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गुरुवार, 11 मार्च 2010

अब तो आ जा .......

आ जा
अब तो
एक बार
तड़प की
हर हद
पार हो चुकी है
बिन आंसू के
रोती हूँ
तुझ बिन
कैसे जीती हूँ
जानता है
तू भी
मगर फिर भी
मुझे तड़पाकर
कितना सुकून
तुझे मिलता होगा
ये पता है मुझे
अहसास सिर्फ
अहसास होते हैं
उनका नाम
नहीं होता ना
इसीलिए
तुझे अहसास
नाम दिया
और तूने
उसे सार्थक
कर दिया
अहसास बनकर
आया ज़िन्दगी में
अहसास सा
वजूद पर
छा गया
उस अहसास
की तड़प
तडपाती है
जो नही
कहना चाहती
वो भी
कह जाती है
अब तो आ जा
यार मेरे
अहसास का भी
अहसास अब तो
तड़पाता है
मत इम्तिहान ले
मेरे अहसास का
कहीं आज
धडकनें रुक
ना जायें
तेरे दीदार की
हसरत लिए
ना दफ़न
हो जायें
अब तो
आ जा
एक बार
बस एक बार.........

35 टिप्‍पणियां:

  1. उम्मीदों की खालिश जमीन पर,,,
    खड़ा हूँ निशब्द होकर,,
    बड़ी संजीदगी से,,,
    दफ़न कर रहा हूँ ,,,
    तेरे हर अहसास को,,,
    गोया अहसास अहसास ही तो है ,,,
    फिर भी क्यूँ नहीं होने देता ,,
    अहसास तेरे अहसास का
    सादर
    प्रवीण पथिक
    9971969084

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  2. बहुत मार्मिक है
    करुणा की पुकार!
    अब तो आ जा
    एक बार!
    हमको तुमसे है
    बेइन्हा प्यार!
    कहीं ऐसा न हो
    कि
    हो जाये
    चाहत की हार!

    बहुत सुन्दर रचना!

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  3. वाह! वंदना जी वाहा ! यह तो मेरे लिये सोने में सुहागा हि हुआ कि आपकी पोस्त तुरंत हि पढने को मिली.
    तड़प की
    हर हद
    पार हो चुकी है
    बिन आंसू के
    रोती हूँ
    तुझ बिन
    कैसे जीती हूँ
    वैसे आपकी यह रचना हम दिल वालो के जीवन के करीब है जिसे मै महसूस कर सकता हु. महसूस कर पढने के बाद रचना के एक एक शब्द मानो जीवन में उदासी कि व्याख्या कर रहे है. उम्म्न्दा रचना ! आभार

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  4. एहसास , यही तो है जो रहता है हर वक्त दिल के पास तन्हाई में । बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति लगी ।

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  5. hindi bhasha v devnagri lipi me likhi rchna ka pivesh bhi bhartiy hi hona chahiye
    prtyek shbd ka apna sanskriti privesh hota hai us ki lkshna hi us ka vastvik aarth hoti hai
    bhartiy bhkti dhara me khin bhi yar shbd ka pryog nhi hai yh shbd hi bhut bad me aaya hai
    is bat ko ghrai se smjhna jroori hai is liye shbd hi rchna ko bhotik v aadhyatmik bnate hai
    aakhndiya jhain pdi pnth nihar 2 vo hi schhi lgn lgi aur vo aa bhi gaya aata hai aayega bhi
    dr.ved vyathit

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  6. इंतज़ार कीजिये ! इंशा अल्लाह ज़रूर आऊंगा !! कभी न कभी, कहीं न कहीं !!!

    बहूत खुबसूरत रचना !!!

    सलीम ख़ान

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  7. आ जा
    अब तो
    एक बार
    तड़प की
    हर हद
    पार हो चुकी है

    एक बार
    बस एक बार.........

    vaah..... kuchh aisa hi maine bhi likha..
    lekin aap itna sundar shabd na de sakaa.....

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही मरम्स्पर्षि रचना.

    रामराम.

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  9. अतुल्य पक्तियां,प्रेम की हदों को छू गयी ये कविता,बेहद अच्छी रचना
    विकास पाण्डेय
    www.विचारो का दर्पण.blogspot.com

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  10. अहसास तो सदा साथ रहता है , अहसास के सहारे तो जीवन बिताया जा सकता है .......बहुत अच्छी रचना है !!

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  11. gazab ke tadap hai vandna jee aapke is rachna main, shabdon ko ik sutra main pirone ke kala ke liye dher sare shubhkamnayen

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  12. एक बार
    बस एक बार.........
    मनुहार और एहसास की यह रचना बहुत खूबसूरत

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  13. पुकार की चरम सीमा इसलिए उसे आना ही होगा - धन्यवाद्

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  14. kitna marmik chitran kiya he apne tadapte ehsaso ko...dil ko chhu gai..bhagwan aapki manokaamna jaldi puri kare.

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  15. बहुत ही वेदना झलक रही है ....भावपूर्ण अभिव्यक्ति....

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  16. bahut sundar gahan bhav liye aapki yah rachana virah me dil se nikali tis lagati hai ....bahut sundar!

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  17. वन्‍दना अच्‍छी कविता है, लेकिन हमारी उम्र की नहीं है तो हम क्‍या कह सकते हैं?

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  18. वन्दना इतनी वेदना? बहुत मार्मिक रचना है । क्या कहूँ शुभकामनायें

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  19. अति सुन्दर प्रस्तुति.
    बहुत सुंदर शव्दो से सजाया है आप ने इस सुंदर कविता को.बहुत सुंदर
    धन्यवाद

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  20. बहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है!

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  21. dwar par nazren tiki hain aane wale aa bhi jaa.

    man ke bhavon ki sunder abhivyakti.

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  22. अब तो आ जा
    एक बार!
    हमको तुमसे है
    बेइन्हा प्यार!
    कहीं ऐसा न हो
    कि
    हो जाये
    चाहत की हार

    सुन्दर भाव.

    जवाब देंहटाएं
  23. प्यार की ये कैसी तडप है । विरह के आक्रोश को कोमल शब्दों में ढालती रचना ।

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