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बुधवार, 19 जनवरी 2011

वो वक्त आने से पहले ..........

अरे! कमाल करती हो
मान जाओ ना
कितना वक्त हो गया
मनाते मनाते
भूल गयीं क्या
एक युग बीत गया
और तुम आज भी
अपनी जिद पर अड़ी हो
ना मिलने की कसम
ना देखने की कसम
ना चाहने की कसम
अब बताओ कैसे कोई जिए
मुझसे तो मेरा सब
तुमने लूट लिया
मुझमे मेरा कुछ
बचा ही नहीं

पता है तुम्हें
कैसे एक युग
तुम्हारे बिन गुजारा
इसी आस पर
इसी विश्वास पर
कि तुम एक दिन
दूसरे किसी युग  में
मेरी होगी
मुझे चाहोगी
मुझे अपना बनाओगी
मेरे गुनाह को
माफ़ करोगी

क्या किसी को चाहना
गुनाह होता है
क्या अपनी चाहत को
पाना गुनाह होता है
क्या अपनी चाहत के लिए
खुद को कुर्बान करना
गुनाह होता है
फिर मेरी कुर्बानी के लिए
तुमने मुझे ही सजा क्यूँ दी
चलो दी तो दी
मगर अब तो मान जाओ ना
मेरे इंतज़ार को
साकार कर दो ना
अब तो मुझे
मोहब्बत का सिला दे दो ना


देखो इतनी जिद नहीं किया करते
अब मुझमे और बर्दाश्त
का मादा नहीं
कहीं फ़ना ना हो जाऊँ
और फिर तुम्हें अपनी
जिद का अहसास हो
और तुम फिर मेरी जगह
खुद को खड़ा पाओ
मुझसे मिलने की चाह में
मुझे अपना बनाने की चाह में
युगों के फेर में पड़ जाओ
रूह तुम्हारी तड़प जाए
और फिर मैं
जिद पर उतर आऊँ

मान जाओ ना
वो वक्त आने से पहले ......
....

40 टिप्‍पणियां:

  1. वाह वंदना जी... इन भावों को ऐसे शब्दों में उतारना... कमाल हैं आप...

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  2. बहुत ही खूबसूरत शब्‍दों का संगम भावमय करते शब्‍द ..बधाई इस सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  3. अरे! कमाल करती हो
    मान जाओ ना
    कितना वक्त हो गया
    मनाते मनाते
    भूल गयीं क्या
    एक युग बीत गया
    और तुम आज भी
    अपनी जिद पर अड़ी हो
    ना मिलने की कसम
    ना देखने की कसम
    ना चाहने की कसम

    बहुत खूबसूरत भाव ...

    जवाब देंहटाएं
  4. bandana jee,pahle to is sundar rachna ki badhai kubul kijiye...aur phir mera dhanyawad....dhanyawad is liye ki pahle sirf aapki rachnaon ki fan thi main ab bina aapse puche aapki shishya bhi ban gai...aapke blog se shikh kar maine apne blog par kuch mahtwapurn additions kiye hain...agar aapke bahumulya samay men se thoda mujhe bhi mil jaye to aapki salah se kuch aur improvements kar paungi...
    thankyou and luv u :)

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  5. खुबसुरत शब्दो से सजी बेहतरीन भाव रचना

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  6. ज़िद की भी हद होती है :):)

    खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  7. एक उलहाने के सम्वाद को काव्यबद्ध कर दिया। शानदार बंधी है चेतावनी की सहज अभिव्यक्ति!!

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  8. खूब कहा है ... भावों का जाल बिछाया है ... अपने आप से बात करती है ये रचना ... अति सुन्दर ..

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  9. प्रिय वंदना जी ..
    जय राम जी की
    काव्य के रूप में आपको आपकी अभिव्यक्तिय दिल को छू जाती है.. बहुत सुन्दर रचना ...
    "स्वतन्त्र विचार" पर मेरी पोस्ट " लाचार-सरकार, लाचार-मंत्री और लाचार जनता, क्या यही स्वर्णिम भारत है?" आपकी अनमोल प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद्,, आपके इस मार्गदर्शन से मेरा आत्मविश्वास और संबल बढेगा..
    हमारा आपका साथ ऐसे ही बना रहे ...

    (राजीव खंडेलवाल)

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  10. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ बेहतरीन रचना! बहुत बढ़िया लगा!

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  11. बहुत ही सुन्दर रचना.
    आपक लेखन कला को प्रणाम है'
    - अमन अग्रवाल "मारवाड़ी"
    amanagarwalmarwari.blogspot.com

    marwarikavya.blogspot.com

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  12. बेहतरीन भावाभिव्यक्ति. शानदार प्रस्तुतिकरण.

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  13. खूबसूरत रचना
    बहुत सुन्दर शब्द संयोजन
    बधाई

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  14. स्वगत शैली में लिखी गई बहुत उम्दा रचना!

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  15. बहुत अच्छा लिखती हैं आप ....आपको बधाई.

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  16. बहुत ही सुन्दर रचना उतना ही सुन्दर शव्द संयोजन किया है आपने - धन्यवाद ।

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  17. हमेशा की तरह भावप्रधान रचना ....आभार

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  18. अरे अजीब जब्रदस्ती हे जी, अगर वो किसी ओर को चाहती हो तो?
    ओर कहने वाला भी हिम्मत वाला हे, हम तो कभी ना कह पाये इतनी सारि बात :)
    बहुत अच्छी ओर सुंदर लगी यह जिद. धन्यवाद

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  19. वंदना जी, कोई ऐसे मनायेगा तो रूठना ही मुश्किल होगा.. और कोई ऐसे मनायेगा तो रूठे रहने का ही मन करेगा.. कुल मिला कर एक और सुन्दर कविता के फूल आपके गुलदस्ते में..

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  20. वंदना जी,

    रूठने, मनाने का ये खेल बहुत ही रुचिकर लगा.....सुन्दर पोस्ट|

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  21. सच में आज़ की बेहतरीन रचना है
    सादर

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  22. vandana ji bouthe he aacha laga read ker ke....good post

    Dear Friends Pleace Visit My Blog Thanx...
    Lyrics Mantra
    Music Bol

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  23. मुहब्बत से लबरेज़ सुन्दर कविता.

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  24. ये जिद भी बड़ी प्यारी सी लगी...एक जुनून के हद तक...पा लेने की चाहत
    सुन्दर अभिव्यक्ति

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  25. बहुत सुन्दर ...इतने खूबसूरत अनुरोध के बाद कौन नहीं मानेगा, जब कि चेतावनी भी साथ हो..आभार

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  26. मान जाओ ना ..वो वक़्त आने से पहले ...
    काश ऐसा ही हो ।

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  27. नारी के अंतर्मन को बेहद ईमानदारी से प्रस्तुत करती हुयी कविता. कविता की भावधारा और अभिव्यक्ति कहीं भी नहीं टूटी फिर भी कविता में एक तेज रफ़्तार है. लेखन की पकड़ को भी यह कविता दर्शा रही है.

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