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शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

विशालता के पैमाने नही होते

दे्खा है ना
दग्ध सूरज
रोज आस्माँ
के सीने को
जलाता है
अपनी आग
अपना आक्रोश
सब उँडेल देता है
मगर आस्माँ
आज भी वहीं
स्थिर अविचल
समाधिस्थ सा
ध्यानमग्न ख़डा है
जानता है ना
दर्द जब हद से गुजर जाये
तो दवा बन जाता है
और देखो ना
आस्माँ ने उसकी ज्वाला को
अपने मे समाहित कर
उसे सुकून और स्वंय को
कितना विस्तृत किया है
या विशालता और महानता को
किसी कसौटी की जरूरत नही होती
तभी हर दर्द को समाने का हुनर आता है
शायद तभी  विशालता के पैमाने नही होते

33 टिप्‍पणियां:

  1. विशाल ह्रदय और भाव से लिखी गई कविता !

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  2. भावमय करते शब्‍दों के साथ बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  3. 'दर्द जब हद से गुजर जाये

    तो दवा बन जाता है '

    .....................गहन भावों की प्रभावशाली अभिव्यक्ति

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  4. सच कहा विशालता के पैमाने नहीं होते ..जो पमानों में नाप जाए वहाँ विशालता नहीं होती

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  5. बहतरीन रूपकों का इस्तेमाल करते हुए आपने बहुत गहरी बात कही है.....बड़ा बाने के लिए सहनशक्ति का होना बहुत ज़रूरी है.....शानदार प्रस्तुति|

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  6. गहन भावों की प्रभावशाली अभिव्यक्ति|

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  7. एक खूबसूरत टुकडा , बहुत ही सुंदर

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  8. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (02.07.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  9. क्या बात कही है ..विशालता को भला कैसे नापा तौला जा सकता है.

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  10. ऐसी विशालता मानवता को भी कायम रखती है

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  11. dard jab had se gujar jaaye to dava ban jaata hai.bahut achche bhaavon ko mahsoos karati hui kavita kaabile tareef hai.

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  12. बेहतरीन प्रस्‍तुति, प्रभावशाली अभिव्यक्ति

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  13. सूर्य का उदाहरण विशालता का मानक है।

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  14. कमाल के भाव संजोये हैं...... बहुत उम्दा रचना

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  15. विशालता के पैमाने नहीं होते


    विशाल लोगों के लिए कोई बेगाने नहीं होते

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  16. विशालता के कोई पैमाने नहीं होते ...
    फैले तो पूरा आसमान , सिकुड़े तो सिर्फ एक बूँद !

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  17. पैमाने तो होते हैं ,सामर्थ्य नहीं मापने की , अगर कोशिश की भी तो छुद्रता है , विचारों की .... उत्कृष्ट रचना जी / धन्यवाद /

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  18. सच कहा विशालता के पैमाने नहीं होते...बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  19. दर्द जब हद से गुजर जाये
    तो दवा बन जाता है
    और देखो ना
    आस्माँ ने उसकी ज्वाला को
    अपने मे समाहित कर
    उसे सुकून और स्वंय को
    कितना विस्तृत किया है bahut hi gahnbhav liye sunder abhibyakti,badhaai aapko.

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  20. सच कहा है आपने विशालता के पैमाने नहीं होते.. जब पैमाने में नप सके तो विशालता कहाँ रह जाती है......... प्रभावशाली अभिव्यक्ति..........

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  21. शब्दो में बांध दिया.. बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  22. 'दर्द जब हद से गुजर जाऐ
    तो दवा बन जाता है '

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है वन्दना जी ...आपका तो वैसे भी जबाब नही ...

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  23. विशालता के पैमाने नहीं होते---आपकी बात से सहमत.

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  24. सरल सहज भाव से गहरी बात कह दी..

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