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मंगलवार, 20 जुलाई 2010

ख़ामोशी पर लगे पहरे

यूँ तो 
खामोश थी 
हूँ और रहूँगी
ना गिला कोई 
ना शिकवा 
ना आँसू 
ना मुस्कान
ना चाहत कोई
ना अरमान
मगर ख़ामोशी 
पर लगे तेरी 
याद के पहरे ही
ख़ामोशी तोड़ 
जाते हैं 
बता अब 
यादों को तेरी 
किस चीन की
दीवार में
चिनवाऊँ
किस सागर की
गहराई में दबाऊँ
कौन से रसातल 
में छुपाऊँ 
और ख़ामोशी का 
कफ़न ओढ़ 
सो जाऊँ 

35 टिप्‍पणियां:

  1. खामोशी को
    बस खामोश
    रहने दो
    मन में आये
    इस ज्वार का
    शोर होने दो....

    बहुत खूबसूरत रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  2. खामोशी को
    बस खामोश
    रहने दो
    ........बहुत खूबसूरत

    जवाब देंहटाएं
  3. लबों पर तो है ख़ामोशी के पहरे ...
    मगर बता यादों को कहाँ दफ़न करूँ ....

    निगाहों से दूर चले जाओ ...
    दिल से दूर जाओ तो जाने ...!

    जवाब देंहटाएं
  4. याद को
    मेरी तू तेरी रूह में चिनवा ले

    खामोशी को तू
    कफन नहीं
    रिबन बना ले
    बनाकर रिबन
    अपने विचारों की चोटी में सजा ले
    तेरी खामोशी भी बहुत कुछ
    बोलेगी
    इस चीखते माहौल में
    सन्‍नाटा
    घोलेगी।

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  5. मगर ख़ामोशी
    पर लगे तेरी
    याद के पहरे ही
    ख़ामोशी तोड़
    जाते हैं

    बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह वाह वाह वाह ....कितनी खूबसूरत भावना को शब्द दिए है
    बता अब यादों को तेरी किस चीन की दीवार मेन चिन्वाऊ
    बेजोड़ रही ये पंक्ति ऐसे लगा जैसे कविता रुपी दुल्हन के माथे पे बिंदिया .
    कुछ खास पढने को मिला आज ......................बंधाई स्वीकारें

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  7. वन्दना जी, यदि यही यादों के पहरे यशोदा के लाला के प्रति होंगे तो न किसी दीवार मे चिनवाना पड़ेगा, न ही कहीं छिपाना पड़ेगा, इन यादों को तो केवल मन के सहारे हृदय की गहराई में उतार कर....... हरे कृष्ण..... हरे कृष्ण..... के नाम से उजागर करना होगा।

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  8. बता अब
    यादों को तेरी
    किस चीन की
    दीवार में
    चिनवाऊँ
    किस सागर की
    गहराई में दबाऊँ
    कौन से रसातल
    में छुपाऊँ ..

    यादों को जितना दबाओगे उतना ही तेज़ी से बाहर निकलेंगी .... बंब की तरह फट जाएँगी और फ़िज़ाओं में फैल जाएँगी .... बहुत अनुपम रचना है वंदना जी ...

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  9. सच कहा यादों से निजात पाना असंभव है...अति सुन्दर रचना है आपकी..
    नीरज

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  10. बता अब
    यादों को तेरी
    किस चीन की
    दीवार में
    चिनवाऊँ
    --
    आपने यादों को
    बहुत ही सुन्दर ढंग से
    अपनी रचना में जुबान दी है!

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  11. खामोशी किसी याद की
    निशानी है ।
    जो भी खामोश है उसकी
    यही कहानी है ।
    वन्दना जी ! विचारों की अतल गहराइयों से आपकी कविता उद्भूत है ।
    प्रशंसनीय ।

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  12. मेरी ख़ामोशी को न दो कोई और नाम
    तूफ़ान आने से पहले पता नहीं चलता अंजाम
    बस आपकी इस रचना पे यही है हमारा पैगाम
    बहुत बढ़िया .

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  13. चुप्पी की भी अपनी एक भाषा होती है
    और इस भाषा को कुछ समझदार लोग ही समझ सकते हैं.
    वैसे मेरी निजी राय यह है कि एक अच्छे कवि या कवियित्री को ज्यादा देर खामोश रहना भी नहीं चाहिए.
    यदि बात गलत है तो उसका विरोध कर देना चाहिए और यदि बात सही है तो उसका समर्थन कर देना चाहिए. विरोध और समर्थन के लिए कई विकल्प खुले रहते हैं.
    आपकी रचना शानदार है
    आपकी सक्रियता अच्छी लगती है.

    जवाब देंहटाएं
  14. मगर ख़ामोशी
    पर लगे तेरी
    याद के पहरे ही
    ख़ामोशी तोड़
    जाते हैं
    बता अब
    यादों को तेरी
    किस चीन की
    दीवार में
    चिनवाऊँ
    किस सागर की
    गहराई में दबाऊँ
    कौन से रसातल
    में छुपाऊँ
    और ख़ामोशी का
    कफ़न ओढ़
    सो जाऊँ

    सुंदर रचना..बधाई वंदना जी

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  15. बहुत सुन्दर भाव...लाजवाब रचना..बधाई.

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  16. आपके जज्बातों ने मन को छू सा लिया है। शायद यह अभिव्यक्ति की श्रेष्ठतम कल्पना है।
    ………….
    संसार की सबसे सुंदर आँखें।
    बड़े-बड़े ब्लॉगर छक गये इस बार।

    जवाब देंहटाएं
  17. सुन्दर भाव लिए रचना |बधाई
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  18. बता अब
    यादों को तेरी
    किस चीन की
    दीवार में
    चिनवाऊँ
    किस सागर की
    गहराई में दबाऊँ
    कौन से रसातल
    में छुपाऊँ ..
    बहुत अच्छी लगी ये पंक्तियाँ
    सुन्दर रचना बधाई

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  19. लबों पर तो है ख़ामोशी के पहरे ...
    मगर बता यादों को कहाँ दफ़न करूँ .

    क्या बात कही है...बहुत खूब...

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  20. बढ़िया अभिव्यक्ति सुंदर भावों के साथ ...शुभकामनायें !

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  21. aadhro par shabdo ko rakhakr man ke bhed na kholo

    mai aankho se sun sakta hu tum aankho se bolo

    bahut khub likha aapne. laazawab.

    please visit my blog

    http://mayurji.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  22. खामोशी का एक पहलू आत्ममंथन भी होता है।

    जवाब देंहटाएं
  23. बता अब
    यादों को तेरी
    किस चीन की
    दीवार में चिनवाऊं
    किस सागर की
    गहराई में दबाऊं

    बहुत सुंदर...ये सच है यादों को जितना दबाया जाएगा..उतने ही वेग से वो दिल-दिमाग को झकझोरेंगी

    जवाब देंहटाएं
  24. बता अब
    यादों को तेरी
    किस चीन की
    दीवार में चिनवाऊं
    किस सागर की
    गहराई में दबाऊं

    बहुत सुंदर...ये सच है यादों को जितना दबाया जाएगा..उतने ही वेग से वो दिल और दिमाग दोनों को झकझोरेंगी

    जवाब देंहटाएं
  25. निगाहों से दूर चले जाओ ...
    दिल से दूर जाओ तो जाने ...!
    बहुत खूबसूरत रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  26. khamoshi par lage
    teri yaad ke pahare
    hi
    khamoshi tod jate hain ....
    wah ji
    kya baat hai

    जवाब देंहटाएं

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