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बुधवार, 7 दिसंबर 2011

रोज मोहब्बत की छाँव नहीं होती .............


कुछ ज्यादा तो नही चाहा मैने
ना आस्मां के सितारे चाहे
ना समन्दर से गहरा प्यार
ना मोहब्बत के ताजमहल चाहे
ना ख्वाबो की इबादतगाह
ना तुझसे तेरा अक्स ही मांगा
ना तुझसे तेरी चाहत ही
फिर भी खफ़ा है ज़माना
जो सिर्फ़ इक लम्हे को
कैद करना चाहा
नज़रों के कैदखाने मे
पलकों के कपाट मे
बंद करना चाहा
आँसुओं के ताले लगा
लम्हे को जीना चाहा
आँसुओ की सलवटों मे
सैलाब कहाँ छुपे होते हैं
वो तो खुद लम्हों की
खताओं मे दफ़न होते हैं
फिर किस खता से पूछूं
उसकी डगर का पता
यहाँ तो अलसाये से दरख्तों पर भी
उदासियों वीरानियों का शोर है 

फिर हर वजूद को मिलें
मोहब्बत के मयखाने 
ऐसा कहाँ होता है 
शायद तभी कुछ वजूदों पर
रोज मोहब्बत की छाँव नहीं होती .............

43 टिप्‍पणियां:

  1. यहाँ तो अलसाये से दरख्तों पर भी
    उदासियों वीरानियों का शोर है
    फिर हर वजूद को मिलें
    मोहब्बत के मयखाने
    ऐसा कहाँ होता है

    बेहतरीन ।

    सादर

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  2. जहाँ मोहब्बत की छाँव नहीं होती होगी उसकी कल्पना मात्र से ही झुरझुरी सी दौड़ जाती है . सुन्दर लिखा है.

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  3. धूप छाँव का जीवन जीना हम सबने है सीख लिया।

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  4. मोहब्‍बत का मजा तो धूप में ही आता है।

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  5. वंदना जी,...क्या खूब लिखा आपने
    कैद करना चाहा
    नजरों के कैद खाने में
    पलकों के कपाट में
    बंद करना चाहा
    आसुओं के ताले लगा,...बहुत सुंदर रचना,...
    मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार है,...

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  6. शायद तभी कुछ वजूदों पर
    रोज मोहब्बत की छाँव नहीं होती .............

    वंदनाजी कितनी गहराई है आपके शब्दों में... मन को छू गयी आपकी रचना... आभार

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  7. अपने भीतर ही कहीं कोई ऊहापोह लगती है,वरना मुहब्बत करने वाली ज़माने की फ़िक्र कहां करते हैं!

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  8. बहुत सुंदर भाव की सुंदर रचना

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  9. आपकी अन्य रचनाओं की भाँति यह भी बहुत भावपूर्ण अतुकान्त अभिव्यक्ति है!

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  10. "रोज मोहब्बत की छाँव नहीं होती .........."

    भावपूर्ण अभिव्यक्ति ....!!

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  11. मर्मस्पर्शी भावुक भावोद्गार...

    बहुत बहुत सुन्दर...

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  12. यहाँ तो अलसाये से दरख्तों पर भी
    उदासियों वीरानियों का शोर है
    फिर हर वजूद को मिलें
    मोहब्बत के मयखाने
    ऐसा कहाँ होता है
    bahut khoob ...samay mile to us link par aaiyega jo aapko face book par send kiya tha maine :)

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  13. क्या कहूँ वंदना जी.
    आप तो बस आप ही हैं.
    भाव समुन्दर में ऐसी लहरें उठातीं हैं
    कि मन भाव विभोर हो डूब जाता है.
    सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार.

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  14. behad bhaavpoorn rachna...aisi hi rachnayen padh kar srijan ka unmaad jaagta hai...bahut badhai vananda ji..

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  15. बहुत तीव्रता से उमड़ते-घुमड़ते भाव ,ठीक इन्द्रधनुषी बादलों सरीखे ........

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  16. खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |

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  17. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच-722:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  18. बहुत खूब ...जिन्हें नसीब हो मोहब्बत की छांव
    वे होते है खुश नशीव ...वर्ना तो ग़मों कमी कहा है खूबसूरत रचना

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  19. Namaskar..

    Jamane ko us se rahi hai adaavat...
    Hai jisne yahan par kari jo muhabbat...

    Sundar bhvabhivyakti...

    Jane kyon mobile se comment post nahin ho pa raha..

    Deepak...

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  20. बेहतरीन रचना उतने ही खूबसूरत भाव.

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  21. कुछ ज्यादा तो नहीं चाहा मैने
    फिर भी खफ़ा है जमाना
    आसुओं के ताले लगा
    लम्हों को जीना चाहा-
    शायद तभी कुछ वज़ूदों पर
    रोज़ मुहब्बत की छांव नहीं होती
    बहुत ही सुंदर—कहीं जमीं नहीं मिलती,तो कहीं आसमां नहीं मिलता

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  22. सैलाब कहाँ छुपे होते हैं
    वो तो खुद लम्हों की
    खताओं मे दफ़न होते हैं फिर किस खता से पूछूं
    उसकी डगर का पता

    बहुत जबरदस्त ...कूट कूट कर दर्द भरा है ...और बहुत ख़ामोशी से बयां हो रहा है ...

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  23. बहुत अच्छी भावपूर्ण सुंदर रचना,..

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  24. बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति वन्दना जी ! मन को छू लेने वाले उद्गारों को बड़ी खूबसूरती से शब्दों का बाना पहनाया है आपने ! अति सुन्दर !

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