कुछ ज्यादा तो नही चाहा मैने
ना आस्मां के सितारे चाहे
ना समन्दर से गहरा प्यार
ना मोहब्बत के ताजमहल चाहे
ना ख्वाबो की इबादतगाह
ना तुझसे तेरा अक्स ही मांगा
ना तुझसे तेरी चाहत ही
फिर भी खफ़ा है ज़माना
जो सिर्फ़ इक लम्हे को
कैद करना चाहा
नज़रों के कैदखाने मे
पलकों के कपाट मे
बंद करना चाहा
आँसुओं के ताले लगा
लम्हे को जीना चाहा
आँसुओ की सलवटों मे
सैलाब कहाँ छुपे होते हैं
वो तो खुद लम्हों की
खताओं मे दफ़न होते हैं
फिर किस खता से पूछूंना आस्मां के सितारे चाहे
ना समन्दर से गहरा प्यार
ना मोहब्बत के ताजमहल चाहे
ना ख्वाबो की इबादतगाह
ना तुझसे तेरा अक्स ही मांगा
ना तुझसे तेरी चाहत ही
फिर भी खफ़ा है ज़माना
जो सिर्फ़ इक लम्हे को
कैद करना चाहा
नज़रों के कैदखाने मे
पलकों के कपाट मे
बंद करना चाहा
आँसुओं के ताले लगा
लम्हे को जीना चाहा
आँसुओ की सलवटों मे
सैलाब कहाँ छुपे होते हैं
वो तो खुद लम्हों की
खताओं मे दफ़न होते हैं
उसकी डगर का पता
यहाँ तो अलसाये से दरख्तों पर भी
उदासियों वीरानियों का शोर है
फिर हर वजूद को मिलें
मोहब्बत के मयखाने
ऐसा कहाँ होता है
शायद तभी कुछ वजूदों पर
रोज मोहब्बत की छाँव नहीं होती .............
यहाँ तो अलसाये से दरख्तों पर भी
जवाब देंहटाएंउदासियों वीरानियों का शोर है
फिर हर वजूद को मिलें
मोहब्बत के मयखाने
ऐसा कहाँ होता है
बेहतरीन ।
सादर
वाह ..बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंmahabbat ki chanw.......wah,bahut achchi lagi......
जवाब देंहटाएंभावप्रवण रचना
जवाब देंहटाएंजहाँ मोहब्बत की छाँव नहीं होती होगी उसकी कल्पना मात्र से ही झुरझुरी सी दौड़ जाती है . सुन्दर लिखा है.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी पोस्ट ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
Ekek lafz,ekek panktee dil kee gahyariyon me uatar gayee!
जवाब देंहटाएंधूप छाँव का जीवन जीना हम सबने है सीख लिया।
जवाब देंहटाएंमोहब्बत का मजा तो धूप में ही आता है।
जवाब देंहटाएंवंदना जी,...क्या खूब लिखा आपने
जवाब देंहटाएंकैद करना चाहा
नजरों के कैद खाने में
पलकों के कपाट में
बंद करना चाहा
आसुओं के ताले लगा,...बहुत सुंदर रचना,...
मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार है,...
वंदना जी मार्मिक करती हुई रचना...........
जवाब देंहटाएंशायद तभी कुछ वजूदों पर
जवाब देंहटाएंरोज मोहब्बत की छाँव नहीं होती .............
वंदनाजी कितनी गहराई है आपके शब्दों में... मन को छू गयी आपकी रचना... आभार
अपने भीतर ही कहीं कोई ऊहापोह लगती है,वरना मुहब्बत करने वाली ज़माने की फ़िक्र कहां करते हैं!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव की सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबढ़िया कविता...
जवाब देंहटाएंआपकी अन्य रचनाओं की भाँति यह भी बहुत भावपूर्ण अतुकान्त अभिव्यक्ति है!
जवाब देंहटाएंsundar bhavo se saji behtarin rachana hai...
जवाब देंहटाएं"रोज मोहब्बत की छाँव नहीं होती .........."
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति ....!!
मर्मस्पर्शी भावुक भावोद्गार...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर...
बहुत मार्मिक रचना......
जवाब देंहटाएंbhaavpurn rachna, badhai.
जवाब देंहटाएंयहाँ तो अलसाये से दरख्तों पर भी
जवाब देंहटाएंउदासियों वीरानियों का शोर है
फिर हर वजूद को मिलें
मोहब्बत के मयखाने
ऐसा कहाँ होता है
bahut khoob ...samay mile to us link par aaiyega jo aapko face book par send kiya tha maine :)
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 08 -12 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज... अजब पागल सी लडकी है .
Wah!!! Bahut khub...
जवाब देंहटाएंप्रेमपुर्ण कविता
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ वंदना जी.
जवाब देंहटाएंआप तो बस आप ही हैं.
भाव समुन्दर में ऐसी लहरें उठातीं हैं
कि मन भाव विभोर हो डूब जाता है.
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार.
behad bhaavpoorn rachna...aisi hi rachnayen padh kar srijan ka unmaad jaagta hai...bahut badhai vananda ji..
जवाब देंहटाएंबहुत तीव्रता से उमड़ते-घुमड़ते भाव ,ठीक इन्द्रधनुषी बादलों सरीखे ........
जवाब देंहटाएंखुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-722:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
बहुत खूब ...जिन्हें नसीब हो मोहब्बत की छांव
जवाब देंहटाएंवे होते है खुश नशीव ...वर्ना तो ग़मों कमी कहा है खूबसूरत रचना
Namaskar..
जवाब देंहटाएंJamane ko us se rahi hai adaavat...
Hai jisne yahan par kari jo muhabbat...
Sundar bhvabhivyakti...
Jane kyon mobile se comment post nahin ho pa raha..
Deepak...
मार्मिक भावाभिवय्क्ति.....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना उतने ही खूबसूरत भाव.
जवाब देंहटाएंकुछ ज्यादा तो नहीं चाहा मैने
जवाब देंहटाएंफिर भी खफ़ा है जमाना
आसुओं के ताले लगा
लम्हों को जीना चाहा-
शायद तभी कुछ वज़ूदों पर
रोज़ मुहब्बत की छांव नहीं होती
बहुत ही सुंदर—कहीं जमीं नहीं मिलती,तो कहीं आसमां नहीं मिलता
सैलाब कहाँ छुपे होते हैं
जवाब देंहटाएंवो तो खुद लम्हों की
खताओं मे दफ़न होते हैं फिर किस खता से पूछूं
उसकी डगर का पता
बहुत जबरदस्त ...कूट कूट कर दर्द भरा है ...और बहुत ख़ामोशी से बयां हो रहा है ...
बहुत अच्छी भावपूर्ण सुंदर रचना,..
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति वन्दना जी ! मन को छू लेने वाले उद्गारों को बड़ी खूबसूरती से शब्दों का बाना पहनाया है आपने ! अति सुन्दर !
जवाब देंहटाएंगज़ब!
जवाब देंहटाएंBehad sundar kavita
जवाब देंहटाएंbahut khoobsurat bhaav ati sundar.
जवाब देंहटाएंbahut sunder bhav liye sunder rachna..sadar badhayee
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