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सोमवार, 17 जनवरी 2011

एक बार तो कहो ना जानम!

इतनी बेचैनी
तो कभी ना हुयी
इतना तो आँख
कभी ना रोई
कुछ तो कारण होगा
शायद तुमने मुझे
याद किया होगा
है ना जानम!

आज क्या हुआ है
कौन से दर्द से तू
रु-ब-रु हुआ है
कौन सा कांटा
तुझे चुभा है
जो तेरे दर्द की
परछाईं मुझे दे गया है
कुछ तो कहो जानम !

क्या आज फिर
पुरवा याद का बहा है
या फिर तूने
मुझे ही भुला दिया है
तभी आज मेरा दिल
इतना हँसा है कि
आँख से आँसू झडा है
बोलो ना जानम!

ये तुम्हें क्या
आज हुआ है
क्या तुम्हारे
दिल के कोटरों में
आज भी मेरे
प्रेम का दीप जला है
या  फिर उस दीप को 

तुमने बुझा दिया है
इसीलिए आज
मेरा दिल इतना जला है
एक बार तो कहो ना जानम!

ये मुझे आज क्या हुआ है
कौन से पायदान पर
प्रेम अब पंहुचा है
जहाँ प्रीत रोती है
और आँख हँसती है
बेढब रास्तों पर
कभी उठती है
कभी गिरती है
पर ना तुझसे
और ना मुझसे
संभलती है
कहो ना जानम !

ये प्रीत की कौन सी
नयी रीत चली है
जहाँ दरिया तो बहता है
मगर जमीन सूखी है
किसी कोमल भाव  की
अब भी भूखी है
एक बार तो कह दो ना जानम !

अब कैसे धीर बंधाऊँ?
नैनों को कैसे समझाऊँ ?
तुमको कैसे अब पाऊँ?
कौन सी नयी प्रीत की अलख जगाऊँ
कि मैं तुमसे मिल जाऊँ 
कहो ना जानम
अब कैसे तुम्हें पाऊँ ?

51 टिप्‍पणियां:

  1. ये प्रीत की कौन सी
    नयी रीत चली है
    जहाँ दरिया तो बहता है
    मगर जमीन सूखी है
    किसी कोमल भाव की
    अब भी भूखी है

    बहुत खूबसूरत भाव ...व्यथित मन की वेदना ...सुन्दर अभिव्यक्ति

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  2. इतना तो आंख,

    कभी न रोई ..


    भावमय करते शब्‍द ...बेहतरीन अभिव्‍य‍िक्ति ।

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  3. आदरणीय वन्दना जी
    नमस्कार !
    सहज,स्वाभाविक मार्मिकता पूरी रचना में
    ...मन को छू गयी। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  4. ये तुम्हें क्या
    आज हुआ है
    क्या तुम्हारे
    दिल के कोटरों में
    आज भी मेरे
    प्रेम का दीप जला है
    या फिर उस दीप को
    तुमने बुझा दिया है
    क्या बात है..बहुत खूब....गहरी कशमकश . खूबसूरत अभिव्यक्ति. शुभकामना

    जवाब देंहटाएं
  5. बढ़िया ...बहुत खूब अभिव्यक्ति रही ...
    शुभकामनायें !

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  6. सुन्दर कविता .. प्रेम के ना जाने कितने आयाम आपकी कविता में छुपे हैं..

    जवाब देंहटाएं
  7. यह तो सुन्दर कविता है...बधाई.

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  8. ये प्रीत की कौन सी
    नयी रीत चली है
    जहाँ दरिया तो बहता है
    मगर जमीन सूखी है
    किसी कोमल भाव की
    अब भी भूखी है
    एक बार तो कह दो ना जानम !
    ...
    phir wahi bhaw, jahan kuch pal main ruk jati hun aur intzaar karti hun janam ke kahne ka

    जवाब देंहटाएं
  9. वंदना जी,

    अच्छी रचना....

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  10. व्यथित मन की वेदना दर्शाती सुन्दर प्रस्तुति.

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  11. वर्ष 2010 में 108 पोस्‍ट यानि‍ लगभग प्रति‍ 3 दि‍नों में एक पोस्‍ट, अच्‍छा एवरेज है। बधाई वन्‍दना जी।

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  12. man ki vyatha ko shabdon me koob ukera hai aapne.....sunder rachana...der se hi sahi bitiya ko janmdin ki badhai....

    जवाब देंहटाएं
  13. मुझे तो दार्शनिकता से ओत-प्रोत लगी आपकी यह रचना!
    --
    बस यही कह सकता हूँ कि परमात्मा सबसे प्रिय जानम है सबका!

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  14. आपकी अभिव्यक्ति दिल को छू जाती है, लाजवाब रचना ।

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  15. बहुत सुंदर ... प्रभावी भावाभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत खूबसूरत भाव|सुन्दर अभिव्यक्ति|

    शुभकामना|

    जवाब देंहटाएं
  17. आपका अंदाज आकर्षक है। अति सुन्दर।

    जवाब देंहटाएं
  18. ये प्रीत की कौन सी
    नयी रीत चली है
    जहाँ दरिया तो बहता है
    मगर जमीन सूखी है
    किसी कोमल भाव की
    अब भी भूखी है...

    जहाँ दरिया तो बहता है
    मगर जमीन सूखी है

    क्या खूबसूरत अंदाज़ में पेश किया है इस कशमकश को, वाह.

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  19. छोटी छोटी बूँदों को प्यासा मन का सागर।

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  20. सभी पाठको को सूचित किया जाता है कि पहेली का आयोजन अब से मेरे नए ब्लॉग पर होगा ...

    पुराना ब्लॉग किसी कारणवश खुल नहीं पा रहा है

    नए ब्लॉग पर जाने के लिए यहा पर आए
    धर्म-संस्कृति-ज्ञान पहेली मंच.

    जवाब देंहटाएं
  21. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना आज मंगलवार 18 -01 -2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.uchcharan.com/2011/01/402.html

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  22. कमाल की पंक्तियाँ है, बहुत सुन्दर रचना !

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  23. @-शायद तुमने याद किया होगा....
    बहुत अच्छे लगे ये भाव।

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  24. बहुत ही गहरे एहसास है ...... सुंदर प्रस्तुति.

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  25. बहुत सुन्दर !
    प्रेम के विविध आयामों की स्वतः अभिव्यक्ति , वह भी इतने मनमोहक अंदाज़ में.....

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  26. बहुत खूब .. jindagi में alag alag rang hote हैं ... और aap बहुत प्रभावी treeke से un rangon को shabdon में utaar laati हैं ....

    जवाब देंहटाएं
  27. vndna ji kin shbdon me aabhar vykt kroon kahin shbd chhote n pd jayen
    bahur bahut hridy se aabhari hoon kripya swikar kren
    email:dr.vedvyathit@gmail.com

    जवाब देंहटाएं
  28. ये प्रीत की कौन सी
    नयी रीत चली है
    जहाँ दरिया तो बहता है
    मगर जमीन सूखी है
    किसी कोमल भाव की
    अब भी भूखी है
    एक बार तो कह दो ना जानम !

    वाह वाह !! वंदना जी ... क्या शब्द दिए हैं भावों को ... बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  29. ये प्रीत की कौन सी
    नयी रीत चली है
    जहाँ दरिया तो बहता है
    मगर जमीन सूखी है
    किसी कोमल भाव की
    अब भी भूखी है

    बहुत खूबसूरत भाव ...

    जवाब देंहटाएं
  30. जहाँ दरिया तो बहता है
    मगर जमीन सूखी है
    किसी कोमल भाव की
    अब भी भूखी है

    बहुत खूबसूरत भाव ...

    जवाब देंहटाएं
  31. अब कैसे धीर बनधाऊं,
    नैनों को कैसे समझाउं

    वाह बेहतरीन...

    जवाब देंहटाएं
  32. जहाँ दरिया तो बहता है
    मगर जमीन सूखी है
    किसी कोमल भाव की
    अब भी भूखी है

    बहुत खूबसूरत भाव ...

    जवाब देंहटाएं
  33. जहाँ दरिया तो बहता है
    मगर जमीन सूखी है
    किसी कोमल भाव की
    अब भी भूखी है

    बहुत खूबसूरत भाव ...

    जवाब देंहटाएं
  34. shingar ras ke viyog paksh ka sunder varnan hai , komalkant pdavli ka pryog. snkshep main shandar kavita

    जवाब देंहटाएं
  35. जहां दरिया तो बहता है
    मगर ज़मीन सूखी है

    कविता के सारे बिम्ब अच्छे लगे, पर यह सबसे न्यारा लगा।
    मन के अंतर्द्वद्व को निरूपित करती एक अच्छी रचना।

    जवाब देंहटाएं
  36. Shingar ras ke vijog paksh ka sunder varnan , komalkant pdavali ka pryog , sankshep main shandar kavita

    जवाब देंहटाएं
  37. मन को आनन्दित कर गयी ये कविता.........

    जवाब देंहटाएं
  38. खूबसूरत भाव प्रभावशाली सुन्दर अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  39. ये प्रीत की कौन सी
    नयी रीत चली है
    जहाँ दरिया तो बहता है
    मगर ज़मीन सूखी है

    ख़ूबसूरत रचना, सही कहा वंदना जी, प्रीत की रीत सदा अनोखी ही होती है .. भावपूर्ण प्रस्तुति
    मंजु

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  40. वंदना जी मैं कई दिन बाद ब्लॉग पर आयी हूं आपकी बिटिया के जन्मदिन पर मेरी और से बहुत सारी शुभकामनाएं , भगवान उसकी झोली खुशियों से भर कर रखे । दुनिया का हर सुख मिले --जुग जुग जीये खीर खंड पीए ----

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  41. सुन्दर सुन्दर सुन्दर !!! bus Itana Hi kah sakate hai. thanks a lot to your kind Poem. Best of luck God bless you

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