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सोमवार, 26 जुलाई 2010

एक पल

तेरी 
एक पल में 
ज़िन्दगी 
जीने की 
हसरत
मेरे जीने का 
सबब बनी
अब खोजता 
फिरता हूँ
उस एक 
पल को
मगर 
कहीं नहीं मिलता
हर पल पर 
ज़िन्दगी की
उलझनों के 
लगे पहरे
कभी ज़िन्दगी 
को ठहरने 
नहीं देते 
इक पल को
ढूँढते - ढूँढते
बरसों बीत गए
शायद तुम तो 
भूल चुकी होंगी
मगर मैं 
आज भी
उसी इक पल
की तलाश में
भटक रहा हूँ 

34 टिप्‍पणियां:

  1. शायद तुम तो
    भूल चुकी होंगी
    मगर मैं
    आज भी
    उसी इक पल
    की तलाश में

    <<<>>>>

    khoob kahi aapne, man ki wytha !!!

    saleem
    9838659380

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  2. मैं भी ऐसा कोई पल खोज रहाहूं.....मगर वह नहीं मिलता.... और उसी पल की तलाश में हूँ.... बहत सुंदर लगी आपकी यह कविता....

    --
    www.lekhnee.blogspot.com


    Regards...


    Mahfooz..

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  3. क्या खूब ! कभी कभी तो जीने को एक उम्र कम पड़ती है ... और कभी तो एक पल भी काफी है 'जीने' के लिए ...

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  4. बहुत कुछ छिपा होता है एक पल में ...बहुत सुन्दर.

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  5. Sunder abhivyakti ... sahaj ban padi hai ...
    "Main aaj bhi usi ek pal ki talash mein bhatak raha hun "
    Keep it up .

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  6. बहुत खूब वंदना जी .... पर एक बात आप ऐसे एक एक लाइन करके क्यूँ लिखते हो जैसे नज़्म लिखी जाती है इससे ग़ज़ल का मज़ा ख़राब होता है |

    कभी फुर्सत मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आइये...

    http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
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  7. ऐसी तलाशों का भे अंत नहीं होता कई बार...

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  8. बहुत सुन्दर भाव ...सब कुछ एक ही पल का तो खेल है ....अच्छी रचना

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  9. मैं
    आज भी
    उसी इक पल
    की तलाश में
    ...vah bahut badhiya vandanaji.

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  10. कभी कभी एक पल में होते है हजारो पल ............इस लिए एक पल कभी कभी काटे नहीं कटता !

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  11. आज भी
    उसी इक पल
    की तलाश में
    भटक रहा हूँ
    शायद यही भटकन ही तो है जो एहसास का समुन्दर दे जाती है
    सुन्दर रचना

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  12. ज़िन्दगी की
    उलझनों के
    लगे पहरे
    कभी ज़िन्दगी
    को ठहरने
    नहीं देते
    हम इस कविता की भाषा की लहरों में जीवन की हलचल साफ देख सकते हैं।

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  13. एक पल ही तो दौड़ाते रहते हैं वर्षों।

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  14. इस एक पल में पूरी जिंदगी समाई है ।

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  15. शायद तुम तो
    भूल चुकी होंगी
    मगर मैं
    आज भी
    उसी इक पल
    की तलाश में
    shaandaar ,bahut sahi

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  16. बस एक पल में ही बहुत कुछ निहित रहता है ..........बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति !!

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  17. कोई कोई पल जीवन का खास हो जाता है ...
    पूरे जीवन का आधार ...
    गुजर कर भी नहीं गुजरता ...
    वह एक पल ..!

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  18. बहुत ही बेहतरीन रचना... बहुत खूब!

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  19. एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं!
    आपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं!

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  20. आपकी यह प्रस्तुति कल २८-७-२०१० बुधवार को चर्चा मंच पर है....आपके सुझावों का इंतज़ार रहेगा ..


    http://charchamanch.blogspot.com/

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  21. ये सच है कई बार बस एक पल ... एक लम्हा ही नही मिलता जीवन भर ... और भटकता रहता है इंसान उसके पीछे ... गहरे ज़ज्बात है इस रचना में ...

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  22. मैं
    आज भी
    उसी इक पल
    की तलाश में
    बस वो एक मनचाहा पल कभी नहीं आता...सुन्दर नज़्म

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  23. बहुत खूब वन्दना जी .................सच में कुछ पल हम हमारी जिन्दगी में ऐसे आते हैं जो चाह कर भी दोबारा दस्तक नहीं देते जिन्दगी में...............

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  24. आज भी
    उसी इक पल
    की तलाश में
    भटक रहा हूँ
    umda post ....likhti rahiye .....

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  25. विरह वेदना का चरम !!
    भावपूर्ण प्रस्तूति!! बधाई

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  26. शायद तुम तो
    भूल चुकी होंगी
    मगर मैं
    आज भी
    उसी इक पल
    की तलाश में
    खुशी का एक पल भी जीने के लिये बहुत होता है और इन्सान सारी उम्र उसी के लिये भटकता रहता है। बहुत अच्छी लगी कविता। बधाई

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  27. हर पल पर
    ज़िन्दगी की
    उलझनों के
    लगे पहरे
    कभी ज़िन्दगी
    को ठहरने
    नहीं देते
    vandana ji, dil ki gaharai se likhi kisi pal me aapki yah kavita bahut hi achhi lagi.
    poonam

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