कभी कभी
कुछ भावों को ठांव नही मिलती
जैसे चिरागों को राह नही मिलती
सर्द अहसासों से दग्ध भाव
जैसे अलाव दिल का जल रहा हो
कुछ भाव टूटकर यूँ बिखर गए
जैसे रेगिस्तान में पानी की बूँद जल गई हो
कुछ भावों के पैमाने यूँ छलक रहे हैं
जैसे टूटती साँसे ज़िन्दगी को मचल रही हों
बढ़िया लिखा है।
जवाब देंहटाएंबधाई!
कुछ भाव टूटकर यूँ बिखर गए
जवाब देंहटाएंजैसे रेगिस्तान में पानी की बूँद जल गई हो
जले हुए इन बूँदों को जरा निहारिये -- समेट लीजिए उसके जलवाष्प को यह फिर से बूँद बन जायेगा.
बारीकी से एहसासों को पिरोया है
vandanaji,
जवाब देंहटाएंantim dopanktian gazab. bahut khoob.
कुछ भावों के पैमाने यूँ छलक रहे हैं
जवाब देंहटाएंजैसे टूटती साँसे ज़िन्दगी को मचल रही हों
बहुत सुन्दर रचना . वंदना जी
कुछ भावों को सचमुच ठाव नही मिलती पर रोशनी को राह की जरूरत ही नही वह तो खुद ही चारों तरफ राहों को उजागर कर देती है । अंतिम दो पंक्तियां बहुत ही सुंदर लगीं ।
जवाब देंहटाएंजैसे टूटती साँसे ज़िन्दगी को मचल रही हों
जवाब देंहटाएंapne aap meiN sampoorn baat
keh di gayi hai
bhaavoN ko steek alfaaz ka
libaas diya hai
abhivaadan svikaareiN
भावनाएं भी एक मुकाम चाहती हैं,अकेली भटकना नहीं गवारा....
जवाब देंहटाएंबहुत गहन अभिव्यक्ति ....
क्या बात है! वंदना जी बहुत अच्छी कविता
जवाब देंहटाएंदीपक भारतदीप
बेहतरीन है!!
जवाब देंहटाएंसुंदर भावबोध की रचना..... साधुवाद स्वीकारें...
जवाब देंहटाएंकभी कभी
जवाब देंहटाएंकुछ भावों को ठांव नही मिलती
जैसे चिरागों को राह नही मिलती
bahut sach kaha aapne..............
वन्दना बहुत सी भावनओं को गहरे मे सुन्दर ढंग से लिखा है बहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंकभी कभी
जवाब देंहटाएंकुछ भावों को ठांव नही मिलती
जैसे चिरागों को राह नही मिलती wah !yahi stithi to meri thi 3-4 dino se....
कुछ भाव टूटकर यूँ बिखर गए
जैसे रेगिस्तान में पानी की बूँद जल गई हो....
Oasis main marichika se marasim to ho hi jaata hai !!
भावों के टुकडों को संभल कर रखिए, ये न रहेंगे तो फिर कोई भाव न देगा।
जवाब देंहटाएंवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को प्रगति पथ पर ले जाएं।
बहुत खुब ....बहुत खुब!
जवाब देंहटाएंhwaye chirag bhujha dti hai magar chirag jalne ke liye hwa bahot jaroori hai....
जवाब देंहटाएंसच लिखा है ........ अक्सर ऐसे भाव बिखर जाते हैं ........... बहुत अच्छा लिखा है ...
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में बहुत कुछ लिखने लगी है आप। बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंकुछ भावों के पैमाने यूँ छलक रहे हैं
जवाब देंहटाएंजैसे टूटती साँसे ज़िन्दगी को मचल रही हों.nice
आपको दीप पर्व की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंकल 25/अक्तूबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
सुंदर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंbahut lajawaab rachna....aabhar
जवाब देंहटाएंभावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
जवाब देंहटाएं