सुनो
कहाँ हो ............?
मेरी सोच के जंगलों में
देखो तो सही
कितने खरपतवार उग आये हैं
कभी तुमने ही तो
इश्क के घंटे बजाये थे
पहाड़ों के दालानों में
सुनो ज़रा
गूंजती है आज भी टंकार
प्रतिध्वनित होकर
श्वांस की साँय -साँय करती ध्वनि
सौ मील प्रतिघंटा की रफ़्तार से
चलने वाली वेगवती हवाओं को भी
प्रतिस्पर्धा दे रही है ..........
दिशाओं ने भी छोड़ दिया है
चतुष्कोण या अष्ट कोण बनाना
मन की दसों दिशाओं से उठती
हुआं - हुआं की आवाजें
सियारों की चीखों को भी
शर्मसार कर रही हैं ........
क्या अब तक नहीं पहुंची
मेरी रूह के टूटते तारे की आवाज़ .........तुम तक ?
उफ़ ............सिर्फ एक बार आवाज़ दो
सांस थमने से पहले
जान निकलने से पहले
धडकनों के रुकने से पहले
(पपडाए अधरों की बोझिल प्यास फ़ना होने से पहले )
ये इश्क के चबूतरों पर बाजरे के दाने हमेशा बिखरते क्यों हैं ............प्रेमियों के चुगने से पहले .........जानां !!
सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .
जवाब देंहटाएंअगर दाने नहीं होंगे तो प्रेमी कबूतर चुगेंगे कैसे :):)
जवाब देंहटाएंइश्क़ वो आतिश है गालिब
जो लगाए न लगे बुझाये न बुझे ....बहुत खूब
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमन के गहरे भावों का संगम ...
जवाब देंहटाएं...बहुत सुन्दर मनोभाव!
जवाब देंहटाएंbehad sundar shabdvinyas..man ko chu lene wali rachna...bahut bahut badhai sundar rachna ke liye.
जवाब देंहटाएंक्या अब तक नहीं पहुंची
जवाब देंहटाएंमेरी रूह के टूटते तारे की आवाज़ .........तुम तक ?
उफ़ ............सिर्फ एक बार आवाज़ दो
सांस थमने से पहले
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
बहुत ही खोजपूर्ण अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंपढ़कर आनन्द आ गया!
bhaut khubsurat abhivaykti....
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम
प्रतिध्वनि सी छोड़ती हैं पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंये इश्क के चबूतरों पर बाजरे के दाने हमेशा बिखरते क्यों हैं ............प्रेमियों के चुगने से पहले .........जानां !!
जवाब देंहटाएंuff !! kyon hota hai aisa...!!
दिल की तड़प को प्रतिध्वनित करती खुबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंक्या अब तक नहीं पहुंची
जवाब देंहटाएंमेरी रूह के टूटते तारे की आवाज़ .........तुम तक ?
वाह ... बहुत खूब
लाजवाब प्रस्तुति
मन की मन जाने सुरंगमा ,मन की मन माने रे ,
जवाब देंहटाएंभावभीनी रचना ,सुन्दर बधाई .
इश्क के चबूतरे पर.............वाह बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंKAVITA DO BAAR PADH GAYAA HUN .
जवाब देंहटाएंUSKEE GOONJ AB TAK MAN , MASTISHK
MEIN SAMAAYEE HAI .
KAVITA DO BAAR PADH GAYAA HUN .
जवाब देंहटाएंUSKEE GOONJ AB TAK MAN , MASTISHK
MEIN SAMAAYEE HAI .
’क्या अब तक नहीं पहुंची
जवाब देंहटाएंमेरे रूह के टूतते तारे की आवाज’ मर्मस्पर्शी.
’क्या अब तक नहीं पहुंची
जवाब देंहटाएंमेरे रूह के टूतते तारे की आवाज’ मर्मस्पर्शी.
सुन्दर तरीके से अभिव्यक्त हुए हैं भाव और अर्थ .
जवाब देंहटाएं...दाने तो चुगने से पहले ही बिखरेंगे, चुगने के लिए ...बाद में बिखरकर क्या करेंगे ..
जवाब देंहटाएं----------सभी बकवास, असाहित्यिक, विरोधाभासी व तथ्यहीन प्रयोग हैं...
-"पपडाए अधरों की बोझिल प्यास..".
------क्या प्यास भी बोझिल होती है वह भी प्यार में बोझिल लग रहे है तो फिर प्रेमी को बुलाया क्यों जा रहा है...
"मन की दसों दिशाओं से उठती
हुआं - हुआं की आवाजें
सियारों की चीखों को भी
शर्मसार कर रही हैं "..
----- वह ! क्या बात है एसा प्यार है कि मन की आवाजें सियार की आवाजों जैसी होगयीं क्या प्यारी अभिव्यक्ति है प्यार की..
"कितने खरपतवार उग आये हैं.." वह क्या बात है सोच में खरपतवार उग आये हैं तो फिर प्यार कैसा , क्यों बुलाया जा रहा है प्रेमी को इतनी आतुरता से ...सच्चे परम में तो आनंदमय सोच बनती है ..