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शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

की होगी सबने सुस्वादु मोहब्बत

याद है तुम्हें
वो पहला मिलन
जब हम
इक राह पर
इक मोड पर
अचानक मिले थे
और तुमने कहा था
तुम कौन हो?
तुम्हे देखकर
यूँ लगा
जैसे जन्मो की
तलाश को मुकाम
मिल गया हो
बताओ ना
कौन हो तुम?
तुम्हे तो मै
रोज अपने
ख्यालों मे
देखा करता था
कैसे आज
सपना साकार
हो गया
कैसे तुमने
आकार पा लिया
क्या मेरी खातिर?
और मै
सिर्फ़ तुम्हे
सुनती ही रही
और सोचती रही
ये कौन है अजनबी
कैसे इतना बेबाक
हो गया
कैसे इसका वजूद
मुझमे खो गया
और फिर हम
बिना हाथो मे हाथ डाले
निकल पडे अन्जाने सफ़र पर
बिना कोई वादा किये
बिना मोहब्बत का
इज़हार किये
बिना किसी आस के
सिर्फ़ एक विश्वास के साथ
हाँ ……कोई है इस जहाँ मे
जिसके सीने मे
मोम पिघलता है
है ना………कुछ ऐसा ही
क्योंकि बिन लफ़्ज़ों की मोहब्बत के घूंट का स्वाद 

उम्र भर के लिये जुबाँ  पर रुक जाता है 
की होगी सबने सुस्वादु मोहब्बत 
मगर नमकीन मोहब्बत के स्वाद ज़ेहन की धरोहर होते हैं
कहो ना…………ये है हमारी पहली मोहब्बत 
पहले मिलन की याद ……जिसमे कभी इतवार नही होते

13 टिप्‍पणियां:

  1. पहले मिलन की याद ……जिसमे कभी इतवार नही होते
    बहुत सुंदर सृजन...

    RECENT POST ....: नीयत बदल गई.

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर भाव ,शुभकामनाये,


    यहाँ भी पधारे ,


    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_909.html

    जवाब देंहटाएं
  3. पहले मिलन को भूलना आसान नहीं ... और बाखूबी शब्दों के ताने बाने से बुना है इसे ...

    जवाब देंहटाएं

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