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रविवार, 25 अक्टूबर 2009

भावों के टुकड़े

कभी कभी
कुछ भावों को ठांव नही मिलती
जैसे चिरागों को राह नही मिलती

सर्द अहसासों से दग्ध भाव
जैसे अलाव दिल का जल रहा हो

कुछ भाव टूटकर यूँ बिखर गए
जैसे रेगिस्तान में पानी की बूँद जल गई हो

कुछ भावों के पैमाने यूँ छलक रहे हैं
जैसे टूटती साँसे ज़िन्दगी को मचल रही हों



23 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बढ़िया लिखा है।
बधाई!

M VERMA ने कहा…

कुछ भाव टूटकर यूँ बिखर गए
जैसे रेगिस्तान में पानी की बूँद जल गई हो
जले हुए इन बूँदों को जरा निहारिये -- समेट लीजिए उसके जलवाष्प को यह फिर से बूँद बन जायेगा.
बारीकी से एहसासों को पिरोया है

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

vandanaji,

antim dopanktian gazab. bahut khoob.

समय चक्र ने कहा…

कुछ भावों के पैमाने यूँ छलक रहे हैं
जैसे टूटती साँसे ज़िन्दगी को मचल रही हों

बहुत सुन्दर रचना . वंदना जी

Asha Joglekar ने कहा…

कुछ भावों को सचमुच ठाव नही मिलती पर रोशनी को राह की जरूरत ही नही वह तो खुद ही चारों तरफ राहों को उजागर कर देती है । अंतिम दो पंक्तियां बहुत ही सुंदर लगीं ।

daanish ने कहा…

जैसे टूटती साँसे ज़िन्दगी को मचल रही हों

apne aap meiN sampoorn baat
keh di gayi hai
bhaavoN ko steek alfaaz ka
libaas diya hai
abhivaadan svikaareiN

रश्मि प्रभा... ने कहा…

भावनाएं भी एक मुकाम चाहती हैं,अकेली भटकना नहीं गवारा....
बहुत गहन अभिव्यक्ति ....

dpkraj ने कहा…

क्या बात है! वंदना जी बहुत अच्छी कविता
दीपक भारतदीप

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन है!!

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

सुंदर भावबोध की रचना..... साधुवाद स्वीकारें...

Dr. Amarjeet Kaunke ने कहा…

कभी कभी
कुछ भावों को ठांव नही मिलती
जैसे चिरागों को राह नही मिलती

bahut sach kaha aapne..............

निर्मला कपिला ने कहा…

वन्दना बहुत सी भावनओं को गहरे मे सुन्दर ढंग से लिखा है बहुत बहुत बधाई ।

दर्पण साह ने कहा…

कभी कभी
कुछ भावों को ठांव नही मिलती
जैसे चिरागों को राह नही मिलती wah !yahi stithi to meri thi 3-4 dino se....

कुछ भाव टूटकर यूँ बिखर गए
जैसे रेगिस्तान में पानी की बूँद जल गई हो....

Oasis main marichika se marasim to ho hi jaata hai !!

Arshia Ali ने कहा…

भावों के टुकडों को संभल कर रखिए, ये न रहेंगे तो फिर कोई भाव न देगा।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को प्रगति पथ पर ले जाएं।

ओम आर्य ने कहा…

बहुत खुब ....बहुत खुब!

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

hwaye chirag bhujha dti hai magar chirag jalne ke liye hwa bahot jaroori hai....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच लिखा है ........ अक्सर ऐसे भाव बिखर जाते हैं ........... बहुत अच्छा लिखा है ...

सुशील छौक्कर ने कहा…

कम शब्दों में बहुत कुछ लिखने लगी है आप। बहुत सुन्दर।

Randhir Singh Suman ने कहा…

कुछ भावों के पैमाने यूँ छलक रहे हैं
जैसे टूटती साँसे ज़िन्दगी को मचल रही हों.nice

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

आपको दीप पर्व की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ !

कल 25/अक्तूबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !

Onkar ने कहा…

सुंदर पंक्तियाँ

Unknown ने कहा…

bahut lajawaab rachna....aabhar

विभूति" ने कहा…

भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....