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बुधवार, 8 जून 2011

प्रिया ! कहाँ खो गयीं तुम ?

आज भी याद है 
वो पहले मिलन की
पहली खुशबू
सांसों के साथ महकती सी 

वो तुम्हारी नागिन सी
बलखाती ,लहराती 
वेणी जब मेरे सीने से
टकराई थी 
इक आह सी निकल आई थी 
तुम बिलकुल मेरे
पीछे ही तो थीं
जब तुमने
लापरवाही से
अपनी करीने से बंधी
वेणी को पीछे झटका था
उस वेणी का पहला स्पर्श
आज भी मदमाता है
और जब मैंने पलटकर
तुम्हें देखा तो 
न जाने गुस्सा 
कहाँ काफूर हो गया 
और तुम्हारी 
चंचल मुस्कान
बेफिक्र अदा
बात- बात पर 
खिलखिलाना 
होशो -हवास 
गुम करने के लिए
काफी था 
और तुम 
अपनी दुनिया में मस्त थीं 
तुम्हें पता भी न था
कि किसे घायल कर दिया
किसी को अपनी ज़ुल्फ़ों का
कैदी बना लिया 


देखो आज भी 
तुम्हारी वेणी
मेरे ह्रदय आँगन में 
पहाड़ों की सर्पीली 
राहों सी बलखाती है 
मैं इन राहों में
खो जाता हूँ 
और तुम्हें ढूंढता हूँ 
प्रिये , ये कौन सा 
मुकाम आ गया 
ज़िन्दगी का 
वो अल्हड़ता , चंचलता 
उन्मुक्त हंसी 
आज ढूंढता हूँ
तुम में उसी कमसिनी को
फिर ढूंढता हूँ एक बार
तुम्हारे साथ 
उसी पल को
जीना चाहता हूँ
प्रिया ! कहाँ खो गयीं तुम ?

पास होकर भी 
क्यूँ दूर हो तुम 
पता नहीं 
वक्त अजीब होता है
या रिश्ते 
मगर मैं तुम्हारे 
प्रेम की वेणी में आबद्ध 
वो प्रेम पुष्प हूँ 
जो आज भी 
तुममे तुम्हें ढूंढता है        

38 टिप्‍पणियां:

  1. वेणी से टकराकर घायल हुए शख्स की मनोदशा को खूबसूरती से शब्दों में पिरोया आपने !

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  2. गहरे हृदय के जज्बातों से लिपटी एक प्रेम कहानी , आपकी लेखनी के विस्तार को बखूबी कहती सुन्दर रचना ! वंदना जी बधाई स्वीकार करें

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  3. अति सुन्दर
    प्यार की खूबसूरत अभिव्यक्ती

    जवाब देंहटाएं
  4. और हां एक चीज़ जो छूटी जा रही थी , जन्म दिन की बहुत-बहुत बधाई , आपकी लेखनी सदियों तक यूं ही सम्रध्शाली रहे पुनः बधाई और शुभकामनाये

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  5. प्रिया ! कहाँ खो गयीं तुम ?
    पास होकर भी क्यूँ
    दूर हो तुम पता नहीं
    वक्त अजीब होता है
    या रिश्ते

    मन के भावों का सम्प्रेषण बखूबी हुआ है ...लेकिन प्रिया के दूर रहने पर सवाल उठना तो स्वाभाविक है .... रिश्ते कभी अजीब नहीं होते ...वक्त और हालत उन्हें यह सब बना देते हैं ...बहुत मार्मिक ..शुक्रिया

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  6. यादें प्रेम के पहले स्पर्श की. बड़ी सुंदरता से भावों को पिरोया है. बधाई.

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  7. कभी कभी साथ चलते चलते भी दूरियां आ जाती हैं...... बहुत सुंदर रचना वंदनाजी

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  8. मानसिक लापरवाही में न जाने कितने रिश्ते खो जाते हैं।

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  9. आज तो आपके लिये आपके जनमदिन की अनेकों शुभकामनाएँ और उत्कृष्ट रचनाधर्मिता के लिये बधाईयां...

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  10. आदरणीया वंदना जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !




    ~*~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !~*~



    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  11. वंदना जी
    सादर प्रणाम और जन्मदिवस के अवसर पर सच्चे हृदय से शुभकामनाएं और बधाइयां !

    तुम अपनी दुनिया में मस्त थीं
    तुम्हें पता भी न था
    कि किसे घायल कर दिया
    किसी को अपनी ज़ुल्फ़ों का कैदी बना लिया

    :) बहुत ख़ूब !

    आपकी कविताओं में बड़ी ख़ूबियां हुआ करती हैं …
    नारी हो'कर भी स्वयं को पुरुष के मनोभावों को अभिव्यक्त करने के लिए नियुक्त कर देना … … …

    नर्म-नाज़ुक रचना के लिए पुनः आभार !
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  12. सुन्दर तरीके से गूँथी है ये प्रेम की वेणी। बधाई।

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  13. वंदना जी, इस सुंदर अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद....
    और

    जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ..

    इश्वर आपकी समृद्ध लेखनी में निरंतरता, प्रखरता और रसों के भाव को यूँ ही बनाए रखे.

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  14. वन्दना जी!
    आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
    --
    पता नहीं वक्त अजीब होता है
    या रिश्ते
    मगर मैं तुम्हारे प्रेम की वेणी में आबद्ध
    वो प्रेम पुष्प हूँ
    जो आज भी तुममे तुम्हें ढूंढता है
    --
    शब्दों के सच्चे मोतियों से गुँथी हुई
    आपकी रचना बहुत अच्छी लगी!

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  15. वंदना जी,
    जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ..

    जवाब देंहटाएं
  16. जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ..

    जवाब देंहटाएं
  17. वन्दना जी!
    आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत शुभकामनाएँ!

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  18. सबसे पहले जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई.
    पहले श्रृंगार और फिर विरह रस में डूबी रचना.बहुत सुन्दर और मदमाती बन पड़ी है.
    एक बार फिर बधाई आपको.
    और मिठाई कहाँ है जी ? केक तो खिला दो

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  19. मोहक प्रेमाभिव्यक्ति....

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  20. वाह, प्रेम रस से सराबोर सुन्दर रचना !

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  21. मैं तुम्हारे प्रेम की वेणी में आबद्ध वो प्रेम पुष्प हूँ जो आज भी तुममे तुम्हें ढूंढता है

    bahut sunder....

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  22. बहुत सुन्दर यादें हैं । वक्त के साथ वीणा ख़त्म होती जा रही हैं । लेकिन प्यार का अहसास तो बना रहता है ।
    जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें वंदना जी ।

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  23. janmadin kaa to abhee pataa calaa| janm din kee bahut bahut badhaaI aur shubhakaamanaayeM|

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  24. आज भी याद है वो पहले मिलन की पहली खुशबू सांसों के साथ महकती सी वो तुम्हारी नागिन सी बलखाती ,लहराती वेणी
    जब मेरे सीने से टकराई थी इक आह सी निकल आई थी

    सहज अभिव्यक्ति...

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  25. प्रिया ! कहाँ खो गयीं तुम ?
    पास होकर भी क्यूँ
    दूर हो तुम पता नहीं
    वक्त अजीब होता है
    या रिश्ते

    बहुत खूब...मन का भावों को कितनी खूबसूरती के साथ शब्दों में ढाला है ...
    बहुत बढ़िया....

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  26. वाह क्या बात है ...सुन्दर अभिव्यक्ति

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  27. वंदना जी......हैट्स ऑफ......प्यार के खुबसूरत पलों को शानदार शब्द दिये हैं....प्रशंसनीय|

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  28. बहुत सुन्दर लिखा है आपने। पूरे वक्त आपकी सुन्दर वेणी ही imagine करती रही। ...Many happy returns of the day.

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  29. वाह ... बहुत ही खूबसूरत शब्‍दों का संगम है आप की इस अभिव्‍यक्ति में ...जन्‍मदिन की बहुत-बहुत बधाई ।

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  30. मनोदशा को बहुत सुन्दर शब्दों से पिरोया…. सुन्दर अभिव्यक्ति् धन्यवाद

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  31. बहुत सुन्दर वेणी गुंथी है वंदना जी

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  32. बहुत सुन्दर वेणी गुंथी है वंदना जी

    जवाब देंहटाएं
  33. बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! प्रशंग्सनीय प्रस्तुती!
    जन्मदिन की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं

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