविता.....
achcha
nice
love is nice......
बहुत सुन्दर
good day....
Sach kaha Mithilesh ne Vandana ji... ekdam hridaysparshee rachna..
udaharan shaandaar dhoondh laayeen hain aap..
Jai Hind...
सही लिखा है आपने
vandana ji,bahut sunder likha hai, aur pyaar ka bahut sunder shabd chitra kheench diya hai.
प्यार को देखने की दृष्टि चाहिए....बहुत भावपूर्ण रचना
मीरा राधा सुदामा उद्धव शबरी जैसा प्यार आज कहां ।इवादत को व्यापार बना देती है दुनिया ,औअर उच्चारण मात्र से वबाल मचा देती है दुनिया ।बहुत उत्तम रचना
bahut achchi rachna
अच्छा प्रयास!!!विषय सामान्य सा लगता भले है, लेकिन इसमें व्यक्त शब्द आक्रामक हैं!!
यदि इस खाकसार की बात को दुसरे कान से छु-मंतर कर दिया जाय तो लब खोलूँ या यूँ कहें गुस्ताखी मुआफ हो, अग्रिम क्षमा-याचना!!
क्या बेहतर हो यदि अपन लिखने से पहले ज़रा खूब पत्र-पत्रिकाओं का अवलोकन भी कर लिया करें, कभी-कभार!!लाभ ये होगा कि शिल्प में उतरोत्तर निखार आता जाएगा.
और हाँ और नहीं!! को अपन ठोक-ठाक कर लिखें!!वरना कहाँ कहा हो जाता है.
वंदनाजी,
आपकी ये रचना पढ़कर आचार्य रजनीश (मैं उन्हें भगवान् नहीं मान पाता) की एक पुस्तक का नाम याद आ गया--'प्रेम है द्वार प्रभु का !' ये निगोड़ी दुनिया की समझ में नहीं आता ! न आये; लेकिन सच तो यही है और रहेगा कि प्रेम अत्यंत पवित्र और कोमलतम भाव है जो हमें प्रभु के प्रभाव क्षेत्र में ले जाता है !
साभिवादन--आ.
wah wah..aapki kavita ki sheershak hi bahut sundar hai...ti kavita ki sundarta ko bayan kerna ke liye shabd nhi hai...
bahut bahut khoob..
badhai ho..aapka pyaar sach mein ruhani pyaar hai
जी सच है प्यार एक रूप अनेक !
एम कमाल की रचना के लिए ढेरों बधाई! विषय इतना प्यारा है कि कुछ पंक्तियां पेश करने से नहीं रोक पा रहा हूं अपने को
प्यार अहसास है
प्यार कोई बोल नहीं,
प्यार आवाज़ नहीं
एक ख़ामोशी है,
सुनती है, कहा करती है।
न यह बुझती है,
न रुकती है,
न ठहरी है कहीं
नूर की बूंद है,
सदियों से बहा करती है। --- गुलज़ार
और
प्यार हर दिल में पला करता है,
दर्द गीतों में ढ़ला करता है,
रोशनी दुनिया को देने के लिए,
दीप हर रंग में जला करता है।
वंदनाजी,
यह कविता पढ़कर मुझे आचार्य रजनीश (मैं उन्हें भगवान् नहीं मान पाता !) की एक पुस्तक का नाम याद आ गया है--'प्रेम है द्वार प्रभु का !' निगोड़ी दुनिया इस बात को नहीं समझ पाती ! न समझे, लेकिन सच तो यह है और रहेगा कि प्रेम परम पवित्र और स्निग्ध भाव है, जो हमें प्रभु के प्रभाव-क्षेत्र में ले जाता है !
साभिवादन--आ.
pyaar ko pyaar hi rahne do koi naam na do...!
Pyaar to khuda ki naimat hai...!
bahut hi satik chitran kiya hai aapne pyaar ka...
बहुत शानदार रचना। प्यार की परिभाषा तो ऐसी ही होती है।
एक बेहद खूबसूरत गीत के बोल याद आ जाते हैं 'प्यार' शब्द को सुनते ही..
हमने देखी है उन आँखों की महकती खुशबू
हाथ से छू के इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो
सिर्फ अहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो...
बहुत अच्छी....एक सवाल उठाती हुई कविता है ये...
बधाई..
सुन्दर रचना!
बहुत सुन्दर रचना!!
हर बार की तरह ही बहुत अच्छा. जीवन के सच और कुछ मन के भीतर दबे सवाल उजागर करती रचना
बधाई स्वीकारें
लाजवाब रचना ....... सच लिखा है हर प्यार को नाम देना ज़रूरी नही होता ........ पर समाज के ठेकेदार इसको समझें तभी ना ......
एकदम सही बात काव्य रूप में ....
लाजवाब... बहुत ही अच्छी रचना.....
बहुत सुन्दर रचना! आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
aapne sach me pyaar shabd ka arth samajhaya hai ... aur pyaar shabd kee mahima ka bedaag chitran kiya hai...badhai vandana ji
Vandana Ji,
Namaskaar,
Pyar ke alag alag roopon ek kavita ke madhyam se bataya dhanyavaad. Surinder
प्यार की सही अभिव्यक्ति । बधाई और शुभकामनायें
बहुत ही सुंदर कविता कही। बधाई।
fir ek baar aur badhiya rachana ...
badhai...
prem ke sbhi rupo se avgat karaya aapne,,,bhaut bahut abhaar
VIKAS PANDEY
Bahut khub vandana....
pyar ko samjhna har kisi ke bas ki bat nahi...Ibadat,samarpan or khubsurat ahsas hai pyar....
dil chhu liya....
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