१) सुनो
कुछ ख्वाब बोये थे
तुम्हारे साथ जीने के
बंजर ज़मीन में
२) वेदनाओं के ताबूत में
आखिरी कील जो
लगायी तुमने
रूह को सुकून आ गया
३) तेरी चाहत की
बैसाखियों ने
अपाहिज बनाया मुझे
बस लाश बनना बाकी है
४) कैसे समेटेगा
इन बिखरे टुकड़ों को
जिन्हें कभी
तू ने ही ....................
५) बिन बादल बरसती हूँ
बिन आंसू के रोती हूँ
कहीं सैलाब में बह ना जाऊं
६) दस्तक कोई देता ही नही
आवाज़ कोई आती ही नही
शायद हवाओं का रुख बदल रहा है
बहुत मार्मिक रचना.
जवाब देंहटाएंwah vandna ji wah,dard ko sabdo me kitne achhe se mala ki terh piroya hai. Jangbir Goyat 09215202231
जवाब देंहटाएंwah vandna ji wah,dard ko sabdo me kitne achhe se mala ki terh piroya hai. Jangbir Goyat 09215202231
जवाब देंहटाएं२) वेदनाओं के ताबूत में
जवाब देंहटाएंआखिरी कील जो
लगायी तुमने
रूह को सुकून आ गया
ओह!!! कितनी वेदना छुपी है,इन शब्दों में...कमाल की क्षणिकाएं बुनी हैं इस बार...रोम रोम झकझोर देने वाली...बहुत सुन्दर...
achchha likha hai lekin isme kuchh kami si lagi hai ki jaise kuchh or bhi hona chahiye tha.
जवाब देंहटाएंdil ko choo jane walee rachana .
जवाब देंहटाएंभावुक कर देने वाली अच्छी सुन्दर रचना ...आभार
जवाब देंहटाएं"वेदनाओं के ताबूत में
जवाब देंहटाएंआखिरी कील जो
लगायी तुमने
रूह को सुकून आ गया"
इनती शिद्दत से चाहत - गजब. अंतर्मन की वेदनाओं को दर्शाती मार्मिक एवं अति-संवेदनशील क्षणिकाएं.
गहरे उतरते भाव...उम्दा अभिव्यक्ति!!
जवाब देंहटाएंहिला कर रख दिया इस कविता ने,
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी पक्तियां.
विकास पाण्डेय
www.विचारो का दर्पण.blogspot.com
khoobsurat tukde
जवाब देंहटाएंयह सारे कविता रुपी जुड़े हुए टुकड़े ...बहुत अच्छे लगे......
जवाब देंहटाएंटूटे है लेकिन खूबसूरत टुकड़े है यह ।
जवाब देंहटाएंsabhi kshanikayen adbhut.
जवाब देंहटाएंदस्तक कोई देता ही नही
जवाब देंहटाएंआवाज़ कोई आती ही नही
शायद हवाओं का रुख बदल रहा है
त्रिवेणी की शैली में लिखी लाजवाब क्षणिकाएँ ..... बहुत कुछ कह जाती हैं सब .....
bahut kam shabdon main bahut gahre bat kah de, badhai, bahut aacha prayas
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव के साथ आपने बेहद ख़ूबसूरत रचना लिखा है! बहुत अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंvedanaon ke tabut me akhiri keel jo lagai tumne dil ko sukun aa gaya.....
जवाब देंहटाएंye ekdam sach hai...Insan ki zindagi me ek aisa samay ata hai...jab...thokor khate khate...dard bhi dard nahi reh jata hai.
वेदनाओं के ताबूत में
जवाब देंहटाएंआखिरी कील जो
लगायी तुमने
रूह को सुकून आ गया.
बहुत मार्मिक .
शरद जी की जबान में .. टूटे हैं पर खूबसूरत टुकड़े हैं यह !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रविष्टि ! आभार ।
बहुत मार्मिक अभिवयक्ति है। वन्दना आज कल बहुत सुन्दर रचनायें आ रही हैं तुम्हारी। शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंदस्तक कोई देता ही नहीं
जवाब देंहटाएंशायद हवाओं का रुख़ बदल गया....
हर पंक्ति....हर लहजा..बेमिसाल....
सारी क्षणिकाएं बहुत मार्मिक...दिल को छू गयीं...ताबूत वाली बहुत अच्छी लगी....
जवाब देंहटाएंमहिला दिवस की शुभकामनायें
बहुत ही मार्मिक हैं आपके सभी शब्द-चित्र!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सटीक हैं!
kya Baat hai..amazing!
जवाब देंहटाएंhi, vandana ji
जवाब देंहटाएंbahut khoob .
२) वेदनाओं के ताबूत में
जवाब देंहटाएंआखिरी कील जो
लगायी तुमने
रूह को सुकून आ गया
गहरे भावों के साथ बेहतरीन प्रस्तुति ।
good
जवाब देंहटाएंmujhe aapki ye rachana behad pasand aayi ....
जवाब देंहटाएंटूटे टुकड़े हैं तभी शायद दिल को चुभते हैं .. बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंamazing ..jsut amazing vandana .. ek ek line kuch na kuch kah rahi hai ..this is one of your best posts...
जवाब देंहटाएंbadhayi
vijay