सदियों से अपना आकलन करवाती रही मगर कभी ना खुद अपना आकलन किया बस खुद को सिर्फ़ एक गृहिणी का ही दर्जा दिया
जब किसी ने प्रश्न किया
क्या करती हो तुम ?
तब जाकर ये अहसास हुआ
सिर्फ़ "अर्थ" ही कार्यक्षमता का मापदंड हुआ
चाहे आर्थिक रूप से
मैं सक्षम नहीं
लेकिन घर का सबसे कमाऊ सदस्य मैं ही हूँ
रिश्तों की दौलत से बढकर और कौन सी कमाई होती है
मैं नहीं जानती
और ना जानना चाहती हूँ
देखो ………कितनी अमीर हूँ मैं
क्या तुम हो ?
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
06/12/2020 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
गहन
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत खूब!सही कहा आपने ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना।
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