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मंगलवार, 4 फ़रवरी 2014

मेरे मन का राग हो तुम



हे तमहारिणी ! 
प्रकाश का भंडार हो तुम
सदबुद्धि का आधार हो तुम 
लेखनी का प्रमाण हो तुम 
वाणी में सुरों का सार हो तुम 
मानव के रोम- रोम में बसा 
प्रेम का संचार हो तुम 


हे वरदायिनी !
वरदहस्त बनाये रखना 
अपनी कृपा बरसाये रखना 
जीवन में ज्ञान का उजास जगाये रखना 
पथरीले पथ भी सुगम बनाये रखना 
बस अपने शिशुओं पर इतना स्नेह बनाये रखना 

हे वीणावादिनी !
नवयुग का आगाज़ हो तुम 
ज्ञानोदय का भंडार हो तुम 
जीवन का आधार हो तुम 
प्रकृति के कण- कण में बजता 
सदियों से बहता अजस्र नाद हो तुम 


हे वागीश्वरी !
मेरी वाणी को आधार देता 
कृपामय प्रसाद हो तुम 
हे कादम्बरी !
मेरे जीवन की नयी सुबह का 
एक गुनगुनाता भाव हो तुम 
हे वरप्रदायिनी !
कोटि कोटि नमन करता 
मेरे मन का राग हो तुम 

15 टिप्‍पणियां:

  1. हे वीणावादिनी ! नवयुग का आगाज़ हो तुम ज्ञानोदय का भंडार हो तुम
    बहुत सुंदर ही सुंदर रचना लिखी है वंदना दी
    आप को और पूरे परिवार को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं...!!

    @ संजय भास्कर

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  2. माँ शारदा की कृपा बनी रहे .... बहुत सुन्दर प्रार्थना

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (05-02-2014) को "रेखाचित्र और स्मृतियाँ" (चर्चा मंच-1514) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. मन का यह सुन्दर राग यों ही झंकृत रहे !

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  5. बहुत सुंदर.... बसंत पंचमी की बहुत बहुत बधाई और शुभकामना !!

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  6. बहुत सुंदर.... बसंत पंचमी की बहुत बहुत बधाई और शुभकामना !!

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  7. यह सुंदर वंदना और कामना आपके साथ-साथ हम सबके लिए फलीभूत हो -यही प्रार्थना है माँ शारदा से !

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  8. माँ वीणापाणि वरदहस्त बनाये रखे !
    बहुत शुभकामनायें !

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  9. बहुत ही सुन्दर प्रार्थना
    माँ सरस्वती कि कृपा रहे आप पर...
    बसंत पंचमी कि हार्दिक शुभकामनाएँ....
    http://mauryareena.blogspot.in/
    :-)

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  10. हे वरदायिनी कोटि कोटि नमन

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  11. संग्रह हित योग्य .. अत्ति उत्तम
    www.drlalthadani.com

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