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सोमवार, 17 दिसंबर 2012

पपडाए अधरों की बोझिल प्यास

सुनो
कहाँ हो ............?
मेरी सोच के जंगलों में
देखो तो सही
कितने खरपतवार उग आये हैं

कभी तुमने ही तो

इश्क के घंटे बजाये थे
पहाड़ों के दालानों में
सुनो ज़रा
गूंजती है आज भी टंकार
प्रतिध्वनित होकर

श्वांस  की साँय -साँय करती ध्वनि

सौ मील प्रतिघंटा की रफ़्तार से
चलने वाली वेगवती हवाओं को भी
प्रतिस्पर्धा दे रही है ..........

दिशाओं ने भी छोड़ दिया है

चतुष्कोण या अष्ट कोण बनाना
मन की दसों दिशाओं से उठती
हुआं - हुआं  की आवाजें
सियारों की चीखों को भी
शर्मसार कर रही हैं ........

क्या अब तक नहीं पहुंची

मेरी रूह के टूटते तारे की आवाज़ .........तुम तक ?

उफ़ ............सिर्फ एक बार आवाज़ दो

सांस थमने से पहले
जान निकलने से पहले 

धडकनों के रुकने से पहले
(पपडाए अधरों की बोझिल प्यास फ़ना होने से पहले )

ये इश्क के चबूतरों पर बाजरे के दाने हमेशा बिखरते क्यों हैं ............प्रेमियों के चुगने से पहले .........जानां !!

23 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .

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  2. अगर दाने नहीं होंगे तो प्रेमी कबूतर चुगेंगे कैसे :):)

    इश्क़ वो आतिश है गालिब
    जो लगाए न लगे बुझाये न बुझे ....बहुत खूब

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  3. बहुत खूब ..बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

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  4. behad sundar shabdvinyas..man ko chu lene wali rachna...bahut bahut badhai sundar rachna ke liye.

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  5. क्या अब तक नहीं पहुंची
    मेरी रूह के टूटते तारे की आवाज़ .........तुम तक ?

    उफ़ ............सिर्फ एक बार आवाज़ दो
    सांस थमने से पहले
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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  6. बहुत ही खोजपूर्ण अभिव्यक्ति!
    पढ़कर आनन्द आ गया!

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  7. प्रतिध्वनि सी छोड़ती हैं पंक्तियाँ

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  8. ये इश्क के चबूतरों पर बाजरे के दाने हमेशा बिखरते क्यों हैं ............प्रेमियों के चुगने से पहले .........जानां !!
    uff !! kyon hota hai aisa...!!

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  9. दिल की तड़प को प्रतिध्वनित करती खुबसूरत रचना

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  10. क्या अब तक नहीं पहुंची
    मेरी रूह के टूटते तारे की आवाज़ .........तुम तक ?
    वाह ... बहुत खूब

    लाजवाब प्रस्‍तुति

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  11. मन की मन जाने सुरंगमा ,मन की मन माने रे ,
    भावभीनी रचना ,सुन्दर बधाई .

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  12. इश्क के चबूतरे पर.............वाह बहुत खूब।

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  13. KAVITA DO BAAR PADH GAYAA HUN .
    USKEE GOONJ AB TAK MAN , MASTISHK
    MEIN SAMAAYEE HAI .

    जवाब देंहटाएं
  14. KAVITA DO BAAR PADH GAYAA HUN .
    USKEE GOONJ AB TAK MAN , MASTISHK
    MEIN SAMAAYEE HAI .

    जवाब देंहटाएं
  15. ’क्या अब तक नहीं पहुंची
    मेरे रूह के टूतते तारे की आवाज’ मर्मस्पर्शी.

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  16. ’क्या अब तक नहीं पहुंची
    मेरे रूह के टूतते तारे की आवाज’ मर्मस्पर्शी.

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  17. सुन्दर तरीके से अभिव्यक्त हुए हैं भाव और अर्थ .

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  18. ...दाने तो चुगने से पहले ही बिखरेंगे, चुगने के लिए ...बाद में बिखरकर क्या करेंगे ..

    ----------सभी बकवास, असाहित्यिक, विरोधाभासी व तथ्यहीन प्रयोग हैं...
    -"पपडाए अधरों की बोझिल प्यास..".
    ------क्या प्यास भी बोझिल होती है वह भी प्यार में बोझिल लग रहे है तो फिर प्रेमी को बुलाया क्यों जा रहा है...
    "मन की दसों दिशाओं से उठती
    हुआं - हुआं की आवाजें
    सियारों की चीखों को भी
    शर्मसार कर रही हैं "..
    ----- वह ! क्या बात है एसा प्यार है कि मन की आवाजें सियार की आवाजों जैसी होगयीं क्या प्यारी अभिव्यक्ति है प्यार की..
    "कितने खरपतवार उग आये हैं.." वह क्या बात है सोच में खरपतवार उग आये हैं तो फिर प्यार कैसा , क्यों बुलाया जा रहा है प्रेमी को इतनी आतुरता से ...सच्चे परम में तो आनंदमय सोच बनती है ..

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