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रविवार, 17 जून 2012

बस ऐसे ही तो थे मेरे बाबूजी



कोई ऐसा रिश्ता होता है
कोई ऐसा नाता होता है
जो बिछड़ कर भी ना बिछड़ता है
बस यादों में टीसता रहता है
आँख नम कर जाता है
वो स्नेह दुलार तड़पाता है
निस्वार्थ प्रेम की पराकाष्ठा पर
उच्च स्थान पाता है
शब्दों में व्यक्त ना होता है
सिर्फ आँख की नमी की धरोहर होता है
बिन कहे सब कह जाता है
यूँ दुनिया की उलझनों में उलझे रहते हैं
सबको भूले रहते हैं
मगर एक दिन ही सही
वो रिश्ता हमें बुलाता है
अपनी यादें दे जाता है
बहुत कुछ बदल जाता है
यादों से ना मुक्ति देता है
हाँ ........बेटी का पिता से ऐसा नाता होता है




नहीं याद कर पाती
ज़िन्दगी की भाग दौड़ में फँसी
उलझनों में उलझी
एक सीधी रेखा नहीं रहती
बन जाती हूँ 
माँ पत्नी बहन
बस नहीं रहती तो सिर्फ .......बेटी
अपने बाबूजी की बेटी

उनकी आँख का तारा
सहेजा था जिसे बड़े लाड़ से
आँच नहीं आने दूँगा
तेरे हक़ के लिए
ज़माने सा लड़ जाऊँगा
मगर आँख में ना आँसू आने दूँगा
ऐसा कहने वाले 
पंखों को परवाज़ देने वाले
सदा चुप रहने वाले
मगर बेटी के लिए भाव विह्वल हो जाने वाले
ऐसे ही तो थे मेरे बाबूजी

नहीं कर पाती कुछ भी
रो भी नहीं पाती 
याद आती है कभी कभी
बहुत ज्यादा 
पर किससे कहूं ?
पी लेती हूँ आँसुओं को 
और जी लेती हूँ 
जीना जरूरी है ना ........
जब से गए हैं 
आँगन ही छूट गया
मेरा हर अवलंबन टूट गया
वो स्नेह की गागर उँडेलती आँखें
अब कहीं नहीं दिखतीं
तरसती है रूह मेरी
क्योंकि जानती है ना
पिता का प्रेम निस्वार्थ था 
लाड़ -  दुलार में माँ से ना कम था 
दिल तो उनमे भी वैसा ही था 
बस व्यक्त नहीं कर पाते थे
अपने स्नेह को आँखों से ही जताते थे
बेटी के कांटा लगने पर
स्वयं घायल हो जाते थे
जिन्होंने जीवन से लड़ना सिखाया
कैसे जीना है ये बतलाया
कदम कदम पर राह दिखाई
अपने अनुभवों की पोटली मुझे पकडायी
कैसे ना याद आयें मुझे
त्याग और स्नेह की मूरत 
बस ऐसे ही तो थे मेरे बाबूजी 
आज याद बहुत आये ........मेरे बाबूजी 

31 टिप्‍पणियां:

  1. सचमुच पिता का प्यार किसी भी तरह से माँ से कम नहीं होता , बस वे जताते नहीं ...उनके बिना जब तपती धूप में छत छीन जाने का अहसास होता है , तब समझ आता है कि वे क्या थे हमारे लिए !

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  2. पिता का प्यार माँ से कम नहीं होता , .उनके न रहने पर प्यार की कमी का अहसास होता है , तब समझ आता है कि वो क्या थे हमारे लिए !

    RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,

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  3. बहुत अच्छे सच्चे बाबूजी .... स्तम्भ थे बाबूजी

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  4. पितृ दिवस पर एक भाव भीनी सुन्दर रचना .

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  5. बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी ...

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  6. बहुत सुन्दर
    बाबूजी के प्रति

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  7. AAPNE APNE PITAA JI KO YAAD KIYA HAI,
    BAHUT ACHCHHAA LAGAA HAI .

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  8. भावपूर्ण ...पिता दिवस की शुभकामनाएं ...

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  9. सच पिता ऐसे ही होते हैं .... बहुत सुंदर रचना

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  10. **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
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    बेहतरीन रचना

    केरा तबहिं न चेतिआ,
    जब ढिंग लागी बेर



    ♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥

    ♥ संडे सन्नाट, खबरें झन्नाट♥


    ♥ शुभकामनाएं ♥
    ब्लॉ.ललित शर्मा
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    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत बेहतरीन रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  12. भावमय करती प्रस्‍तु‍ति... आभार

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  13. भावभीनी हृदयस्पर्शी प्रस्तुति.

    बेटी, अपने बाबूजी की बेटी

    के मासूम से अल्फाज दिल को

    छू गए,आँखें नाम कर गए.

    आपके बाबूजी को मेरा शत शत नमन.

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  14. भाव मय ... दिल में उतर गयी ये रचना ... सच है की पिता का प्यार भी कम नहीं होता ... इसकी तुलना नहीं की जा सकती ...

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  15. आपके बाबूजी को मेरा सादर-नमन !

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  16. बहुत सुन्दर और सटीक पोस्ट।

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  17. hriday sparshi rachna ...
    bahut sundar yaden ....!!
    naman ...un yadon ko aur Baabuji ko bhi ...

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  18. माता और पिता दोनों का प्यार अपने बच्चों से बराबर ही होता है. सुंदर रचना फादर्स डे पर.

    बधाई.

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  19. वन्दना जी आपका यों बाबूजी को याद करना आँखें भर गया है। बस यादें ही शेष रह जातीं हैं ।

    जवाब देंहटाएं

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