आज भी याद है
वो पहले मिलन की
पहली खुशबू
सांसों के साथ महकती सी
वो तुम्हारी नागिन सी
बलखाती ,लहराती
वेणी जब मेरे सीने से
टकराई थी
इक आह सी निकल आई थी
तुम बिलकुल मेरे
पीछे ही तो थीं
जब तुमने
लापरवाही से
अपनी करीने से बंधी
वेणी को पीछे झटका था
उस वेणी का पहला स्पर्श
आज भी मदमाता है
और जब मैंने पलटकर
तुम्हें देखा तो
न जाने गुस्सा
कहाँ काफूर हो गया
और तुम्हारी
चंचल मुस्कान
बेफिक्र अदा
बात- बात पर
खिलखिलाना
होशो -हवास
गुम करने के लिए
काफी था
और तुम
अपनी दुनिया में मस्त थीं
तुम्हें पता भी न था
कि किसे घायल कर दिया
किसी को अपनी ज़ुल्फ़ों का
कैदी बना लिया
देखो आज भी
तुम्हारी वेणी
मेरे ह्रदय आँगन में
पहाड़ों की सर्पीली
राहों सी बलखाती है
मैं इन राहों में
खो जाता हूँ
और तुम्हें ढूंढता हूँ
प्रिये , ये कौन सा
मुकाम आ गया
ज़िन्दगी का
वो अल्हड़ता , चंचलता
उन्मुक्त हंसी
आज ढूंढता हूँ
तुम में उसी कमसिनी को
फिर ढूंढता हूँ एक बार
तुम्हारे साथ
उसी पल को
जीना चाहता हूँ
प्रिया ! कहाँ खो गयीं तुम ?
पास होकर भी
क्यूँ दूर हो तुम
पता नहीं
वक्त अजीब होता है
या रिश्ते
मगर मैं तुम्हारे
प्रेम की वेणी में आबद्ध
वो प्रेम पुष्प हूँ
जो आज भी
तुममे तुम्हें ढूंढता है
वेणी से टकराकर घायल हुए शख्स की मनोदशा को खूबसूरती से शब्दों में पिरोया आपने !
जवाब देंहटाएंगहरे हृदय के जज्बातों से लिपटी एक प्रेम कहानी , आपकी लेखनी के विस्तार को बखूबी कहती सुन्दर रचना ! वंदना जी बधाई स्वीकार करें
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर
जवाब देंहटाएंप्यार की खूबसूरत अभिव्यक्ती
और हां एक चीज़ जो छूटी जा रही थी , जन्म दिन की बहुत-बहुत बधाई , आपकी लेखनी सदियों तक यूं ही सम्रध्शाली रहे पुनः बधाई और शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंप्रिया ! कहाँ खो गयीं तुम ?
जवाब देंहटाएंपास होकर भी क्यूँ
दूर हो तुम पता नहीं
वक्त अजीब होता है
या रिश्ते
मन के भावों का सम्प्रेषण बखूबी हुआ है ...लेकिन प्रिया के दूर रहने पर सवाल उठना तो स्वाभाविक है .... रिश्ते कभी अजीब नहीं होते ...वक्त और हालत उन्हें यह सब बना देते हैं ...बहुत मार्मिक ..शुक्रिया
यादें प्रेम के पहले स्पर्श की. बड़ी सुंदरता से भावों को पिरोया है. बधाई.
जवाब देंहटाएंकभी कभी साथ चलते चलते भी दूरियां आ जाती हैं...... बहुत सुंदर रचना वंदनाजी
जवाब देंहटाएंमानसिक लापरवाही में न जाने कितने रिश्ते खो जाते हैं।
जवाब देंहटाएंआज तो आपके लिये आपके जनमदिन की अनेकों शुभकामनाएँ और उत्कृष्ट रचनाधर्मिता के लिये बधाईयां...
जवाब देंहटाएंआदरणीया वंदना जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
~*~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !~*~
- राजेन्द्र स्वर्णकार
वंदना जी
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम और जन्मदिवस के अवसर पर सच्चे हृदय से शुभकामनाएं और बधाइयां !
तुम अपनी दुनिया में मस्त थीं
तुम्हें पता भी न था
कि किसे घायल कर दिया
किसी को अपनी ज़ुल्फ़ों का कैदी बना लिया
:) बहुत ख़ूब !
आपकी कविताओं में बड़ी ख़ूबियां हुआ करती हैं …
नारी हो'कर भी स्वयं को पुरुष के मनोभावों को अभिव्यक्त करने के लिए नियुक्त कर देना … … …
नर्म-नाज़ुक रचना के लिए पुनः आभार !
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सुन्दर तरीके से गूँथी है ये प्रेम की वेणी। बधाई।
जवाब देंहटाएंवंदना जी, इस सुंदर अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद....
जवाब देंहटाएंऔर
जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ..
इश्वर आपकी समृद्ध लेखनी में निरंतरता, प्रखरता और रसों के भाव को यूँ ही बनाए रखे.
वन्दना जी!
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
--
पता नहीं वक्त अजीब होता है
या रिश्ते
मगर मैं तुम्हारे प्रेम की वेणी में आबद्ध
वो प्रेम पुष्प हूँ
जो आज भी तुममे तुम्हें ढूंढता है
--
शब्दों के सच्चे मोतियों से गुँथी हुई
आपकी रचना बहुत अच्छी लगी!
सुन्दर रचना .... वंदना जी
जवाब देंहटाएंवंदना जी,
जवाब देंहटाएंजन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ..
जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ..
जवाब देंहटाएंवन्दना जी!
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत शुभकामनाएँ!
सबसे पहले जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंपहले श्रृंगार और फिर विरह रस में डूबी रचना.बहुत सुन्दर और मदमाती बन पड़ी है.
एक बार फिर बधाई आपको.
और मिठाई कहाँ है जी ? केक तो खिला दो
मोहक प्रेमाभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंवाह, प्रेम रस से सराबोर सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंमैं तुम्हारे प्रेम की वेणी में आबद्ध वो प्रेम पुष्प हूँ जो आज भी तुममे तुम्हें ढूंढता है
जवाब देंहटाएंbahut sunder....
तुम ढूढ़ो एक बार मैं ढूढू सौ बार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर यादें हैं । वक्त के साथ वीणा ख़त्म होती जा रही हैं । लेकिन प्यार का अहसास तो बना रहता है ।
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें वंदना जी ।
janmadin kaa to abhee pataa calaa| janm din kee bahut bahut badhaaI aur shubhakaamanaayeM|
जवाब देंहटाएंआज भी याद है वो पहले मिलन की पहली खुशबू सांसों के साथ महकती सी वो तुम्हारी नागिन सी बलखाती ,लहराती वेणी
जवाब देंहटाएंजब मेरे सीने से टकराई थी इक आह सी निकल आई थी
सहज अभिव्यक्ति...
प्रिया ! कहाँ खो गयीं तुम ?
जवाब देंहटाएंपास होकर भी क्यूँ
दूर हो तुम पता नहीं
वक्त अजीब होता है
या रिश्ते
बहुत खूब...मन का भावों को कितनी खूबसूरती के साथ शब्दों में ढाला है ...
बहुत बढ़िया....
जन्मदिन की ढेरों बधाई....
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंvery nice lines..dil ko chu gayi...............happy birthday to u...
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है ...सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंवंदना जी......हैट्स ऑफ......प्यार के खुबसूरत पलों को शानदार शब्द दिये हैं....प्रशंसनीय|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिखा है आपने। पूरे वक्त आपकी सुन्दर वेणी ही imagine करती रही। ...Many happy returns of the day.
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत ही खूबसूरत शब्दों का संगम है आप की इस अभिव्यक्ति में ...जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंमनोदशा को बहुत सुन्दर शब्दों से पिरोया…. सुन्दर अभिव्यक्ति् धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर वेणी गुंथी है वंदना जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर वेणी गुंथी है वंदना जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! प्रशंग्सनीय प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें!