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मंगलवार, 13 मई 2014

ओ इंसानियत के दुश्मनों

  सुना है 
दे दिया उन्होने 
तालिबानी हुक्म 
करो धर्मान्तरण 
वरना कर दिये जाओगे कत्ल 
और कर दिया धर्म परिवर्तन 
क्या वास्तव में 
इस तरह होता है धर्म परिवर्तन ?

ये कौन सी व्याख्या प्रस्तुत की 
ये कौन सा धर्म हुआ 
जो बन्दूक की नोक पर बदल गया 
जिसने बन्दूक की नोक पर 
शरण में ले लिया 
क्या वास्तव में 
इस तरह होता है धर्म परिवर्तन ?

जबकि हमने तो सुना है 
वास्तविक धर्म तो इंसां के दिल मे रहता है 
और हमने तो सुना है 
सबसे बड़ा धर्म तो इंसानियत होता है 
तो क्या 
इंसानियत से बड़ा भी कोई धर्म होता है 
जो ज़िबह करने के नाम पर परिवर्तित होता है ?

ओ इंसानियत के दुश्मनों 
कुछ समझो तुम भी 
कोई धर्म गलत नही होता 
गलत तो तुम्हारे मंसूबे होते हैं 
जो गलत बीजों को बो 
एक जड़ पीढ़ी को जन्म देते हैं 
और काटती रहती हैं पीढ़ियाँ 
तुम्हारी बोई फसलों की नस्लों को 
सदियों तक 

मगर सोचना कभी 
क्या तुम्हारे ऐसा करने से 
क्या कभी बदल गयी तसवीरें 
क्योंकि 
धर्म कोई कपडा नही 
जो बदल कर दूसरा पहन लिया जाये 
धर्म तो इंसां की रूह में बसता है 
जिसकी वो इबादत करता है 
ये सिर्फ शरीर या मुख से उच्चारण करना भर 
किसी भी धर्म का मापदंड नहीँ होता 

आज बन्दूक की नोक पर 
किये जाने वाले  धर्म के  परिवर्तन 
का कोई औचित्य नहीं 
जब तक मानव मन से न उसे कबूले 
मन से न स्वीकारे 
तब तक व्यर्थ हैं तुम्हारे फैलाये हताशाओं के मकडज़ाल 

चाहे जितना बोको हरम बवाल काटो 
बस इतना जान लो 
वो अल्लाह हू अकबर कहें या गॉड या जीसस क्राइस्ट 
सबमें एक उसी का है नूर बसता 
इसलिये 
धर्म किसी गोली किसी बन्दूक की रखैल नहीं 
जो हुक्म की तामील भर से बदल दिया जाए 
और रूह पर एक नयी इबारत लिख दी जाए  



8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सटीक कहा, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन एक्सिडेंट हो गया ... रब्बा ... रब्बा - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. सही कहा इन्सानियत से बडा कोई धर्म नही होता।

    जवाब देंहटाएं
  4. धर्म किसी गोली किसी बन्दूक की रखैल नहीं
    जो हुक्म की तामील भर से बदल दिया जाए
    और रूह पर एक नयी इबारत लिख दी जाए
    ……यह अंतिम तीन पंक्तियाँ बहुत शानदार।

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  5. कोई धर्म गलत नहीं होता
    गलत होआ है मनसूबे .....
    और गलत होते हैं धर्म के ठेकेदार ...
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
    बेटी बन गई बहू

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  6. जी .. इसी तरह होता है धर्मान्तरण ... इसी तरह होता आया है धर्मान्तरण ... इतिहास गवाह है ... अफ़सोस इस बात का है की हम इसके बाबजूद कुछ नहीं सीखते . हैरत की बात है , बांग्लादेश और पाकिस्तान में जिन्होंने अपनी जमीन , अपना धन , अपनी माँ , बहन, बेटी , बीवी की इज्जत गंवाई , अपना घर , अपना देश खोया , यहाँ भारत आकार वैसे लोग कम्युनिज्म और सेकुलरिज्म का चोला ओढ़कर घूमने लगे. अगर अब भी नहीं चेते अब भी नहीं सतर्क हुए तो शीघ्र हम जजिया दे रहे होंगे...

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