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सोमवार, 8 जून 2009

सिर्फ़ एक दिन

अपनी ज़िन्दगी से
सिर्फ़ एक दिन
उधार दे दो मुझे
उस एक दिन में
उम्र गुजार लेने दो मुझे
एक -एक पल को
यादों में सजा लेने दो मुझे
मेरे संग ,
उम्र के हर बंधन को तोड़ते हुए
कुछ पलों के लिए
ज़िन्दगी को जी लेने दो मुझे
तुम मुझमें और मैं तुम में
ऐसे डूब जायें जहाँ
तुम आंखों से बोलो
और मैं उन अंखियों की
हर भाषा को
हर शब्द को
दिल में उतार लूँ
सिर्फ़ एक दिन तुम
मुझे अपना दे दो
और उस एक दिन में
मेरी उम्र बीत जाए
फिर आँख न खुले
फिर ये सपना न टूटे
बस
ज़िन्दगी की हर तमन्ना
पूरी हो जाए
तुम्हारा हाथ हो मेरे हाथ में
उस स्पर्श को
दिल के एक खास हिस्से में
सहेज लूँ
उस अहसास को कुछ पलों
में ही जी लूँ
सिर्फ़ एक दिन तुम
मुझे अपना दे दो
उस एक दिन में
मेरी ज़िन्दगी बसर हो जाए
तुम्हारे हाथों में
रजनीगंधा के फूल हों
मेरे दिल के हर कोने को
उसकी खुशबू से ऐसे महका दो
फिर कोई सुगंध न बसे मन में
तुम्हारी यादों की खुशबू में
तन मन रच बस जाए
बस एक दिन
तुम मुझे अपना उधार दे दो
मुझे मेरी ज़िन्दगी
जी लेने दो
सिर्फ़ एक दिन तुम
प्रेमी बन जाओ
मैं तुमसे रूठ जाऊँ
और तुम
मनुहार करके
मनाओ मुझे
एक दिन के लिए
प्रेमिका अपनी बनाओ मुझे
और उस एक दिन में
प्रेम के सारे रंग
दिखाओ मुझे
प्रेम रंग में ऐसे डूब जाऊँ
फिर न कोई रंग चढ़े
हर ख्वाहिश पूरी हो जाए
और फिर
उसी प्रेम रंग में
ज़िन्दगी तमाम हो जाए
फिर उस दिन की
कोई शाम न हो
कोई सुबह न हो
कोई कल न हो
कोई दिन न हो
कोई रात न हो
सिर्फ़ इसी एक दिन में
पूरी उम्र गुजर जाए

36 टिप्‍पणियां:

Vinay ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत!

नीरज गोस्वामी ने कहा…

अनोखी रचना...बहुत बहुत बधाई...
नीरज

Prem Farukhabadi ने कहा…

पलभर के लिए मन को झंकृत कर देने वाली रचना .बधाई

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

एक पल का प्यार ही है जिन्दगी,
प्यार का इजहार ही है जिन्दगी।
एक दिन के प्यार में सारी उमर कट जायेगी।
प्रीत की मनुहार से सारी गरद छट जायेगी।।
वन्दना गुप्ता को जन्म-दिवस की शुभ-वेला पर अपनी ओर से ढेरों बधाई प्रेषित करता हूँ।

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

जन्‍मदिन पर की गई अभिलाषा

भावों की तनी हुई सधी प्रत्‍याशा

शब्‍द अधिक पर भाव गहन हैं

यादों के अरमान मन सहन हैं

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

apne sath ka ek din de de..le le mere sare din...shayad yahi pyaar hai....

Pradeep Kumar ने कहा…

kya khoob likha hai !! sundar bahut sundar !

vandan ji yoon to har tamanna kisi ki poori nahi hoti magar ek pal ko bhi koi apna ho jaaye to jo mahsoos hota hai aur dil jo karnaa chahtaa hai wo sab kuchh to aapne shabdon main baandh diya . dhanyawad . kavita par kuchh line na likhoon to baat poori nahi hogi -

roothaa hua hoon manaa le koi,
gamon ke bhanwar se nikaale koi.
bahut jee liya tanhaan yahaan,
baahon main apni sambhaale koi .

Sajal Ehsaas ने कहा…

exceptional...lag raha hai jaise koi apne vichaaro ko batataa gayaa hai...bataataa gayaa hai...kisi insaan ko jaise ek shaam baithke apne dil kaa saara haal sunaaya ho,jazbaato me behte gaye ho...
ant bhi bahut achha laga aapka.... :)

सुशील छौक्कर ने कहा…

बहुत बहुत .... प्यारी रचना। सुन्दर अहसास। ठंडी फुहार सी।

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

vandana ji, meri or se bhi janm din ki shubhkaamnayen sweekaren.

rachna ka to kahna hi kya? comments ke liye naye aur unnat shabdon kikhoj kar raha hun. bas wah wah wah

प्रिया ने कहा…

har pal achcha laga

गर्दूं-गाफिल ने कहा…

अनूठी कल्पना
बधाई

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूबसूरत रचना............ बस एक दिन, सचमुच कभी कभी एक दिन ही पूर जीवन बन जाता है.......... लाजवाब

Randhir Singh Suman ने कहा…

good

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

प्यार पाने के लिए इतनी खलिश
पहली बार शब्दों में डूबती देखी है.....

प्यार सच में इतना ही कीमती होता है........
जिसे एक पल पाकर भी लगे की
दुनिया की जन्नत मिल गई है..........

और आपने तो बहुत अच्छे एहेसास भरे हैं इस रचना में.........बहुत ही अच्छा लिखा है दीदी

अक्षय-मन

shama ने कहा…

मेरी लाडली.....
" तुझसे जुदा होके,
जुदा हूँ,मै ख़ुद से ,
यादमे तेरी, जबभी,
होती हैं नम, पलकें मेरी,
भीगता है सिरहाना,
खुश रहे तू सदा,
साथ आहके एक,
निकलती है ये दुआ!

ये क्या मोड़ ले गयी
ज़िंदगी तेरी मेरी?
कहाँ थी? कहाँ गयी?
लगता है डर सोचके,
के आसमान हमारे,
जुदा हो गए हैं कितने!

जब सुबह होती है तेरी,
मेरी शाम सूनी-सी
रातमे ढलती रहती
किरणों का किसी,
अब इंतज़ार नही,
जहाँ तेरा मुखड़ा नही,
वो आशियाँ मेरा नही,
इस घरमे झाँकती
किरणों मे उजाला नही!
चीज़ हो सिर्फ़ कोई ,
उजाले जैसी, जोभी,
मुझे तसल्ली नही!

वार दूँ, दुनिया सारी,
मेरी, तुझपे ,ओ मेरी,
तू नज़र तो आए सही,
कहाँ है मेरी लाडली,
मुझे ख़बर तक नही!!
ये रातें भीगीं, भीगीं,
ये आँखें भीगी, भीगी,
कर लेती हूँ बंदभी,
तू यहाँसे हटती नही...!
बोहोत याद आती है लाडली,
कैसे भुलाऊँ एक पलभी,
कोई हिकमत आती नही...!
लाड़ली मेरी, लाडली,
मंज़ूर है रातें अंधेरी,
तुझे हरपल मिले चाँदनी ....

This an offering from a mother, to yet another mother!

All the very best for ever & ever!

vijay kumar sappatti ने कहा…

vandan,

i am just speachless on this work of words....

kya kahun ... man ke special effects aaj shabd ban kar utar aaye hai ...

badhai nahi doonga yaar.

just salaam to your writing

Dr. Tripat Mehta ने कहा…

kitni shiddath se apne vicharon ko pragat kiya hai ...sahi mein kaabile taarif hai..bahut khoob

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है।बधाई स्वीकारें।

satish kundan ने कहा…

आह....इतना समर्पण किसी के लिए!!!!!!! मन प्रशन हो गया आपकी रचना को पढ़कर..वंदना जी मैंने भी एक नई पोस्ट डाली है आपका स्वागत है

Sajal Ehsaas ने कहा…

do baato ka intezaar hai...aapke agle post ka,aur mere latest post par aapki raai kaa :)

बेनामी ने कहा…

एक दिन में उम्र बिताने का इरादा सारे जहाँ की खुशियों को अपने आगोश में समेटने की ललक बहुत अची रचना है . आभार मेरी रचनाये http://youngindiaoneindia.blogspot.com

"MIRACLE" ने कहा…

जिंदगी के सिर्फ एक दिन......बहुत ही सवेदना भरी रचना .

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

बहुत सुंदर...भाव से परिपूर्ण रचना..बहुत अच्छा लगा

Girish Kumar Billore ने कहा…

anokhi rachana

Girish Kumar Billore ने कहा…

विजय जी के माध्यम से अधिक जान पाया
हार्दिक शुभ कामनाएं जी

बेनामी ने कहा…

कैसा होगा वो एक दिन, जिसकी आपने कल्पना की है, सोचकर ही रोम-रोम प्रफुल्लित हो जाता है.. ज़िन्दगी का ऐसा एक दिन बिताने का सपना हर कोई देखे और पूरा हो जाए तो क्या कहने.......अच्छी अभिव्यक्ति.....

साभार
हमसफ़र यादों का.......

कडुवासच ने कहा…

... बेहद रोमांचक कविता पढने मिली, बहुत सुन्दर तरीके से शब्दों को पिरोया गया है बिलकुल मोतियों की माला जैसी लगती है आपकी रचना !!!!!

ओम आर्य ने कहा…

वन्दना जी आप जो भी लिखती है उसमे दर्द और एहक़्सास कुट कुट्कर भरे होते है.....बहुत सुन्दर्

ओम आर्य ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति......

Science Bloggers Association ने कहा…

एक दिल की कल्पना बहुत सुखद है। ईश्वर करे हर व्यक्ति के जीवन में ऐसा एक दिन अवश्य आए।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Arvind Kumar ने कहा…

मई तो हर एक पल में पूरी जिंदगी जीना चाहता हूँ

डॉ आशुतोष शुक्ल Dr Ashutosh Shukla ने कहा…

एक दिन की जिंदगी में जीने के लिए सोचो तो और क्या हो सकता है ? पर कितनों को मिल पाती है यह एक दिन की मन पसंद जिंदगी... बहुत सुन्दर एक दिन है यह सपनों से भरा

प्रकाश पाखी ने कहा…

सिर्फ इसी एक दिन में
पूरी उम्र गुजर जाए ...

बहुत सुन्दर और लाजवाब कविता...
बहुत पसंद आई...

नवनीत नीरव ने कहा…

behtarin rachna hai aapki. kaphi samay tak yaad rahegi.
Navnit Nirav

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

bahut sundar badhiya rachana abhaar.