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शनिवार, 24 जुलाई 2010

सावन को हरा कर जाये कोई

कब तक जलाऊँ अश्कों को
भीगी रात के शाने पर 

सावन भी रीता बीत गया
अरमानों के मुहाने पर 


 जब चोट के गहरे बादल से
बिजली सी कोई कड़कती  है 


तब यादों के तूफानों की
झड़ी सी कोई लगती है

खाक हुई जाती है तब
मोहब्बत जो अपनी लगती है

कब तक धधकते सावन की
बेदर्द चिता जलाए कोई

रात की बेरहम किस्मत को
साँसों का कफ़न उढाये कोई

उधार की सांसों का क़र्ज़
हँसकर चुका तो दूँ मगर
इक कतरा अश्क
तो बहाए कोई
और बरसों से सूखे सावन 
को हरा कर जाये कोई

29 टिप्‍पणियां:

  1. सावन भी रीता बीत गया
    अरमानों के मुहाने पर

    जब चोट के गहरे बादल से
    बिजली सी कोई कड़कती है

    बहुत खूब लिखा है...

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  2. बहुत ही गहरा दर्द लफजों में उतर आया है...

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  3. bahut sundar abhiwykti !


    वंदना जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, मेरे दर्द को समझने के लिए!!

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  4. एक कतरा अश्क के इंतज़ार में ना जाने कितने सावन सूल्हे निकल गए ....:):)

    खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  5. अश्कों की झड़ी भिगो गयी.
    खूबसूरत रचना.

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  6. उर्दू लफ़्ज़ों की मिठास ही गज़ब की होती है और भावनाओं को इन लफ़्ज़ों मे आपने ख़ूबसूरती से सजाया है। बहुत सुन्दर!………आभार।

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  7. बरसों से सूखे सावन को हरा कर जाए कोई...
    प्रकृति इस अनुरोध को स्वीकार करे ...!

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  8. उधार की सांसों का क़र्ज़
    हँसकर चुका तो दूँ मगर
    इक कतरा अश्क
    तो बहाए कोई

    अश्क जब बहेंगे तो सैलाब आयेगा
    दीवाना मगर फिर भी गीत गायेगा

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  9. सावन तो प्यास बढ़ाता ही है । अच्छी रचना ।

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  10. वाह क्या लिखा है |मन को छूती रचना |
    आशा

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  11. जब चोट के गहरे बादल से
    बिजली सी कोई कड़कती है
    तब यादों के तूफानों की
    झड़ी सी कोई लगती है

    सुंदर अभिव्यक्ति है ... बेहद लाजवाब है ...

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  12. वन्दना जी . सावन का मानवीकरण प्रशंसनीय है । विवशता और विरह की अभिव्यक्ति शिल्प सहित है । रचना को बार बार पढें तो आप स्वयं लयता आ जाएगी ।

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  13. वन्दना जी . सावन का मानवीकरण प्रशंसनीय है । विवशता और विरह की अभिव्यक्ति शिल्प सहित है । रचना को बार बार पढें तो आप स्वयं लयता आ जाएगी ।

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  14. वन्दना जी . सावन का मानवीकरण प्रशंसनीय है । विवशता और विरह की अभिव्यक्ति शिल्प सहित है । रचना को बार बार पढें तो आप स्वयं लयता आ जाएगी ।

    जवाब देंहटाएं
  15. savan bhi reeta beet gaya
    armanon ke muhane par ...
    wah kya baat hai ji bahut pasand aai kavita .
    kitna achchha likhti ho aap
    badhai.

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  16. आज अन्दाज़ जुदा लगता है,
    आज कुछ बात है, क्या बात हुई
    जाने क्यूँ मन में बहुत देर तलक घुमड़ा कुछ,
    और फिर टूट के बरसात हुई।
    ऐसा…

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