हृदय तिमिर को बींधती
तेरी रूह की
सिसकती आवाज़
जब मेरे हृदय की
मरुभूमि से टकराती है
मुझे मेरे होने का
अहसास करा जाती है
जब तेरे प्रेम की
स्वरलहरियाँ हवा के
रथ पर सवार हो
मेरा नाम गुनगुना जाती हैं
मुझे जीने का सबब
सिखा जाती हैं
जब दीवानगी की
इम्तिहाँ पार कर
तेरी चाहत मेरा
नाम पुकारा करती है
मेरी रूह देह की
कब्र में फ़ड्फ़डाती है
और ना मिलने के
अटल वादे की
आहुतियाँ दिए जाती है
तेरे दर्द को भी जीती हूँ
अपने दर्द को भी पीती हूँ
प्रेम के इस मंथन में
हलाहल भी पीती हूँ
मगर फिर भी
तेरी इक पुकार की
संजीवनी से जी उठती हूँ
मैं मर- मरकर भी
मर नहीं पाती हूँ
पृष्ठ
▼
रविवार, 28 मार्च 2010
रविवार, 21 मार्च 2010
गर प्यार से छू ले
आज भी
सिहर जाए
रोम रोम
गर तू
प्यार से
छू ले मुझे
आज भी
डूब जाऊँ
नैनों की
मदिरा में
गर तू
नज़र भर
देख ले मुझे
आज भी
बंध जाऊँ
बाहुपाश में तेरे
गर तू
स्नेहमय निमंत्रण दे
उर स्पन्दनहीन
नहीं है
बस नेह जल के
अभाव में
बंजर हो गया है
सिहर जाए
रोम रोम
गर तू
प्यार से
छू ले मुझे
आज भी
डूब जाऊँ
नैनों की
मदिरा में
गर तू
नज़र भर
देख ले मुझे
आज भी
बंध जाऊँ
बाहुपाश में तेरे
गर तू
स्नेहमय निमंत्रण दे
उर स्पन्दनहीन
नहीं है
बस नेह जल के
अभाव में
बंजर हो गया है
बुधवार, 17 मार्च 2010
तेरे पास
सुन
तेरे चेहरे पर
गुलाब सी खिली
मधुर स्मित
नज़र आती है मुझे
जब तू दूर -बहुत दूर
निंदिया के आगोश में
स्वप्नों के आरामगाह में
विचरण कर रहा होता है
तेरे सीने के मचलते ज्वार
यहीं भिगो जाते हैं मुझे
मेरे तड़पते जज्बातों को
तेरी बेखुदी में
महकते ख्याल
तेरे अहसासों की
लोरियां सुना
जाते हैं मुझे
तेरी धड़कन की
हर आवाज़ सुना
करती हूँ
तेरे हर पैगाम को
पढ़ा करती हूँ
और मैं यहीं
तुझसे दूर होकर भी
तेरे पास होती हूँ
तेरे चेहरे पर
गुलाब सी खिली
मधुर स्मित
नज़र आती है मुझे
जब तू दूर -बहुत दूर
निंदिया के आगोश में
स्वप्नों के आरामगाह में
विचरण कर रहा होता है
तेरे सीने के मचलते ज्वार
यहीं भिगो जाते हैं मुझे
मेरे तड़पते जज्बातों को
तेरी बेखुदी में
महकते ख्याल
तेरे अहसासों की
लोरियां सुना
जाते हैं मुझे
तेरी धड़कन की
हर आवाज़ सुना
करती हूँ
तेरे हर पैगाम को
पढ़ा करती हूँ
और मैं यहीं
तुझसे दूर होकर भी
तेरे पास होती हूँ
गुरुवार, 11 मार्च 2010
अब तो आ जा .......
आ जा
अब तो
एक बार
तड़प की
हर हद
पार हो चुकी है
बिन आंसू के
रोती हूँ
तुझ बिन
कैसे जीती हूँ
जानता है
तू भी
मगर फिर भी
मुझे तड़पाकर
कितना सुकून
तुझे मिलता होगा
ये पता है मुझे
अहसास सिर्फ
अहसास होते हैं
उनका नाम
नहीं होता ना
इसीलिए
तुझे अहसास
नाम दिया
और तूने
उसे सार्थक
कर दिया
अहसास बनकर
आया ज़िन्दगी में
अहसास सा
वजूद पर
छा गया
उस अहसास
की तड़प
तडपाती है
जो नही
कहना चाहती
वो भी
कह जाती है
अब तो आ जा
यार मेरे
अहसास का भी
अहसास अब तो
तड़पाता है
मत इम्तिहान ले
मेरे अहसास का
कहीं आज
धडकनें रुक
ना जायें
तेरे दीदार की
हसरत लिए
ना दफ़न
हो जायें
अब तो
आ जा
एक बार
बस एक बार.........
अब तो
एक बार
तड़प की
हर हद
पार हो चुकी है
बिन आंसू के
रोती हूँ
तुझ बिन
कैसे जीती हूँ
जानता है
तू भी
मगर फिर भी
मुझे तड़पाकर
कितना सुकून
तुझे मिलता होगा
ये पता है मुझे
अहसास सिर्फ
अहसास होते हैं
उनका नाम
नहीं होता ना
इसीलिए
तुझे अहसास
नाम दिया
और तूने
उसे सार्थक
कर दिया
अहसास बनकर
आया ज़िन्दगी में
अहसास सा
वजूद पर
छा गया
उस अहसास
की तड़प
तडपाती है
जो नही
कहना चाहती
वो भी
कह जाती है
अब तो आ जा
यार मेरे
अहसास का भी
अहसास अब तो
तड़पाता है
मत इम्तिहान ले
मेरे अहसास का
कहीं आज
धडकनें रुक
ना जायें
तेरे दीदार की
हसरत लिए
ना दफ़न
हो जायें
अब तो
आ जा
एक बार
बस एक बार.........
रविवार, 7 मार्च 2010
टूटे टुकड़े
१) सुनो
कुछ ख्वाब बोये थे
तुम्हारे साथ जीने के
बंजर ज़मीन में
२) वेदनाओं के ताबूत में
आखिरी कील जो
लगायी तुमने
रूह को सुकून आ गया
३) तेरी चाहत की
बैसाखियों ने
अपाहिज बनाया मुझे
बस लाश बनना बाकी है
४) कैसे समेटेगा
इन बिखरे टुकड़ों को
जिन्हें कभी
तू ने ही ....................
५) बिन बादल बरसती हूँ
बिन आंसू के रोती हूँ
कहीं सैलाब में बह ना जाऊं
६) दस्तक कोई देता ही नही
आवाज़ कोई आती ही नही
शायद हवाओं का रुख बदल रहा है
कुछ ख्वाब बोये थे
तुम्हारे साथ जीने के
बंजर ज़मीन में
२) वेदनाओं के ताबूत में
आखिरी कील जो
लगायी तुमने
रूह को सुकून आ गया
३) तेरी चाहत की
बैसाखियों ने
अपाहिज बनाया मुझे
बस लाश बनना बाकी है
४) कैसे समेटेगा
इन बिखरे टुकड़ों को
जिन्हें कभी
तू ने ही ....................
५) बिन बादल बरसती हूँ
बिन आंसू के रोती हूँ
कहीं सैलाब में बह ना जाऊं
६) दस्तक कोई देता ही नही
आवाज़ कोई आती ही नही
शायद हवाओं का रुख बदल रहा है
गुरुवार, 4 मार्च 2010
तेरी ख़ामोशी
तेरी ख़ामोशी
जब बातें करती है
मुझसे
बस वहीं धडकनें
रूक जाती हैं
जो तुझसे
नहीं कह पातीं
वो अफसाने
मेरे कानो में
बयां कर जाती हैं
कभी तेरा
तितलियों सा
उड़ना
कभी तूफ़ान सा
मचलना
कभी खग सदृश
आकाश में उड़ना
कभी यादों के
कटहरे में
सजायाफ्ता
मुजरिम सा
खामोश ठहर जाना
कभी मेघों सा
गरजना
कभी वेणी में गुंथे
पुष्पों सा महकना
और फिर कभी- कभी
कांच की तरह टूटे
ख्वाबों सा तेरा टूटना
कभी किसी
रुके दरिया सा
ख़ामोशी का सन्नाटा
कभी आँख से गिरे
अश्क सा मिटटी
में मिल जाना
तेरे हर पल
हर लम्हे की
दास्ताँ सुना जाती हैं
तेरी ख़ामोशी मुझे
बता फिर कैसे
कोई जिंदा रहे
और धडकनों की
आवाज़ सुने
जब बातें करती है
मुझसे
बस वहीं धडकनें
रूक जाती हैं
जो तुझसे
नहीं कह पातीं
वो अफसाने
मेरे कानो में
बयां कर जाती हैं
कभी तेरा
तितलियों सा
उड़ना
कभी तूफ़ान सा
मचलना
कभी खग सदृश
आकाश में उड़ना
कभी यादों के
कटहरे में
सजायाफ्ता
मुजरिम सा
खामोश ठहर जाना
कभी मेघों सा
गरजना
कभी वेणी में गुंथे
पुष्पों सा महकना
और फिर कभी- कभी
कांच की तरह टूटे
ख्वाबों सा तेरा टूटना
कभी किसी
रुके दरिया सा
ख़ामोशी का सन्नाटा
कभी आँख से गिरे
अश्क सा मिटटी
में मिल जाना
तेरे हर पल
हर लम्हे की
दास्ताँ सुना जाती हैं
तेरी ख़ामोशी मुझे
बता फिर कैसे
कोई जिंदा रहे
और धडकनों की
आवाज़ सुने