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गुरुवार, 13 दिसंबर 2012

ओ राँझेया ............देख वे तेरी हीर दीवानी होयी !!!

भीगते मौसम की कराहटें
जैसे जिस्म की खाल में
कोई रेशमी बूंटे टाँग रहा हो
तेज़ाब में सुईयाँ डुबा डुबाकर …
देख ना कितनी खूबसूरत
कशीदाकारी हुई है
रोम- रोम पर पड़े फफोलों पर
तेरा नाम ही उभर कर आया है
अब कौन चीरे उन फोड़ों को
जिन पर महबूब का नाम उभरा हो
जीने का मज़ा तो अब आएगा
जब टीस में भी तेरा अक्स नज़र आएगा
मैंने मांग ली है दुआ रब से
ओ खुदा अब ना करना मुझे मेरे यार से जुदा
मोहब्बत में मिलन कैसे भी हुआ करे
बस यार का दीदार हुआ करे
देख ना मेरी मोहब्बत की इन्तेहाँ
सोचती हूँ ..............उन फफोलों पर
तेरे साथ अपना भी नाम अंकित कर दूं
एक बार फिर तेज़ाब में सुइयां डुबाकर
क्या हुआ जो एक बार फिर से
दर्द की बारादरियों से गुजरना पड़ेगा
तेरे नाम के साथ मेरा नाम तो जुड़ जाएगा
और दुनिया कहेगी
तेरे नाम पे शुरू तेरे नाम पे ख़त्म जिसकी कहानी हुयी
ओ राँझेया ............देख वे तेरी हीर दीवानी होयी !!!

29 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ... बेहतरीन अभिव्‍यक्ति

    सादर

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  2. प्रेम की पराकाष्ठा...बहुत सुन्दर भाव...

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति हैं. शुभकामनाएं.. धन्यवाद.

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  4. रोम- रोम पर पड़े फफोलों पर
    तेरा नाम ही उभर कर आया है
    अब कौन चीरे उन फोड़ों को
    जिन पर महबूब का नाम उभरा हो…

    वाऽह ! क्या बात है !
    बहुत खूब !

    वंदना जी
    इस प्रेम कविता के रंग बहुत जुदा हैं …
    मुबारकबाद !

    …आपकी लेखनी से सुंदर सार्थक रचनाओं का सृजन होता रहे …
    शुभकामनाओं सहित…

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  5. प्रेम की इन्तहां...बहुत भावपूर्ण रचना..

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  6. बहुत सुंदर रचना वन्दना जी ...
    बधाई !

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  7. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति
    तेरे नाम के साथ मेरा नाम तो जुड़ जाएगा
    और दुनिया कहेगी
    तेरे नाम पे शुरू तेरे नाम पे ख़त्म जिसकी कहानी हुयी
    ओ राँझेया ............देख वे तेरी हीर दीवानी होयी !!!

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  8. बिल्कुल ही नये बिम्ब टाँक दिये हैं, भई लाजवाब.

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  9. बड़ी ही शिद्दत से इस प्रेम कहानी को दर्द की सियाही में डुबो कर आपने उकेरा है वन्दना जी ! हर लफ्ज़ उस अनोखी प्रेम कहानी का दस्तावेज़ बन गया है ! इस उत्कृष्ट अभिव्यक्ति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई !

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  10. प्रेमरस में पगी खूबसूरत प्रस्तुति.

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  11. "मोहब्बत की इन्तेहाँ" - दर्दनाक ही सही लेकिन लक्ष्य पर संधान

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