इंसान
तुम्हारी फुफकार से भयभीत हैं
आज सर्प भी
ढूंढ रहे हैं अपने बिल
क्योंकि जान गए हैं
उनके काटने से बचा भी जा सकता है
मगर तुम्हारे काटे कि काट के अभी नहीं बने हैं कोई मन्त्र
नहीं बनी है कोई वैक्सीन
हे विषधर
तुम्हारे गरल से सुलग रही है धरा
तो ये नाम आज से तुम्हारा हुआ
सर्पों ने त्याग दिया न केवल नाम
अपितु छोड़ दी है केंचुली भी
कि तुम ही उत्तराधिकारी हो
उनके हर कृत्य के
वंशज बनने हेतु स्वीकारो पद
सर्पों ने ग्रहण कर लिया है संन्यास
सही कहा.सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सही और सटीक।
जवाब देंहटाएंमर्माघाती ... अत्यंत प्रभावी ।
जवाब देंहटाएंसही कहा... सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसही कहा !
जवाब देंहटाएंविषधर ही होता जा रहा है मानव।
सुंदर सृजन।
बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंSend Valentines Day Roses Online
जवाब देंहटाएंSend Valentines Day Gifts Online
Send Teddy Day Gifts Online
Spice Money Login Says thank You.
जवाब देंहटाएं9curry Says thank You So Much.
amcallinone Says thank You very much for best content. i really like your website.
Excellent post. Very useful information. I always read your posts because I learn something new every time. Thank you very much, man... If possible can somebody Please check my Ideals products for Valentine Gifts for Wife and let me know what should I do to improve the page Quality.
जवाब देंहटाएं