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शनिवार, 16 जून 2012

इबादत के पन्ने लफ़्ज़ों के मोहताज नहीं होते ............

सुनो
तुम लिख रहे हो ना ख़त
मेरे नाम ..........जानती हूँ
देखो ना ..........स्याही की कुछ बूँदें
मेरे पन्नों पर छलछला आयी हैं
सुनो
देखो मत लिखना ........विरहावली
वो तो बिना कहे ही 
मैंने भी है पढ़ी
और देखो 
मत लिखना .........प्रेमनामा
उसके हर लफ्ज़ की रूह में 
मेरी सांसें ही तो सांस ले रही हैं
फिर किसके लिए लिखोगे
और क्या लिखोगे 
बताओ तो सही 
क्यूँ लफ़्ज़ों को बर्बाद करते हो
क्यूँ उनमे कभी दर्द की 
तो कभी उमंगों की टीसें भरते हो
मोहब्बत के सफरनामे पर 
हस्ताक्षरों की जरूरत नहीं होती
ये दस्तावेज तो बिना जिल्दों के भी
अभिलेखागार में सुरक्षित रहते हैं 
और शब्दों की बयानी की मोहताज़ 
कब हुई है मोहब्बत
ये तो तुम जानते ही हो 
फिर क्यूँ हवाओं के पन्नों पर
संदेशे लिखते हो
ना ना .............नहीं लिखना है हमें
नहीं है अब हमारे पहलू में जगह
किसी भी वादी में बरसते सावन की
या बर्फ की सफ़ेद चादर में ढके 
हमारे अल्फाज़ नहीं है मोहताज़
पायल की झंकारों के 
किसी गीत या ग़ज़ल की अदायगी के
बिन बादल होती बरसात में भीगना
बिन हवा के सांसों में घुलना
बिन नीर के प्यास का बुझना
और अलाव पर नंगे पैर चलकर भी
घनी छाँव सा सुख महसूसना
बताओ तो ज़रा .......
जो मोहब्बत की इन राहों के मुसाफिर हों
उन्हें कब जरूरत होती है 
संदेशों के आवागमन की 
कब जरूरत होती है 
उन्हें पन्नों पर उकेरने की
क्यूँकि वो जानते हैं 

इबादत के पन्ने लफ़्ज़ों के मोहताज नहीं होते ............



19 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल नए फ्रेम में जड़ी नई तस्वीर-सी सुंदर कविता।
    कितनी अच्छी बात लिखी है आपने, प्रेम इबादत का ही दूसरा नाम है।

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  2. इबादत के पन्ने लफ़्ज़ों के मोहताज नहीं होते ............
    बिलकुल सही लिखा है आपने... बहुत सुन्दर भाव... आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह ... भावमय करते शब्‍द ... बेहतरीन

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर वंदना जी....
    आपकी रचनाएं भी टिप्पणियों की मोहताज नहीं...मगर कहे बिना रहें भी तो कैसे????

    बहुत सुन्दर लेखन.....

    अनु

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  5. सच जब प्रेम इबादत बन जाये तो लफ्जों की क्या ज़रूरत .... सुंदर और भाव प्रवण रचना

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  6. बहुत खुबसूरत ।

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  7. इबादत के पन्ने लफ्जों के मोहताज नहीं होते ..
    बेहद गहन भाव युक्त अभिव्यक्ति !!!

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  8. इबादत के पन्ने लफ्जों के मोहताज नही होते,,,,

    वाह !!!!! भावपूर्ण पंक्तियाँ से सजी बहुत बेहतरीन रचना,,,,,

    RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,

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  9. आपकी इस रचना को एक शे’र पेश करता हूं
    जिस पर हमारी आंख ने मोती बिछाए रात भर, भेजा तुझे काग़ज़ वही, हमने लिखा कुछ भी नहीं।

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  10. बहुत बेहतरीन रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  11. खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |

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