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सोमवार, 3 मई 2010

मौन मुखर हो जाये

अश्कों का बहना
कोई बड़ी बात नहीं 
मज़ा तब है जब
अश्क बहें भी और
 नज़र भी ना आयें
और  जहाँ मौन भी
नज़रों में मुखर हो जाये 

19 टिप्‍पणियां:

  1. ...और जहां मौन भी
    नजरों में मुखर हो जाए !
    वाह ,

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  2. एक गहरे अहसास की बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति!वाह!

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  3. वाह!क्या बात है जी,

    असम्भव में सम्भावनाये तलाशती आपकी ये रचना जो सफल भी हो रही है!

    कुंवर जी,

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  4. वाह,बहुत सुंदर भावाअभिव्यक्ति

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  5. अश्क बहें भी और
    नज़र भी ना आयें

    kitni badi baat kah di aapne......bahut khubsurat........:)
    kabhi hamare jindagi ke kainvess ko dekhen
    www.jindagikeerahen.blogspot.com

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  6. और जहाँ मौन भी
    नज़रों में मुखर हो जाये

    मौन जब मुखरित होगा, शब्द और स्वर ठिठके खड़े रहेंगे

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  7. मज़ा तब है जब
    अश्क बहें भी और
    नज़र भी ना आयें

    एक गहरे अहसास की बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति!बहुत सुंदर

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  8. जहाँ मौन भी
    नज़रों में मुखर हो जाये
    बहुत सुन्दर...........

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  9. waah vandna ji bhut khub behtreen rachna
    मज़ा तब है जब
    अश्क बहें भी और
    नज़र भी ना आयें
    sadar
    praveen pathik
    9971969084

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  10. बहुत ही सुन्दर !
    अश्क बहें भी और
    नज़र भी ना आयें
    और जहाँ मौन भी
    नज़रों में मुखर हो जाये

    बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति !

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  11. वाह ... क्या बात है.. अश्क बहे पर नज़र न आएँ ...

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