1
मैंने खुद से प्यार किया और जी उठी
मैंने खुद से प्यार किया और जी उठी
अब तुम ढूँढते रहो स्त्री होने के अनेक अर्थ शब्दकोशों में
देते रहो अनेक परिभाषाएं
करते रहो व्याख्याएं
देते रहो अनेक परिभाषाएं
करते रहो व्याख्याएं
तुम्हारी स्वप्निल दुनिया से परे
मैंने पा लिया है अपने होने का अर्थ
मैंने पा लिया है अपने होने का अर्थ
2
मेरी पहली छलांग से तुम्हारी आँखों की गोटियाँ बाहर निकल आयीं
मेरी पहली छलांग से तुम्हारी आँखों की गोटियाँ बाहर निकल आयीं
सोचो ज़रा
आखिरी छलांग से नापूँगी कौन सा ब्रह्मांड
आखिरी छलांग से नापूँगी कौन सा ब्रह्मांड
3
समय की धारा ने बदल लिया है चेहरा
दे रही है एकमुश्त मुझे मेरा हिस्सा
तो
बदहवासी की छाया से क्यों ग्रसित है मुख तुम्हारा
समय की धारा ने बदल लिया है चेहरा
दे रही है एकमुश्त मुझे मेरा हिस्सा
तो
बदहवासी की छाया से क्यों ग्रसित है मुख तुम्हारा
प्रकृति स्वयमेव लाती है संतुलन सृष्टि में
जो मेरा था मुझे मिल रहा है
जो मेरा था मुझे मिल रहा है
4
तुम्हारी एक भृकुटि से थरथराता था सारा जहान
आज मेरी एक फूँक से हिल जाता है तुम्हारा आसमान
तुम्हारी एक भृकुटि से थरथराता था सारा जहान
आज मेरी एक फूँक से हिल जाता है तुम्हारा आसमान
वक्त वक्त की बात है बस
5
तिर्यक रेखाओं के गणित जान गयी हूँ
जब से
तुम्हारी आँख की किरकिरी बन गयी हूँ तब से
तिर्यक रेखाओं के गणित जान गयी हूँ
जब से
तुम्हारी आँख की किरकिरी बन गयी हूँ तब से
है साहस तो उठाओ गांडीव
चढ़ाओ प्रत्यंचा
भेदो मेरे अंतरिक्ष को
चढ़ाओ प्रत्यंचा
भेदो मेरे अंतरिक्ष को
मैंने नहीं खींची है कोई लक्ष्मण रेखा जिसे तुम लांघ न सको
एक स्त्री की जुबान है ये
3 टिप्पणियां:
बहुत ही सुन्दर
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२४-१० -२०२२ ) को 'दीपावली-पंच पर्वों की शुभकामनाएँ'(चर्चा अंक-४५९०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
वाह! शानदार आह्वान और चेतावनी।
सुंदर सृजन।
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