जरूर राधा ने मोहिनी डारी है
तभी छवि तुम्हारी इतनी मतवाली है
जो भी देखे मधुर छवि
अपना आप भुलाता है
ये राधे की महिमा न्यारी है
जो तुम पर पडती भारी है
तुम सुध बुध अपनी बिसरा देते हो
जब राधा नैनन मे उलझते हो
जैसी दशा तुम्हारी है मोहन
बस वैसी ही दशा हमारी है
घायल की गति घायल जाने
अब तो समझो गिरधारी
मै हूँ तुम्हारी जोगनिया न्यारी
उस अनुपम छवि की प्यासी हूँ
जो राधे नैनन मे बसता है
राधा का मन हरता है
चितचोर नाम कहाता है
छछिया भर छाछ पर रीझ जाता है
इक बार झलक दिखाओ सांवरिया
अपने चरण लगाओ सांवरिया
अश्रुबिंदु अर्पण करती हूँ
भावों से खुद का तर्पण करती हूँ
बस पिया दरस की प्यासी हूँ ...........मोहन
इक बार गले लगाओ सांवरिया
मेरी तपन मिटाओ सांवरिया
चाहे चरण दरस ही दिखाओ सांवरिया
बस इक बार तुम आ जाओ सांवरिया
वो ही मोहिनी मूरत दिखाओ सांवरिया
जिसमे राधा रूप झलकता है
प्रेम वहीँ परिपूर्ण होता है
बस इक बूँद तो पिला दो सांवरिया
जीवन सफल बना दो सांवरिया
जीवन रास महारास बन जाये
जो तुम्हारा दर्शन हो जाये
हे मोहन ........अपनी कमली बना लो ना मुझे भी .......आह !!!!