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शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

खुद ही प्रेम , खुद ही प्रेमी और खुद ही प्रेमास्पद




जब सर्वस्व समर्पण कर दिया फिर कोई चाह नही होती सिर्फ़ उसकी रज़ा मे ही अपनी रज़ा होतीहै और वो ही तो सच्ची मोहब्बत होती है ………

देखें कौन किससे कितनी मोहब्बत करता है? 
चलो आज ये भी आजमा लें ए खुदा 
तू है खुदा या मै हूं खुदा 
बन्दगी के अन्तिम छोर तक चलते चले जायें 
बन्दगी मे ना पता चलता
 कौन है खुदा और कौन महबूब 
चल इसी बहाने कर लें इबादत 
तू मुझे आजमा ले मै तुझे आजमा लूँ 
या तू मुझे भूल जाये या मै तुझे याद आऊँ 
चाहे तू जीत जाये चाहे मै हार जाऊँ 
दोनो सूरत मे तुझमे ही समाऊँ
 तेरा ही स्वरूप बन जाऊँ 
मेरा लोप हो जाये
तेरा ही अक्स हर तरफ़ छाये 




बस एक बार उससे बात शुरु हो जाती है ना  फिर पता नही चलता कि कौन

 क्या कह रहा है और किसे कह रहा है बस हर ओर उसका ही नज़ारा दिखता है


जब चूनर पर रंग चढ जाये फिर सब रंग चटक ही नज़र आयें

मेरे नैनो मे अटका है श्याम

मेरी पलको पर नाचता है श्याम

मेरी सांसो मे थिरकता है श्याम

मेरी धडकन बन धड्कता है श्याम 

मेरे रोम रोम मे बसा है श्याम

मै तो हो गयी अब श्याम ही श्याम 

मुझे आये ना कहीं आराम 

…………
ए री कोई श्याम से मिलन करा दो

……
ए री कोई सजन को संदेसा पहुंचा दो


ए री कोई प्रेम को प्रेम से मिला दो








ये मिलन तो हो रहा है मगर दृष्टिमान नहीं है शायद तभी वो अगोचर है 

गोचर नहीं हो पा रहा और दीवानी देखो कैसे मतवाली हो रही है 




मेरी पीर को जाने ना कोई 


मै तो श्याम की दीवानी होई

 अंखियां दर्शन को तरस गयीं

 किस विधि मिलना होई

उनसे जाके कह दो कोई

 तेरी दीवानी तुझ बिन देखो 

सूख सूख के कांटा होई 

मेरी पीर ना जाने कोई





यद्यपि  जानता है सब ...उससे जुदा क्या है पर दीवानी के मन के भावों 

को भी तो शब्द देने हैं ना उसे ........शायद तभी शब्दों के माध्यम से 

उतर रहा है और उसके भावों में ढल उसे सुकून दे रहा है .....आह ! प्रेम 

का अद्भुत संयोग तो देखो 

खुद ही प्रेम , खुद ही प्रेमी और खुद ही प्रेमास्पद  





वो जानता है 

वो झेलता है 

वो खुद ही तो रोता है 

वो हर दर्द से गुजरता है 

हर पीर को सहता है 

वो हर भाव मे बसता है 

हर सोच मे जीता है 

उसका ही नूर समाया है 

तभी तो ये दर्द उभर आया है………

वो अश्रुओं मे खुद ही तो ढलता है

नीर बनकर बहता है

हाय !मोहन तू क्यूँ इतना दर्द सहता है 

बस इसी दर्द का तो दर्द होता है 

वरना मै तो कहीं हूँ ही नही…………अस्तित्वविहीन पुंजों मे दर्द कब 

बहता है



33 टिप्‍पणियां:

  1. Vandana ji...

    Prem ek sukhad anubhooti...thi, hai aur rahegi...

    Sundar bhavabhivyakti...

    Deepak...

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  2. वंदना जी प्रेम की अनुभूति का बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति..बहुत सुन्दर..बधाई..

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  3. जब सर्वस्व समर्पण कर दिया
    फिर कोई चाह नही होती सिर्फ़ उसकी रज़ा मे ही अपनी रज़ा होतीहै और वो ही तो सच्ची मोहब्बत होती है ………

    वंदना जी नमन है आपकी लेखनी को...हर एक शब्द जैसे प्रेमरस में डूब गया है सराबोर है... अद्भुत...

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  4. कोमल भावो की बेहतरीन अभिवयक्ति.....

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  5. मन के समर्पण के बाद कुछ नहीं बचता ..... भावविभोर करती रचना है वंदनाजी......

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  6. वंदना जी ,.
    प्रेम रस में डूबी भावपूर्ण लेखनी में सुंदर प्रस्तुति
    बधाई,.........
    मेरे पोस्ट मे...आज चली कुछ ऐसी बातें, बातों पर हो जाएँ बातें

    ममता मयी हैं माँ की बातें, शिक्षा देती गुरु की बातें
    अच्छी और बुरी कुछ बातें, है गंभीर बहुत सी बातें
    कभी कभी भरमाती बातें, है इतिहास बनाती बातें
    युगों युगों तक चलती बातें, कुछ होतीं हैं ऎसी बातें

    आपका स्वागत है,...

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  7. प्रेम में अहम् का विलोपन आवश्यक है। मीरा और श्याम का प्रेम ऐसा ही था।

    बहुत संदर भाव।

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  8. वंदना जी बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति.

    बहुत सुंदर, बधाई.

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  9. hriday ke prem purn bhavon ki adbhut anoothi aur nishchhal abhivyakti ke liye aapko naman, jai radhe, jai shyam.

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  10. श्याम रंग डूबी और उसी रंग में रंगी सुन्दर अनुभूति .. को अभिव्यक्त करती रचना ..

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  11. श्रेष्ठतम कविता है ये पढ़कर आनद आ गया. सुन्दर भावभंगिमा प्रस्तुत करती कविता

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  12. prem ke komal bhaavon ko bahut sundar tareeke se sangeet badhdh kiya hai.bahut sundar.

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  13. भक्ति में डूबी रचना ..सुन्दर.

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  14. सुभानाल्ह..........मीरा की भक्ति को शब्द दिए हैं .......बहुत ही सुन्दर पोस्ट.........हैट्स ऑफ इसके लिए|

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  15. जब सर्वस्व समर्पण कर दिया
    फिर कोई चाह नही होती सिर्फ़ उसकी रज़ा मे ही अपनी रज़ा होतीहै और वो ही तो सच्ची मोहब्बत होती है …यही तो सच्ची चाहत है .........बहुत खूब, बहुत गहरी सोंच से भरी आपकी रचना .....

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  16. प्रेमानुभूति का उत्कृष्ट भावपूर्ण चित्रण...आभार

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  17. सुन्दर एहसास और ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति के साथ भावपूर्ण प्रस्तुती!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  18. अहंकार छूटते ही समर्पण आसान हो जाता है और समर्पण होते ही "मैं" खो जाता है जिसके बाद बस पाना ही पाना होता है।

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  19. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....बधाई..!

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  20. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....बधाई..!

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  21. प्रेम रस की सुखद प्रस्तुति,...सुंदर पोस्ट ..

    मेरे नए पोस्ट की चंद लाइने पेश है..........

    नेताओं की पूजा क्यों, क्या ये पूजा लायक है
    देश बेच रहे सरे आम, ये ऐसे खल नायक है,
    इनके करनी की भरनी, जनता को सहना होगा
    इनके खोदे हर गड्ढे को,जनता को भरना होगा,

    अगर आपको पसंद आए तो समर्थक बने....
    मुझे अपार खुशी होगी,..............धन्यबाद....

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  22. menboob aur khuda ek hi ehsaas hai roop bhale alag ho. bhaavpran abhivyakti, badhai Vandana ji.

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